प्रयागराज (ब्‍यूरो)। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि प्रिंटेड प्रोफार्मा में न्यायिक आदेश पारित करना अस्वीकार्य है क्योंकि ऐसे आदेश देने में न्यायिक विवेक के उपयोग पर सवाल उठते हैं, इसलिए इससे बचना चाहिए। यह टिप्पणी जस्टिस सैयद कमर हसन रिजवी ने रोशन लाल उर्फ रोशन राजभर व अन्य की याचिका स्वीकार करते हुए की। कोर्ट ने न्यायिक मजिस्ट्रेट आजमगढ़ द्वारा पारित संज्ञान और समन आदेश रद कर दिया, जो आइपीसी की धारा 434, 506 के तहत एक मामले से संबंधित था। न्यायिक अधिकारी को पुलिस चार्जशीट पर विवेक का इस्तेमाल कर आदेश पारित करने का निर्देश दिया गया है।

न्यायिक दिमाग का इस्तेमाल करें
कोर्ट ने कहा, 'आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के आदेश सहित कोई भी न्यायिक आदेश पारित करते समय अदालत को न्यायिक दिमाग का इस्तेमाल करने की जरूरत होती है और यांत्रिक तरीके से संज्ञान लेने का आदेश पारित नहीं किया जा सकता.Ó याची अधिवक्ता का कहना था कि आवेदक और विपक्षी पार्टी नंबर दो के बीच विवाद विशुद्ध रूप से सिविल प्रकृति का है। अधीनस्थ अदालत ने मनमाने और यांत्रिक तरीके से सीआरपीसी की धारा 190 की भावना को दरकिनार करते हुए एक मुद्रित प्रोफार्मा पर समन एवं संज्ञान आदेश पारित किया।

यांत्रिक तरीके के बिना आपराधिक कार्रवाई
कोर्ट ने आक्षेपित आदेश का अवलोकन किया तथा पाया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कोर्ट की मुहर के ऊपर अपना संक्षिप्त हस्ताक्षर लगाकर और केवल केस नंबर, अभियुक्त का नाम, भारतीय दंड संहिता की कुछ धाराओं के आंकड़े भरकर एक मुद्रित प्रोफार्मा पर आदेश पारित किया है। पुलिस स्टेशन का नाम, आदेश जारी होने की तारीख और अगली तारीख तय कर दी। हाई कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि वर्तमान मामले में आक्षेपित संज्ञान और समन आदेश बिना किसी दिमाग का प्रयोग किए पारित किया गया है। मजिस्ट्रेट ने यांत्रिक तरीके से आपराधिक कार्रवाई शुरू की। जाहिर तौर पर बिना दिमाग लगाए एक मुद्रित प्रोफार्मा पर आक्षेपित संज्ञान व समन आदेश जारी कर आपराधिक कार्रवाई को शुरू किया।

चालक का मिला गाड़ी में शव
स्ह्रक्र्रह्रहृ (२१ छ्वह्वठ्ठद्ग, छ्वहृहृ): होलागढ़ मोड़ पर गुरुवार शाम एक युवक का उसी की गाड़ी में शव मिला। युवक घर से बुकिंग के लिए निकला था। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लिया। सोरांव के धामापुर गांव निवासी 40 वर्षीय मनोज यादव पुत्र पारसनाथ वाहन चालक है। बताया जाता है कि वह नशा का आदी था। गुरुवार सुबह घर से वह गाड़ी लेकर निकला था।
शाम को उसकी गाड़ी होलागढ़ मोड़ पर खड़ी देख आस पास के लोगों ने गाड़ी का दरवाजा खोला तो उसका शव गाड़ी में पड़ा मिला। उसके शरीर पर कई जगह झुलसने के निशान थे। जानकारी पर पहुंचे मनोज के स्वजन उसे निजी अस्पताल ले गए जहां डॉक्टर ने उसे मृत बताया। पुलिस ने बताया कि युवक का शव स्वजन घर लेकर चले गए थे। स्वजन ने पुलिस को बताया कि वह नशेड़ी था, नशे की हालत की हालत में ऐसी घटना हुई होगी। फिलहाल पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है, जिससे मृतक की मौत का पता चल सके।

वकील के चैम्बर में बुलाकर बैनामा लिपिक की पिटायी
ई स्टैंप में गड़बड़ी पर किया था इंकार, सब रजिस्ट्रार ने दिया आश्वासन
स्ह्रक्र्रह्रहृ (२१ छ्वह्वठ्ठद्ग, छ्वहृहृ): ई-स्टांप पर हुई गड़बड़ी पर बैनामे से इंकार करना उपनिबंधक कार्यलय के लिपिक को भारी पड़ गया। लिपिक को बार अध्यक्ष के चैंबर में बुलाकर कर मारपीट करने के साथ अभद्रता की गई। घटना से आक्रोशित लिपिक ने मामले की जानकारी उपनिबंधक को दी। मौके पर पहुंची उपनिबंधक ने लिपिक को कार्यवाही का आश्वासन देकर मामला शांत करवाया।

दूसरा स्टांप लगाने को कहने पर बहस
शुक्रवार को एक युवक उपनिबंधक कार्यालय बैनामे के लिए पहुंचा। जांच के दौरान ई स्टांप में गड़बड़ी मिली। इसके चलते लिपिक इंद्रमणि तिवारी ने दूसरा ई-स्टांप लगाकर लाने की बात कही। मामले में दोनों ओर बहस होने लगी। इसी बीच युवक सोरांव बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के चैंबर में चला गया। इंद्रमणि का आरोप है कि अध्यक्ष ने उसे चैंबर में बुलाया तो उ1त युवक वहां पहले से मौजूद था और उसके साथ गली गलौज करते हुए मारपीट की। घटना से आक्रोशित लिपिक ने कार्यालय पहुँच इसकी जानकारी उसने सब रजिस्ट्रार विभा द्विवेदी तिवारी को दी। मौके पर पहुंची रजिस्ट्रार ने मामले को संभाला और लिपिक को कार्रवाई का आश्वासन दिया जिसके बाद कार्य सुचारू रूप से शुरू हो सका। मामले को लेकर तहसील में चर्चा का विषय है। इस संबंध में उप निबंधक विभा द्विवेदी तिवारी ने बताया की मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी गयी है। शनिवार को इस मामले में आरोपित पर थाने में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।