प्रयागराज (ब्यूरो)।: शहर के अंदर जर्जर हो चुके मकानों में रहने वालों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन संजीदा नहीं हो रहा है। खुल्दाबाद थाने के आवास का बारजा गिरने से सोमवार को सिपाही का परिवार बाल-
बाल बच गया। दर्जनों ऐसे जर्जर मकान हैं जिसमें लोग परिवार के साथ बसर कर रहे हैं। यदि बारिश के दिनों में इन जर्जर मकानों की दीवार या छत गिरी तो बड़ा हादसा हो सकता है। इस तरह की पूर्व में हुई घटनाओं से भी जिम्मेदार सबक नहीं ले रहे हैं। वर्ष 2022 में मुट्ठीगंज हटिया चौराहा स्थित जर्जर मकान का छज्जा गिरने से पांच लोगों की मौत हो गई थी। करीब आधा दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसी तरह शाहगंज में भी जर्जर मकान के मलबे में दबने से बगल में निर्माणाधीन मकान में काम कर रहे दो मजदूरों की दबने से मौत हो गई थी। इन दोनों हादसे के बाद जिला प्रशासन के पीठ पर थोड़ी धूप लगी थी। आनन फानन जर्जर मकानों में रहने वालों की सूचनी बनाए के निर्देश दिए गए हैं। जिम्मेदारी नगर निगम को सौंपी गई। नगर निगम की टीम सर्वे के करके 150 जर्जर मकानों को चिन्हित की। उसमें रहने वालों को सुरक्षा के लिहाज से मकान खाली करने या फिर दुरुस्त कराने की हिदायत दी गई। आज तक किसी ने भी इस निर्देश पर अमल नहीं किया। लिहाजा बारिश में इन मकानों के गिरने का खतरा और बड़े हादसे की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

वक्त बीता और भूल गए अफसर
सिटी स्थित खुल्दाबाद थाने में पुलिस कर्मियों को रहने के लिए वर्षों पूर्व आवास बनाए गए थे। कुछ आवास इससे भी पहले के बने हैं। बताते हैं कि यह आवास काफी पुराना होने के कारण प्लास्टर पपड़ी की तरफ उखड़ रहे हैं। मकान इतना जर्जर हो चुका है कि कब गिर जाय कुछ कह पाना मुश्किल है। दबी जुबान पुलिस कर्मियों की मानें तो इस बेहद कमजोर हो चुके आवास का मेंटिनेंस नहीं किया जा रहा है। पुलिस के जवान व उनका परिवार जान हथेली पर रखकर इसमें रह रहा है। बताते हैं कि रविवार की देर शाम तगड़ी बारिश हो रही थी। इस बीच एक सिपाही का परिवार बारजे के नीचे बैठा हुआ था। कहते हैं कि इस बीच अचान बारजा गिर गया। गनीमत यह रही कि कोई कैजुअलिटी नहीं हुई। सिपाही सहित उसका परिवार बाल-बाल बच गया। यदि बारजे की तरफ वह लोग थोड़ा और आगे होते तो सिपाही या उसके परिजनों का घायल होना तय था। यह हादसा प्रशासनिक अफसरों की आंख खोलने के लिए पर्याप्त है। जवानों की मानें तो कई ऐसे थाने हैं जहां की बिल्डिंग काफी पुरानी व जर्जर है। जिसके अंदर जवानों को रहना पड़ता है। इनमें कोतवाली, अतरसुइया थाना प्रमुख रूप से शामिल है।


हादसे का इंतजार कर रहे क्या साहब?
जर्जर मकानों का बारजा या दीवार करने से पिछले वर्षों में हुए हादसों की याद खुल्दाबाद थाना परिसर का आवासीय बारजा करने से ताजा हो गई।
लोग पुरानी घटनाओं में जान गंवाने वालों की वह सीन याद करके सिहर गए। लोगों का कहना है कि शहर में कई सरकारी व प्राइवेट लोगों के मकान काफी जर्जर हैं।
बावजूद इसके तमाम लोग इस प्राइवेट जर्जर बिल्डिंग में परिवार संग रहने से बाज नहीं आ रहे हैं।
पिछले वर्ष 2022 में मुट्टीगंज व शाहगंज में हुए हादसे के बाद प्रशासनिक अफसर सक्रिय हुए थे।
जर्जर मकानों व उसमें रहने वालों को सर्च करके नगर निगम के अफसर भवन की मरम्मत नहीं कराने पर सुरक्षा के लिहाज छोडऩे के निर्देश दिए थे।
इसी तरह से करीब 150 जर्जर मकानों के मालिकों को विभाग ने नोटिस दी थी। नोटिस के बावजूद लोग वह जर्जर मकान का मेंटिनेंस तो दूर, छोडऩा तक मुनासिब नहीं समझ रहे।
नगर निगम द्वारा पिछले वर्ष हादसे के बाद सर्च किए गए यह ज्यादातर मकान शाहगंज, चौक, मुट्ठीगंज व दारागंज एवं कीडगंज थाना क्षेत्र में हैं।


