प्रयागराज ब्यूरो । इंसान मछलियों का सेवन करता है क्योंकि यह लाइट होती है और जल्दी डायजेस्ट हो जाती है। कुछ लोग इसे शुभ, अशुभ से भी जोड़कर देखते हैं। कई बार गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने में भी इसका रोल सामने आता है। इसके अलावा देशभर में लाखों लोगों को रोजगार दिलाने वाली मछलियों की नई प्रजाति गंबूजिया अब मानव शरीर की रक्षा के लिए आ गयी है। नगर निगम को भी इस प्रजाति की मछली पर भरोसा हो चला है। फिलहाल उसे इस प्रजाति की मछलियां मुफ्त में उपलब्ध हो रही हैं तो वह इस एक्सपेरीमेंट में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहता है। सोमवार से इसका आगाज कर दिया गया है।
फॉगिंग टिकाऊ इलाज नहीं
गर्मी का सीजन आ चुका है। पिछले दस दिनो के भीतर मौसम में काफी उतार-चढ़ाव भी देखने को मिला है। यह स्थिति मच्छरों के लिए बेहद अनुकूल है। इस सीजन में उनके लार्वा पनपने लगते हैं जो बारिश आने से पहले ही बीमारियां फैलाना शुरू कर देंगे। नगर निगम की तरफ से पहले एंटी लार्वा के छिड़काव का सहारा लिया जाता था। यह प्रक्रिया बेहद जटिल है क्योंकि इनके पनपने का स्थान घर-घर होता था। कूलर में पानी इकट्ठा होने पर भी लार्वा पनपने लगते थे। इस स्थिति में हर स्थान पर एंटी लार्वा का छिड़काव टॅप टॉस्क होता था। दूसरा नंबर फागिंग का आता था। फागिंग करके मच्छरों का प्रकोप कम किया जाता था। यह भी बहुत टिकाऊ प्रयोग नहीं था। इसका बड़े पैमाने पर फायदा समझ में नहीं आता था। फागिंग न होने की शिकायतें भी बड़ी संख्या में आती थीं।
मत्स्य पालक ने कराया उपलब्ध
नगर निगम अपने स्तर पर जो कुछ भी सोच रहा था उससे इतन मत्स्य पालक जियाउल इस्लाम भी अपने स्तर पर लगे हुए थे। उन्होंने गंबूजिया प्रजाति की मछलियों को बंदायूं से मंगवाया गया। उन्होंने इसके बच्चे तैयार किये और पहले चरण में सवा लाख बच्चों की खेप नगर निगम को फ्री ऑफ कास्ट हैंडओवर की। इन्हीं बच्चों को लेकर फाफामऊ, शांतिपुरम, मोरहू गांव, हथिगहां, नैनी, सड़वा कला नैनी, झूंसी, अंदावा, बम्हरौली, कटुहला गौसपुर, मुंडेरा मंडी परिसर, म्योर रोड तालाब, नगर निगम कैंपस फौव्वारा स्थल, छीतपुर मलिन बस्ती, तालाब नवल राय तालाबा में छोडऩे के लिए नगर निगम के अफसर खुद पहुंचे थे। उन्होंने बच्चों को तालाबों में छोडऩे के बाद फोटो और लाइव लोकेशन भी शेयर की। बताया गया कि एक महीने के भीतर पांच लाख से अधिक गंबूजिया के बच्चों को तालाब में छोड़ा जायेगा।

गंबूजिया की खासियत
गंबूजिया मछली पानी में मच्छरों के लार्वा को अपना शिकार बनाती है। इसे भोजन की तरह इस्तेमाल करती है। यह इसमें सफल होती है क्योंकि मच्छरों का लार्वा पानी में ऊपर तैरता है और इस मछली का मुंह ऊपर की तरफ खुला रहता है। इससे यह लार्वा को बिना समय गंवाए खा जाती है। यह ऐसी मछली होती है जो बच्चे पैदा करती है। एक बार में 80 से 120 बच्चों को जन्म देती है। अपने शरीर से 40 गुना लार्वा यह खा जाती है।

जलभराव वाले स्थानों पर मच्छरों का लार्वा अधिक उत्पन्न होता है। मछली की गंबूजिया प्रजाति की खासियत यह है कि यह डेंगू और मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के लार्वा को चट कर जाती है। इससे वे मच्छर के रूप में आ ही नहीं पाते। एक महीने में पांच लाख मछलियां तालाबों में छोडऩे का लक्ष्य है।
अरविंद राय
अपर नगर आयुक्त