प्रयागराज (ब्यूरो)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि भारत में किसी को भी अपनी मर्जी से धर्म बदलने की आजादी है बशर्ते धर्म परिवर्तन वैधानिक प्रक्रिया के तहत हुआ हो। कहा केवल मौखिक या लिखित घोषणा से धर्म परिवर्तन नहीं हो जाता, इसके विश्वसनीय साक्ष्य होने चाहिए। परिवर्तन वैध हो ताकि सरकारी पहचान पत्रों में दर्ज किया जा सके।
अखबारों में करावें विज्ञापन
कोर्ट ने कहा हलफनामा तैयार कर बहु प्रसारण वाले अखबार में विज्ञापन किया जाय ताकि लोग आपत्ति कर सकें। धोखे या अवैध परिवर्तन नहीं होना चाहिए। अखबार में नाम आयु पते का स्पष्ट उल्लेख हो। जिसकी जांच से संतुष्ट होने के बाद गजट में प्रकाशित किया जाय। अपर शासकीय अधिवक्ता ने इन बातों के सत्यापन के लिए कोर्ट से समय मांगा कि क्या धर्म परिवर्तन शादी के लिए किया गया है या वैधानिक प्रक्रिया अपनाकर अपनी मर्जी से किया गया है। याचिका की अगली सुनवाई 6 मई को होगी। यह आदेश जस्टिस प्रशांत कुमार ने सोनू उर्फ वारिस अली व दो अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। मालूम हो कि याची ने शिकायतकर्ता की नाबालिग बेटी से शादी की। जिससे एक बच्ची पैदा हुई है। दोनों साथ रह रहे हैं। याची का कहना है कि उसने अपनी मर्जी से प्रेम वश धर्म बदला है।