प्रयागराज ब्यूरो । असम से मंगाया गया बांस व बल्ली और कोलकाता के कारीगर बनाए बाई का बाग में दुर्गा पांडाल
निर्माण के लिए भारद्वाज में तोडफ़ोड़ की खबर सुनकर आयोजकों ने लिया नार्मल पांडाल लगाने का निर्णय, यहां 103 वर्षों से सज रहा है दरबार
क्कक्र्रङ्घ्रत्रक्र्रछ्व: नवरात्रि में जगह-जगह भव्य पांडालों में विराजमान मां दुर्गा की बेरोजगारों पर विशेष कृपा हुई। आस्था की ज्योति के साथ पांडालों से हजारों लोगों के घरों का चूल्हा भी जल रहा है। मां लक्ष्मी की कृपा से कुछ दिनों व महीनों के लिए ही सही, बेरोजगारों की आर्थिक तंगी दूर हो गई है। यह वे बेरोजगार हैं जिनके जरिए पूरी आस्था और विश्वास व शिद्दत के साथ मां के दरबार को सजाने व संवारने का काम किया। पांडाल के निर्माण से सृजित हुआ रोजगार कमा करने वाले उन गरीबों के लिए काफी राहत भरा रहा। सिर्फ जनपद ही नहीं कोलकाता व पंजाब जैसे प्रदेशों के कारीगरों को भी यहां काम मिला। पांडाल से हुई आय से कामगार और उनके पिजन खुशी-खुशी दशहरा व दीपावली मनाएंगे। शहर के बाई का बाग और कर्नलगंज भारद्वाज आश्रम में मां दुर्गा पांडाल की ऐतिहासिकता व भव्यता जानकार आप भी चौंक जाएंगे।
थाईलैंड के थीम पर बना मां का दरबार
शहर स्थित बाई का बाग में तैयार मां दुर्गा के दरबार व पांडाल की भव्यता व आकर्षण सिर्फ सिटी ही नहीं जिले भर में फेमस है। यहां बनाया गया दुर्गा पांडाल थाईलैंड में निर्मित होने वाले भव्य मकानों व भवनों की थीम पर आधारित है। कार्यवाहक अध्यक्ष लालू मित्तल के मुताबिक यह पंडाल टोटल बांस और बल्ली से निर्मित है। इसमें भी सबसे ज्यादा बांस का इस्तेमाल किया गया है। पांडाल के लिए बांस और बल्लियां असम से जरिए ट्रक मंगाई गई थी। इसे तैयार करने के लिए शहर के दिनेश शर्मा को ठेका दिया गया था। ठेकेदार दिनेश के जरिए पांडाल बनाने के लिए करीब बीस कारीगरों को कोलकाता से बुलाया गया। कारीगरों के हेल्प में 60 मजदूर जिले से हॉयर किए गए। इस तरह कुल 80 लोगों के द्वारा इस पांडाल को बनाने का काम शुरू किया गया। पूरे तीन तीन महीने तक पांडाल का निर्माण चला। पांडाल में मां भगवती की प्रतिमा लोकल मार्केट से ली गई। प्रतिमा का मुकुट काफी खास है। मुकुट पर भगवान शिव, विष्णु व ब्रम्हा जी विराजमान हैं। पांडाल के साथ प्रतिमा का यह मुकुट भक्तों में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मतलब यह कि अकेले बाइक का बाग पांडाल को बनाने में 2400 सौ लोगों के लिए रोजगार जेनरेट हुआ। इस तरह काम करने वाले कारीगर व लेबरों के लिए नवरात्रि काफी शुभ व रोजगार के साथ खुशी देने वाला रहा। बताते हैं कि पूरा आयोजन अध्यक्ष सुशील लहरी के नेतृत्व में संचालित हो रहा है। मां के दरबार को सेवा भाव से और भी भव्यता देने में सचिव रत्नेश पांडेय, विक्की जैन, आदि शामिल हैं।
1953 से सज रहा यहां दुर्गा पांडाल
कर्नलगंज भारद्वाज आश्रम पार्क में सजाए जाने वाले मां दुर्गा पांडाल इस बार बहुत खास तो नहीं पर इसकी ऐतिहासिकता लोगों यहां तक खींच लाती है। सचिव शंकर चटर्जी बताते हैं कि कर्नलगंज में नवरात्रि में मां दुर्गा पांडाल लगाने की शुरुआत 1953 में हुई थी। इस आयोजन का ये 171वां वर्ष है। भारद्वाज पार्क में एक ही जगह 103 साल से आयोजन हो रहा है। इसके पूर्व कोई एक जगह निश्चित नहीं हुआ करती थी। कहते हैं कि पार्क में निर्माण के उद्देश्य से तोड़ फोड़ की खबर मिली थी। इस लिए अब की पांडाल को बहुत टेक्निकल लुक नहीं दिया जा सका और पांडाल को सिंपल थीम पर तैयार किया गया। इस पांडाल को बनाने के लिए सारे कारीगर व मजबूर लोकल से ही हॉयर किए गए। करीब बीस लोग लगातार पंद्रह दिनों तक पांडाल को बनाने का काम किए। मतलब यह कि यहां भी पांडाल बनाने में 300 सौ लोगों के लिए रोजगार सृजित हुआ।