प्रयागराज ब्यूरो । शहर के तेलियरगंज फाफामऊ गंगा नदी में बने कर्जन पुल का भविष्य फाइलों में दफन हो गया है। अंग्रेजों द्वारा बनाए गए इस ऐतिहासिक ब्रिज को पर्यटन के रूप में डेवलप करने की कवायद दम तोड़ चुकी है। पांच साल पूर्व इस ब्रिज को पिकनिक स्पॉट के रूप में डेवलप करने का प्लान बनाया गया था। इसके लिए दिन रात एक करके जिले से अधिकारियों के द्वारा प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। इस फाइल को शासन स्तर से स्वीकृति भी मिल गई थी। पुल की क्षमता को परखने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा कानपुर टेक्निकल टीम से रिपोर्ट मांगी गई थी। टीम कई बार इस पुल का सर्वे की। इस बीच मालूम चला कि रेवले के द्वारा इस ब्रिज को कंडम घोषित कर दिया गया है। बस हीं से इस ब्रिज को पिकनिक स्पॉट के रूप में डेवलप करने की कवायद दम तोड़ गई। यही दो कारण हैं जिसकी वजह से आज तक यह काम पूरा नहीं हो सका। इस तरह लोगों को दिखाया गया सपना आज तक पूरा नहीं हो सका।
जानें ब्रिज का इतिहास
ट्रेन और सड़क यातायात के लिए फाफामऊ गंगा नदी में पुल बनाने की स्वीकृति अंग्रेजों ने 1901 में दी थी। पर्यटन विभाग के मुताबिक वर्ष 1901 में इस पुल का निर्माण शुरू हुआ था।
करीब 61 मीटर लंबा इस ब्रिज को 15 पिलर के सहारे तैयार किया गया था। बताते हैं कि ब्रिटिस काल में बनकर तैयार इस ब्रिज को 15 जून 1905 में रेल यातायात के लिए खोला गया था।
उस वक्त रेल खण्ड का संचालन अवध व रूहेलखंड रेलवे किया करता था। पर्यटन विभाग में मौजूद दस्तावेजों पर गौर करें तो 20 दिसंबर 1905 को इस ब्रिज के ऊपर से सड़क यातायात की शुरुआत की गई थी।
उस वक्त वायसराय रहे लार्ड कर्जन ने इस ब्रिज के निर्माण में महती भूमिका निभाई थी। इसी लिए इस ब्रिज को आज भी लोग कर्जन पुल के नाम से जानते हैं और पहचानते हैं।
वर्षों तक इस ब्रिज से यातायात का संचालन हुआ। इस पुल को 1098 में इस ब्रिज से ट्रैफिक संचालन को बंद करने का निर्णय लिया गया था।
क्योंकि इसे रेलवे ने कंडम घोषित कर दिया था। तब से यह ऐतिहासिक ब्रिज के संरक्षण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गाय।
कुंभ से पहले शुरू हुई थी कवायद
वर्ष 2019 में लगने वाले कुंभ से एक साल पूर्व 2018 में इस पुल को रिनोवेट करके पिकनिक स्पॉट के रूप में डेवलप करने की पहल शुरू हुई। यह पहल पर्यटन विभाग की ओर से की गई थी। अधिकारियों द्वारा पुल का निरीक्षण करके कुंभ के पूर्व इसे रिनोवेट करने की योजना बनाई गई। दिन रात एक करके पर्यटन विभाग द्वारा प्रस्ताव की फाइल शासन को भेज दी गई। शासन के द्वारा इस प्रस्ताव को हरी झण्डी दे दी गई थी। शासन की स्वीकृति मिलने के बावजूद आज तक दुर्दशा का शिकार इस ब्रिज का स्वरूप नहीं बदल सका। विभागीय लोग इसकी दो बड़ी वजह बताते हैं। पहला कारण रेवले के द्वारा इस ब्रिज को कंडम घोषित कर दिया गया है।
1902
में फाफामऊ कर्जनपुल का निर्माण हुआ था शुरू
1901
में मिली थी इस पुल को बनाने की स्वीकृति
61
मीटर लंबे इस ब्रिज में 15 पिलर का हुआ है प्रयोग
1998
दूसरी वजह ये कि पर्यटन विभाग द्वारा कानपुर टेक्निकल टीम से मांगी गई पुल की क्षमता से सम्बंधित रिपोर्ट का नहीं आना है। इन्हीं दोनों कारणों के चलते इस पुल का भविष्य फाइलों में दफन हो गया है। अब अधिकारी इस लिए भी हाथ नहीं लगा रहे क्योंकि कंडम घोषित किए गए इस ब्रिज पर यदि कोई हादसा हुआ तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। कुल मिलाकर सारी मेहनत व लोगों को दिखाए गए सपने सब बर्बाद हो गए।
पुल का टेक्निक रिपोर्ट आना अभी शेष है। क्योंकि रेवले ने इस ब्रिज को कंडम घोषित कर दिया है। टेक्निकल रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में आगे कुछ कहा जा सकता है।
बीरेश कुमार, उप निदेशक पर्यटन