घर से बाहर जॉब करने के जुनून ने आशा कार्यकत्री सबिता पाल को दिलाई सफलता
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PRAYAGRAJ: जहां चाह होती है, वहां राह होती है। इन पंक्तियों को जीवन में चरितार्थ करने वाली आशा कार्यकत्री सबिता पाल ने सफलता की शानदार कहानी लिखी है। जिसका रिजल्ट भी उनको सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा नारी शक्ति मिशन के अन्तर्गत दिए अवार्ड के रूप में मिला। कौंधियारा ब्लाक की रहने वाली सबिता पाल के पति भी हेल्थ डिपार्टमेंट में जॉब करते हैं। उनके पति कमलेश कुमार पाल कौशांबी के नेवादा पीएचसी में सीएचओ यानी कम्युनिटी हेल्थ आफिसर के पद पर तैनात है। सबिता बताती है कि शुरू से ही उनके मन में था कि वह घर से बाहर निकलकर कोई जॉब करें। उनको इस बात की परवाह नहीं थी कि जॉब छोटी हो या बड़ी। इस सपने को पूरा करने के जुनून में उन्होंने आशा कार्यकत्री के रूप में नौकरी शुरू की।
2007 में बनी आशा कार्यकत्री
सबिता ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बातचीत के दौरान बताया कि 2002 में इंटर करने के दौरान ही उनकी शादी हो गई थी। उनका मायका शंकरगढ़ में है। शादी के बाद उनके ससुर ने उनको रीवा की एक यूनिवर्सिटी से बीए कराया। इसके बाद उनका चयन आशा कार्यकत्री के रूप में 2007 में हो गया। उनके पति और ससुराल वालों ने उनकी सबसे अधिक हेल्प की। सीएम योगी आदित्यनाथ से अवार्ड लेने के बारे में पूछे जाने पर सबिता पाल ने बताया कि ये किसी सपने जैसा था। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि सीएम योगी आदित्यनाथ उन्हें मंच पर बुलाकर अवार्ड देंगे। अवार्ड मिलने से उनके जुनून को और बल मिला है। जिससे वह और अधिक मेहनत व लगन के साथ अपने काम को पूरा करेगी। ।
कोरोना काल में कराया 11 सुरक्षित प्रसव
- सबिता पाल ने बताया कि उनकी सबसे अधिक तारीफ कोरोना काल में उनके द्वारा कराए गए 11 संस्थागत सुरक्षित प्रसव के लिए मिली।
- जब लोग घर से बाहर निकलने में डरते थे। उस समय वह घर का काम खत्म करने के बाद सुबह से ही लोगों को सरकारी सुविधाओं की जानकारी देने और मेडिकल हेल्प के लिए निकल जाती थी।
इसके साथ ही कोविड 19 टीकाकरण के लिए लोगों को जागरूक करना और टीकाकरण कराना, नशा मुक्ति के क्षेत्र में कार्य, कन्या सुमंगला योजना के लिए लाभार्थियों को जानकारी दी।
नसबंदी, 0 से 5 साल के बच्चों को टीकाकरण, पोलिया उन्मूलन, फाइलेरिया की दवा घर-घर जाकर लोगों को खिलाना आदि कई तरह के कार्य वह लगातार करती आ रही है। उनकी इन्हीं उपलब्धियों को देखते हुए उनका चयन लखनऊ जाकर सीएम से अवार्ड लेने के लिए किया गया।