प्रयागराज (ब्‍यूरो)। पुलिस के क्राइम रेकार्ड में अतीक अहमद का नाम जितना बड़ा था, उसके कारनामें उससे भी ज्यादा हैरतंगेज थे। कभी उसके दरवाजे पर खड़ी रहने वाली लक्जरी गाडिय़ों में नंबर के गेम का मामला सामने आया है। सितारे गर्दिश में आने के पूर्व उसके बेड़े में खड़ी रहने वाली चमचमाती कई गाडिय़ां दूसरों के नाम पर ली गई थीं। उन गाडिय़ों के प्लेट पर जो नंबर लिखे हुए थे वह फर्जी बताए जा रहे हैं। फर्जी इसलिए कहे जा रहे हैं क्योंकि आरटीओ एप पर वह नंबर शो ही नहीं कर रहा है। जिन गाडिय़ों के नंबर का रजिस्ट्रेशन एप पर दिखाई दे रहा है, वह दूसरों के नाम बताए से हैं। एक ऐसी गाड़ी है, जिसका रजिस्ट्रेशन अतीक अहमद के नाम पर है। अतीक के नाम की यह गाड़ी आठ दिसंबर 1994 में खरीदी गई थी। रजिस्ट्रेशन में इस गाड़ी का एड्रेस छह करबला जीटी रोड इलाहाबाद लिखा हुआ है। उसके चकिया स्थित बेड़े में कभी खड़ी रहने वाली मर्सिडीज और लैंड क्रूजर जैसी गाडिय़ों पर लिखे नंबर फर्जी बताए जा रहे हैं। हालांकि उमेश पाल की हत्या के बाद वह गाडिय़ां कहां हैं? यह बात जांच में जुटी खुद पुलिस को भी नहीं मालूम। सूत्रों के द्वारा बताए जा रहे आरटीओ एप की रिपोर्ट पर गौर करें यह बात साबित होती है कि अतीक और उसका कुनबा ज्यादातर गाडिय़ों पर फेक नंबर प्लेट लगाकर चला करती थी।

अतीक के बेड़े में थे कई लक्जरी वाहन
चकिया निवासी अतीक अहमद अपराध की दुनिया में आने के बाद दौलत के ढेर पर जा बैठा। धन और बाहु बल हासिल करने के बाद उसके शौक भी बढ़ते चले गए। अतीक अहमद और उसके कुनबे को लक्जरी गाडिय़ों से काफी लगाव था। बताते हैं कि सिरे माकूल थे तो अतीक के चकिया स्थित आवास के बेड़े में कई लक्जरी गाडिय़ां हुआ करती थीं। इन गाडिय़ों में मर्सिडीज से लेकर लैंड क्रूजर जैसी गाडिय़ां शामिल थी। इन गाडिय़ों के बेड़े में एक जीप भी थी जिसे अतीक खुद अपने नाम से चार लाख रुपये में 1994 में खरीदा था। बताते हैं कि यह जीप अतीक के जीवन की पहली गाड़ी थी जिसे मोडिफाई करा कर वह फर्राटे भरा करता था। बेड़े में खड़ी मर्सिडीज और लैंड क्रूजर, बीएमडब्लू जैसी गाडिय़ों का समावेश हुआ करता था।

नई दिल्ली के फूड कंपनी के नाम सा था रजिस्ट्रेशन

जानकार बताते हैं कि बेटे में उस वक्त मौजूद जिस बीएमडब्लू से उसका बेटा उमर चला करता था उस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नई दिल्ली की एक फूड कंपनी के नाम से है। इससे यह माना जा रहा है कि हो सकता है अतीक उस बीएमडब्लयू गाड़ी पर नंबर ही फेक लिखा गया हो। सूत्र कहते हैं कि आरटीओ के एप से सर्च किया गया तो गाड़ी का नंबर न्यू डेलही एक फूड कंपनी के नाम सामने आया है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि हो सकता है इस गाड़ी पर नंबर ही फेर्जी लिखा गया हो। आरटीओ कार्यालय से प्राप्त आरसी पर अतीक के घर खड़ी रहने वाली कुछ गाडिय़ों रजिस्ट्रेशन पर नंबर शो ही नहीं कर रहा है। विभागीय जानकार कहते हैं कि आरसी पर गाडिय़ों का डिटेल नहीं शो करने का मतलब है कि नंबर फेक है। मतलब यह कि अतीक व उसकी फेमिली गाडिय़ों पर फर्जी नंबर लिखकर चला करती थी। हालांकि यह गाडिय़ां अतीक के दरवाजे पर उस

कहां गईं वे गाडिय़ां किसी को पता नहीं?
लक्जरी गाडिय़ों पर फर्जी नंबर लिख कर चलने चलने के पीछे एक बड़ी वजह मानी जा रही है। क्राइम एक्सपर्ट का कहना है कि अतीक अपराध की दुनिया का मास्टर माइंड था। गाडिय़ों पर फेक नंबर लिखने के पीछे की बाड़ी वजह थी कि कभी घटना के बाद यदि कोई नंबर नोट करे तो सीधे उसका नाम सामने नहीं आए। हालांकि दिन गर्दिश में आते ही वह सारी गाडिय़ां कहां गईं अब इस बात की जानकारी किसी को नहीं है। खुद पुलिस भी इन गाडिय़ों के बारे में नहीं बता पा रही है। अतीक दूसरों की गाडिय़ों का फर्जी नंबर लिख कर चलता था या फिर दूसरे लोग उसे अपने नाम की गाडिय़ां गिफ्ट किया करते थे। यह दो साल ऐसे हैं जो पुलिस के लिए काफी अहम साबित हो सकते हैं।