इसलिए मौत से नहीं लगता खौफ

जानकार कहते हैं कि जर्जर मकान काफी पुराने हैं। जिसमें वर्षों से लोग कब्जा करके फ्री में या फिर चौ से 200 रुपये के किराए पर रहते हैं। ऐसे ज्यादातर भवन या तो किसी मंदिर हैं या फिर ट्रस्ट के अथवा अंग्रेजों के द्वारा छोडऩे पर पुस्तैनी कब्जे का है। इस जर्जर मकान में रहने वालों को मालूम है कि उन्हें यह मकान कभी भी छोडऩा पड़ सकता है। लिहाजा वह उसके मेंटिनेंस में रुपया खर्च करना गवारा नहीं समझ रहे। छोड़ भी देंगे तो रहेंगे कहां? उनके सामने यह भी एक बड़ा सवाल है। इतने क्रीप प्लेस पर ऐसा मकान चंद रुपयों में कहीं मिलेगा भी नहीं। लिहाजा उन्हें मौत से भी खौफ नहीं लग रहा।


मलबे में दबकर हुई थी पांच की मौत
जर्जर मकान का छप्पर गिरने से पांच लोगों की मौत का मामला बहुत पुराना नहीं है। पिछले पांच सितंबर 2022 को मुट्ठीगंज के हटिया चौराहे पर यह हादसा हुआ था। चौराहे के पास एक अखाड़ा का काफी पुराना ठाकुरद्वारा ट्रस्ट की मंदिर है। मंदिर के बगल एक जर्जर मकान था। इस जर्जर मकान के कमरे में लोग चाय, नाश्ता और जनरल मर्चेंट की दुकान खोल रहे थे। शाम का वक्त था सुनील उर्फ बबलू चाय वाले यहां ग्राहकों की भीड़ लगी थी। इसी बीच बारजा ढह गया था। पुलिस बताई थी कि मलबे में दबने से दुकानदार मुट्ठीगंज निवासी सुनील उर्फ बबलू, नीरज केसरवानी, चाय पीने आए मजदूर सरायममरेज निवासी नसीरुद्दीन, नैनी चाका निवासी श्यामबाबू व राजेंद्र प्रसाद की मौत हो गई थी। जबकि नैनी के ओक प्रकाश, सूरज पाल, विनोद, नीरज केसरवानी, मुट्ठीगंज के फिरोज, सुरेश व आशीष गंभीर रूप से घायल हो गए थे। करीब पंद्रह दिन तक इलाज के बाद सभी ठीक हुए थे।


शाहगंज में हुई थी दो लोगों की मौत
शाहगंज इलेक्ट्रानिक मार्केट के सामने वाली गली में 19 नवंबर 2022 को निर्माणाधीन मकान के बगल जर्जर मकान का बाजरा गिरने से मलबे में दबकर दो मजदूरों की मौत हो गई थी। बताते लें कि निर्माणाधीन मकान अवनीश सिंह का था। वह ठेकेदार संजय गुप्ता को निर्माण के लिए ठेका दे रखे थे। अवनीश के पड़ोसी सौरभ सिंह के जर्जर मकान का अगला हिस्सा अचानक गिर गया था। इसी मलबे में दबने से निर्माणाधीन मकान में काम कर रहे दो मजदूरों की मौत हो गई थी। इसी वर्ष 15 नवंबर को बहादरुगंज में जर्जर मकान गिरने से कई मवेशी की मौत हो गई थी।


पिछले वर्ष जर्जर मकानों को चिन्हित करने की कार्रवाई हुई थी। करीब 150 जर्जर बिल्डिंग में परिवार संग रहने वालों को सुरक्षा के मद्देनजर खाली करने या उसे दुरुस्त कराने की नोटिस दी गई थी। बावजूद इसके किसी ने ध्यान नहीं दिया। हम किसी को उनके मकान से हटा नहीं सकते। रही बात सरकारी भवन की तो उसका विभाग खुद मेंटिनेंस कराता है।
सतीश कुमार, मुख्य अभियंता नजर निगम