प्रयागराज (ब्‍यूरो)। इससे बढ़े उत्साह का नतीजा यह हुआ कि मैने एक करोड़ का बिजनेस टारगेट एचीव कर लिया। बदले में मुझे 24 हजार कमीशन मिला। यह मेरे लिए बड़ी खुशी का पल था। लेकिन, यह कभी सोचा ही नहीं था कि इसी के चलते उसे सीधे प्रधानमंत्री से मिलने का मौका मिल जाएगा। मेरा बेटा उनकी गोद में जाएगा और वह उसे दुलारेंगे। यह कहना था बलरामपुर से नौ महीने के बच्चे को लेकर परेड मैदान पर पहुंचीं अंजनी मौर्या का। प्रधानमंत्री घर-घर बैंक की पहुंच योजना को बेहतर तरीके से अंजाम तक पहुंचाकर मिशाल बनने वाली महिलाओं से मिले। अंजनी मौर्या भी उन्हीं में से एक थी।

लोग हमें अब हमारे नाम से जानते हैं
अलीगढ़ से से आयीं नेहा कुलश्रेष्ठ ने बताया कि पीएम सर ने उनसे सवाल किया, बीसी सखी बनने पर क्या लाभ हुआ है। हमने बताया कि लोग हमें मेरे नाम से जानने लगे हैं। सम्मान मिल रहा है। पहचान मिल रही है। अगस्त से काम शुरू किया और अभी तक 27 लाख का ट्रांजेक्शन कर चुकी हूं। मैं खाते भी खोलती हूं और रिचार्ज भी करवा लेती हूं। बिजली का बिल भी जमा करवाती हूं। मेरे काम से गांव के लोग संतुष्ट हैं। पीएम ने कहा कि आने वाले समय में इस योजना से जुड़े अन्य लाभ भी मिलेंगे। भदोही की आरती देवी ने पीएम से इंटरैक्शन के दौरान बताया कि परिवार में पति ही अकेले कमाने वाले थे। वह कपड़े का व्यवसाय करते हैं। अब हम उनका सपोर्ट करने लगे हैं। बैंक के खाते खोलने पर कमीशन मिलता है। जिससे काम में मन लगता है। यह बात पीएम को बताए तो वह खुश हो गए।

महिलाओं से आधे घंटे तक की बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को प्रयागराज में थे। परेड ग्राउंड पर नारी सशक्तीकरण पर आधारित प्रोग्राम में उन्हें शामिल होना था। मंच पर पहुंचने से पहले उन्होंने सरकारी योजनाओं से जुड़कर अपने बेहतर भविष्य की नींव रख रही महिलाओं से संवाद किया। अपने आधे घंटे के संवाद में उन्होंने बीसी (बैंक करेस्पांडेंट) सखियों, स्वयं सहायता समूह और कन्या सुमंगला लाभार्थियों से बातचीत की। उनसे कार्य में आ रही समस्याओं के बारे में पूछा। उनके बच्चों को गोद में उठा लिया और दुलारा।

घर-घर बैंक लेकर पहुंच रही महिलाएं
बता दें कि गांव के लोगों को घर बैठे बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने बीसी सखी योजना की शुरुआत कोरोना काल में की थी। इस योजना के तहत महिलाएं लोगों को घर तक पहुंचकर उनके खाते से कैश उपलब्ध कराती हैं। बैंक खाते खोलने में मदद करती हैं। यह काम करने वाली बीसी सखियों को बैंक की ओर से कमीशन भी मिल जाता है।

चार महीने हो गए बैंक सखी का काम करते हुए। शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हुई थी। गांव के लोग अब हमें बैंक दीदी कहकर पुकारते हैं। हम उन्हें घर बैठे कैश उपलब्ध कराते हैं। बदले में कमीशन मिलता है। आज पीएम से मिलकर आत्मविश्वास बढ़ गया।
पूनम, नोयडा

प्रधानमंत्री एक अभिभावक की तरह मिले। उन्होंने हमसे उपलब्धि के बारे में पूछा। हमने भी उनको अपने अनुभव शेयर किये। बताया कि इस काम से हमें सम्मान हासिल हो रहा है। कमीशन मिलने से आर्थिक मजबूती मिल रही है। महिलाओं के लिए यह अलग और एक नए तरह का कार्य है।
प्रियंका, चंदौली

कोरोना काल में योजना आई थी। तब जब लोग घरों में थे। मैंने ट्रेनिंग ली और घर घर जाकर काम किया। मैंने बताया कि तीन करोड़ का ट्रांजेक्शन किया है तो वह प्रसन्न हो गए। पीएम ने मेरी बेटी दिवांशु को पुचकारा। उसके उज्जवल भविष्य की कामना की। यह मेरे और मेरी बेटी के लिए बहुत बड़ा सौभाग्य रहा।
कल्पना तिवारी, अंबेडकरनगर

एक दिन घर पर फोन आया कि मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में जाना है। वह हमलोगों से मुलाकात करेंगे। यह सुनकर विश्वास नहीं हुआ। आज उनसे मिलकर लगा, सपना पूरा हो गया। पीएम से रूबरू हुए तो लगा जैसे हमारे पिता हमसे हालचाल पूछ रहे हैं। मेरी बेटी को भी उन्होंने प्यार दिया।
शबाना आजमी, सहारनपुर

शुुरुआत में थोड़ी झिझक थी लेकिन धीरे धीरे आसान लगने लगा है। महज एक माह में मैंने 3500 रुपए कमीशन कमाया है। ऐसा लग रहा है कि आने वाले कुछ माह में मुझे अच्छी उपलब्धि हासिल होगी। मुलाकात के दौरान पीएम ने भी हौसला बढ़ाया।
रुपाली मिश्रा, लखीमपुर खीरी