प्रयागराज (ब्यूरो)। नाटक बढ़ती हुई जनसंख्या दबाव के कारण मकान की समस्या पर एक हास्य व्यंग है, मकान मालिक जगन्नाथ ने अपने मकान में किरायेदारी के लिए शर्त रखी थी कि वह केवल कुंवारे लोगों को ही किराए पर कमरा देगा। शादीशुदा लोगों को कमरा बिल्कुल नहीं देगा। मकान मालिक अपने घर में लड़कों का किरायेदार के रूप में ठहराकर अपनी मोटी लड़की गुलाबदान की शादी उनसे करना चाहता है। परिस्थितियों के कारण जनित हास्य से उसके यहां दो शादीशुदा जोड़े कुंवारे बनकर किराये का कमरा लेते हैं। जिससे हास्य व्यंग के बीच अंत में जगन्नाथ को सीख मिलती है कि और वो केवल कुंवारों को नहीं बल्कि शादीशुदा को भी किराये पर कमरा देने पर तैयार हो जाता है। नाटक में जगन्नाथ के पात्र में शैलेश कुमार श्रीवास्तव, गुलाबदान के रूप में रूपा सहाय, निमाई के रूप में जुमर मुश्ताक, हेमा बानो, तनु सोनकर, यश गोस्वामी और स्वेक्षा श्रीवास्तव ने अपने अभिनय से दर्शकों की खूब वाहवाही पाई।