- एनसीजेडसीसी में नाटक के मंचन में दिखी विस्थापन की पीड़ा
- कोविड 19 प्रोटोकाल के साथ नाटक का हुआ मंचन
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PRAYAGRAJ: किसी को जब उसके घर या स्थान से निकाल कर दूसरी जगह फेंक दिया जाता है। तो वह कभी भी उसे अपनी जगह के रूप में स्वीकार नहीं कर पाते। वो, उनकी पुश्त पूरी जि़न्दगी इंतज़ार करती हैं, इस आशा में कि एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा और उन्हें वापिस बुला कर उनकी जगह दे दी जाएगी, पर ऐसा कभी होता नहीं। फिर चाहे वह एक परिन्दे का एक-एक तिनका जोड़ कर बनाया गया घोंसला हो, या किसी और का अपना बसेरा। विस्थापन का दर्द जो झेलता है। वहीं उस दर्द की पीड़ा को समझता है। इसी गंभीर समस्या को एक पार्क की तीन बेंचों के माध्यम से बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया।
दर्शकों ने महसूस किया विस्थापन का दर्द
एनसीजेडसीसी में विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान की ओर से मंचित किए गए नाटक के दौरान कोविड 19 प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन कराया गया। अजय मुखर्जी के निर्देशन में मानव कौल के इस नाटक ने दर्शकों को हंसते - मुस्कुराते विस्थापन के दर्द को महसूस करने पर मजबूर कर दिया। कलाकारों ने नाटक पार्क में अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों को बांधे रखा। नाटक के कलाकारों अक्षत अग्रवाल, सौरभ शुक्ला, सुधांशु गिरि, आर्यन प्रकाश और गरिमा कुशवाहा के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा। प्रकाश परिकल्पना एवं मंच सुजॉय घोषल, संगीत संचालन शुभम वर्मा एवं अमन पांडेय का रहा। संगीत, परिकल्पना एवं निर्देशन अजय मुखर्जी का रहा। इस मौके पर अक्षत अग्रवाल को विपिन शर्मा स्मृति युवा कलाकार सम्मान दिया गया।