प्रयागराज (ब्‍यूरो)। भारतीय संस्कृति के समृद्ध बहुआयामी रंगों की कड़ी के रूप में पिरोकर उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, द्वारा 1 से 12 दिसंबर तक शिल्पहाट के प्रांगण में आयोजित 12 दिवसीय राष्टीय शिल्प मेले की दूसरी शाम लोकनृत्यों के नाम रही। सांस्कृतिक संध्या की शुरूआत रायबरेली से आए शीलू सिंह एवं दल ने आल्हा शैली में आल्हा गायन से की। उन्होंने आल्हा ऊदल महोबा वाले, जिनके बेड़ी वाहे तलवार, पृथ्वीराज दिल्ली वाले, जब महोबा को लियो घेराय, नदी बेतवा की घाटिन मां चमके, लाखन की तलवार की प्रस्तुति देकर पंडाल में बैठे लोगों में वीर रस से सराबोर कर दिया।

सीता स्वयंवर की मोहक प्रस्तुति
इसके बाद अनुज मिश्रा एवं साथी कलाकारों ने सीता स्वयंबर पर मनमोहक नृत्य नाटिक की प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया। वही लोकनृत्यों में जोथानपुइया रेन्थले एवं दल ने मिजोरम का चेरावं लोकनृत्य की प्रस्तुति देकर अपने प्रदेश की संस्कृति से रूबरू कराया। याकुम नाबम व दल ने रिखम्पदा नृत्य की प्रस्तुति से दर्शकों को आनन्दित किया। गुजरात का डांग और राजस्थान का चरी, घूमर नृत्य का दर्शकों द्वारा समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों की एकरूपता का दर्शन करते हुए गंगा- जमुनी तहजीब से सराबोर सांस्कृतिक संध्या का भी आनंद लिया। साथी कलाकारों में प्रीतम दास, आरती बघेल, शिवेंद्र सिंह, श्रेया वर्मा, दिव्यांशी मिश्रा ने साथ दिया। स्टार नाइट में कल सारेगामाप के विनर नवदीप वडाली रविवार को अपने सुरों का जादू बिखेरेंगे।

लोगों को लुभा रहा है शिल्प मेला
राष्ट्रीय शिल्प मेले में लगे 145 से ज्यादा स्टाल लोगों को खूब लुभा रहे हैं। दिल्ली का हैंडी क्राफ्ट, जर्मन सिल्वर, कश्मीर के ड्राई फ्र ट्स, भागलपुरी कलमकारी, लखनऊ की चिकनकारी साड़ी, कर्नाटक के खिलौने के साथ ही साथ सजावटी के सामन प्रयागवासियों को खूब पसंद आ रहे हैं। खाने पीने के साथ ही लोग मैदानी कलाकार की कला का आनंद ले रहे हैं।