प्रयागराज ब्यूरो । वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत प्रयागराज के लिए चयनित मूंज प्रोडक्ट्स को कुंभ के दौरान ग्लोबल पहचान दिलाने की तैयारी की गयी है। इसकी संभावना तलाशी गयी है गंगा जल में। गंगा जल के ढाई सौ एमएल से लेकर एक लीटर तक के कंटेनर तैयार किये जाएंगे। इन्हें मूंज से बने प्रोडक्ट्स की खूबसूरत पैकिंग में इसे सेल किया जायेगा। पैकिंग को इस लेवल का अट्रैक्टिव बनाया जायेगा कि इसे परचेज करने वाला इसे किसी भी कीमत पर वेस्ट नहीं करना चाहेगा। इससे मूंज क्राफ्ट का विस्तार होगा और इसे ग्लोबल मार्केट में नयी पहचान मिलेगी। इस लक्ष्य पर काम शुरू कर दिया गया है। कुंभ को टारगेट किया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें टूरिज्म परपज से आने वाले लोग भी बड़ी संख्या में होंगे।
इको फ्रेंडली होंगी
मूंज से बने प्रोडक्ट वैसे भी इको फ्रेंडली होते हैं। प्रयागराज में तैयार होने वाले प्रोडक्ट अट्रैक्टिव तो हैं लेकिन इसकी सेल का बड़ा बेस तैयार होना अभी भी बाकी है। गवर्नमेंट की तरफ से इसे लगातार प्रमोट किया जा रहा है ताकि इसकी डिमांड क्रिएट हो और इससे जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति भी संवरे। कुंभ के दौरान मूंज से बने प्रोडक्ट्स की ब्रांडिंग गंगा जल को एड करके की जाएगी। प्लान के अनुसार त्रिवेणी का जल धातु से बने कलश और बोतलों में होगा। जिसे अट्रैक्टिव और सुरक्षित आधार प्रदान करने के लिए मूंज की डिजाइनर डलियां तैयार की जा रही हैं।
महेवा है बड़ा सेंटर
शहर से लगे नैनी के महेवा गांव को मूंज के उत्पाद बनाने के लिए सेंटर के तौर पर डेवलप किया गया है। यहां स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को डिजाइनर डलियां बनाने की जिम्मेदारी दी गयी हैं। त्रिवेणी का जल एक लीटर, आधा लीटर और 250 मिली के पैङ्क्षकग में होगी। इसी के अनुसार डलिया तैयार करने की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सौंपा गया है। बता दें कि कुंभ के दौरान संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए आने वालों में गंगा जल साथ ले जाने का क्रेज होता है। इसी क्रेज को मूंज की ब्रांडिंग में कैश करने के प्लान को जमीन पर उतारने की तैयारी है। शहर के सभी बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर बोतल बंद और कलश में त्रिवेणी का जल उपलब्ध होगा। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इस जिम्मेदारी को निभाएंगी।
शुरू किया जा रहा स्टार्टअप
उपायुक्त एनआरएलएम राजीव कुमार ङ्क्षसह के मुताबिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह स्टार्टअप शुरू किया जा रहा है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन एक हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को इसके लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन महिलाओं को रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड व अन्य धार्मिक स्थानों पर गंगाजल की बिक्री का प्रशिक्षण दिया जाएगा। काम और रिस्पांस अच्छा रहा तो इनकी संख्या भी बढ़ाई जाएगी। इससे महिलाएं आत्मनिर्भर भी बनेंगी।
महाकुंभ को देखते हुए यह विशेष व्यवस्था सरकार के निर्देश पर की जा रही है। इसका पूरा खाका तैयार किया जा चुका है। रेल और परिवहन विभाग के अधिकारियों से भी इसे लेकर समन्वय स्थापित किया जा रहा है।
राजीव कुमार ङ्क्षसह, उपायुक्त एनआरएलएम