प्रयागराज (ब्यूरो)। प्रतियोगिता में जिले के 22 ब्लाकों में स्थित प्राथमिक व जूनियर प्राथमिक विद्यालय के छात्र व छात्राएं शामिल थे। प्रतिभागियों की मानें तो उन्हें ब्लाक से विभिन्न वाहनों के जरिए यहां तक लाया गया। सुबह आठ बजे ही बुलाया गया था, लिहाजा अधिकांश घर से बगैर खाए पिए ही खेल में हिस्सा लेने निकले थे। शहर स्थित केपी ग्राउंड में पहुंचने के बाद फन के मुताबिक खेल में जुट गए। दिन चढ़ता गया और उनकी भूख बढ़ती गई। एक सवाल पर कई प्रतिभागियों ने कहा कि सुबह से चार बज रहे हैं। उन्हें खाने के लिए कुछ नहीं मिला। ग्राउंड में पीने के लिए पानी तक की व्यवस्था नहीं है। प्रतिभागियों की इन बातों को लेकर जब मंच रहे विभागीय अफसरों व जिम्मेदारों से बात की गई तो वह जवाब देने से कन्नी काटने लगे। उनका कहना था कि प्रतिभागियों के खाने की व्यवस्था टीचर्स को करनी है। वहां प्रतियोगिता की जिम्मेदारी संभाल रहे शिक्षकों को यह तक मालूम नहीं था कि जिले में कितने प्राथमिक व जूनियर प्राथमिक विद्यालय हैं।
घर से सात बजे ही निकल आए थे। चूंकि आठ बजे शिक्षक द्वारा बुलाया गया था। चार बज रहे हैं, साहब खाने को कुछ नहीं मिला। आप दिलवा दीजिए। बहुत जोरों से भूख लगी है।
अमित कुमार जूनियर हाईस्कूल जमुई मऊआईमा
हम तो अपने से दो पैकेट बिस्किट खरीदकर खाए हैं। यहां कोई कुछ सुन ही नहीं रहा है। जाने होते तो घर से कुछ खाने के लिए लेकर आते। किसी तरह घर पहुंच जाय बस। बताए भी नहीं थे कि खाने के लिए कुछ लेकर आना।
अनन्त शर्मा, जूनियर हाईस्कूल जमुई मऊआईमा
हमारे गुरु जी केला समोसा खिलाए हैं। बाकी खाने के लिए यहां कुछ नहीं मिला। भूख तो लगी ही है, पर यहां कुछ मिलेगा क्या? सब खेलो-खेलो कर रहे, खाने के लिए कोई नहीं पूछ रहा।
रविता, प्राथमिक विद्यालय भरौटी हंडिया
हम यहां कबड्डी खेलने के लिए आए हैं। एक बार जीते भी हैं। खाने के लिए तो कुछ नहीं मिला। अब आए हैं तो खेलेंगे ही, चाहे जीते और चाहे हारें? खाना तो मिलेगा नहीं।
आदर्श, प्राथमिक विद्यालय भरौटी हंडिया