प्रयागराज ब्यूरो । कोई भी विकास प्राधिकरण डेवलपमेंट चार्ज वसूलने के लिए अधिकृत है। लेकिन, इसमें एक क्लॉज यह भी है कि सभी प्रापर्टी पर डेवलपमेंट चार्ज वसूल नहीं किया जा सकता है। इस स्थिति को स्पष्ट किया है जिला उपभोक्ता फोरम ने अपने एक फैसले में। इस फैसले से प्रयागराज विकास प्राधिकरण को तगड़ा झटका लगने वाला है क्योंकि उसे सिर्फ मूल धन ही नहीं लौटाना है। फोरम के फैसले के अनुसार उसे प्रत्येक वर्ष का 18 फीसदी ब्याज भी देना होगा।
जार्जटाउन का मामला
यदि आप कानूनन सही हैं तो आप के साथ की गई नाइंसाफी पर इंसाफ जरूर मिलेगा। यह बात दीगर है कि न्याय के लिए लड़ी जाने वाली जंग में वक्त वर्षों लग जाय। अपने पूर्वजों के साथ की गई नियम विरुद्ध वसूली की भी लड़ाई आप लड़ सकते हैं। ऐसे ही एक मामले में एडीए अब पीडीए को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग से तगड़ा झटका लगा है। महिला की मौत के बाद उसके बेटे द्वारा आयोग के सामने एडीए के खिलाफ 2016 में वाद दायर किया गया। इस वाद में एडीए द्वारा परिवादी की मां से नियम विरुद्ध लिया गया विकास शुल्क ब्याज के साथ वापस करने के आदेश दिए गए हैं। यह पूरा मामला वर्ष 2010 से सम्बंधित बताया गया।

2010 में खरीदी जमीन
शहर के टैगोर टाउन मोहल्ले के रहने वाले राज नारायण पांडेय यह परिवाद 2016 में दायर किया था। दायर किए गए वाद में उन्होंने बताया था कि उसकी मां चंद्रकली ने इलाहाबाद विकास प्राधिकरण के जोन संख्या एक के भूखण्ड संख्या 56 जार्जटाउन विस्तार योजना में 220 वर्ग गज प्लाट खरीदा था। जमीन पर मकान बनवाने के लिए उन्होंने नक्शा पास करने को आवेदन किया। जमीन पर तैयार होने वाले मकान का नक्शा बनवाकर उन्होंने मंजूरी कि लिए एडीए में दो फरवरी 2010 को दाखिल किया।
नोटिस करके जमा कराया
इस आवेदन पत्र को संज्ञान लेकर संयुक्त सचिव एडीए ने चंद्रकली को एक पत्र भेजा। इसमें कहा गया कि प्रस्तावित मानचित्र सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान करते हुए अतिरिक्त औपचारिकताएं पूर्ण करनी होगी। इसमें उन्हें एक लाख 35 हजार दो सौ रुपये जमा करने के निर्देश दिए गए थे। जानकारी के अभाव में गृहणी चंद्रकली ने इस रकम का भुगतान कर दिया।
शुल्क एप्लीकेबल नहीं
वाद दाखिल करने वाले चंद्रकली के बेटे ने उपभोक्ता फोरम में अपना पक्ष रखते हुए बताया कि जिस जमीन को उनकी मां ने खरीदा था वह भूखण्ड इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट का था। इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की जमीन पर डेवलपमेंट चार्ज एप्लीकेबल नहीं होता। इसलिए नियमानुसार उसमें विकास शुल्क देय नहीं था। फिर भी एडीए ने आठ मई 2010 को उनकी मां से 88 हजार 70 रुपये जमा करवा लिये। इसके अतिरिक्त 62,000 रुपये जल मूल्य तथा मलबा शुल्क 2886 रुपये और निरीक्षण शुल्क के नाम पर 1069 रुपये जमा कराए गए।

मां के मरने पर पता चला
वाद दाखिल करने वाले राज नारायण पांडेय का कहना है कि इसकी जानकारी उन्हें मां की मौत के बाद हुई। इसके बाद उन्होंने 2013 में इलाहाबाद विकास प्राधिकरण के वीसी से शिकायत की और अवैध रूप से जमा कराया गया धन वापस लौटाने की मांग की। उन्होंने कई बार रिमाइंडर भी दिया लेकिन एडीए की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं आया। इसके बाद उन्होंने उपभोक्ता फोरम में केस दायर करने का फैसला लिया।


पीडीए वापस करे पैसा
मामले में पक्ष रखने के लिए उपभोक्ता परितोष निवारण आयोग ने प्रयागराज विकास प्राधिकारण को पक्ष रखने का मौका दिया।
एवीडेंस पेश करने के लिए कहा तो पीडए की तरफ से अपनी बात भी रखी गयी
दस्तावेजों में उपलब्ध साक्ष्यों व दस्तावेजों के अवलोकन के बाद फोरम ने अपना फैसला सुनाया।
आयोग अध्यक्ष मो। इब्राहीम व सदस्य प्रकाश चंद्र त्रिपाठी ने आदेश दिया कि निर्णय की तिथि से दो महीने के अंदर विपक्षीगण परिवादी की मां से विकास शुल्क के नाम पर लिए गए 88 हजार 70 रुपये 18 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित विकास शुल्क के भुगतान की तिथि से परिवादी को दिया जाय।
फोरम ने वाद दाखिल करने वाले श्री पांडेय को मानसिक एवं शारीरिक क्षतिपूर्ति के रूप में दस हजार रुपये व दो हजार वाद व्यय भी दिए जाने के आदेश दिए हैं।