प्रयागराज (ब्यूरो)। आधार कार्ड देश की नागरिकता का एक पुख्ता प्रमाण है। वह इस बात को साबित करता है कि सम्बंधित व्यक्ति भारत का ही है। पब्लिक की सहूलियत के लिए सरकार की तरफ से आधार कार्ड में एड्रेस व नाम एवं जन्म तिथि चेंज कराने की सुविधा दी गई। इसके पीछे सरकार की मंशा साफ थी। मकसद था कि किसी से फार्म भरते वक्त गलती या चूक हो गई तो उसे परेशान नहीं होना पड़े और सुधार करवा ले। बस इसी सुविधा को यहां चंद शातिर किस्म के दुरुपयोग करने पर उतारू हैं। कौशाम्बी जिले के मूरतगंज एरिया स्थित एक युवक अपने आधार कार्ड में चार बार नाम और जन्म तिथि चेंज कराया। हर बार जन्म तिथि को अलग-अलग डेट दर्ज कराने में कामयाब हो गया। इसके लिए उसके जरिए तरह-तरह के फेक डाक्यूमेंट लगाए गए। पांचवी बार फिर वह आधार कार्ड में जन्म तिथि चेंज कराने आधार केंद्र सिविल लाइंस पहुंचा। इस बार वह अपनी नई जन्म तिथि को प्रमाणित करने के लिए हाईस्कूल व इंटर की दो मार्कशीट लेकर केंद्र पर पहुंचा था। जिस मार्कशीट के सुबूत बताकर आधार कार्ड में जन्म तिथि चेंज कराने की कोशिश कर रहा था उस पर आधार कार्ड केंद्र के जिम्मेदारों को शक हुआ। मार्कशीट और उसे लेकर कर्मचारी केंद्र प्रबंधक के पास जा पहुंचे।
सवाल जवाब में फंस गया
केंद्र प्रबंधक द्वारा पूछताछ और सवाल जवाब शुरू किया गया। अपने ही उत्तर में वह शातिर युवक फंसता चला गया। फंसने लगा तो दो बार हाई स्कूल व इंटर पास करने का राग अलापने लगा। जब उसकी एक भी चाल यहां कामयाब नहीं हुई तो बहाने से डाक्यूमेंट लिया और केंद्र के बाहर निकला तो दोबारा वापस नहीं लौटा।
पार्षद व प्रधान के लेटर भी संदिग्ध
शातिर युवक पहले वह खुद की दोनों मार्कशीट को व उस पर अंकित जन्मतिथि को सही बताता रहा।
कर्मचारियों द्वारा उसके आधार को कम्प्यूटर पर चेक किया गया तो मालूम चला कि वह चार बार नाम और जन्म तिथि आधार कार्ड में बदलवा चुका है।
फेक मार्कशीट के बूते पांचवी बार नाम और जन्म तिथि चेंज कराने की कोशिश कर रहा था जो पकड़ा गया।
सूत्र बताते हैं कि कुछ महीने पूर्व एक एसडीएम की फर्जी मोहर और सिग्नेचर करके अपना एड्रेस चेंज कराने आया था। शक हुआ तो वह भी दबे पांव आधार केंद्र से भाग निकला।
कई शातिर किस्म के लोग इसके पूर्व भी पार्षद व प्रधान के सिग्नेचर और मोहर युक्त लेटर लेकर आधार में फर्जी नाम, जन्म तिथि व एड्रेस चेंज कराने की कोशिश किए और पकड़े गए।
जिस डाक्यूमेंट पर थोड़ा भी शक हो जाता है उस आवेदक से गहन पूछताछ की जाती है। जो गलत होते हैं वह दबे पांव बहाने से भाग जाते हैं। अब तक ऐसे कई संदिग्ध कागजात सामने आ चुके हैं। ऐसे लोगों के आधार में परिवर्तन की प्रक्रिया रोक दी जाती है।
राज गुप्ता प्रबंधक आधार केंद्र सिविल लाइंस