कोरोना की दूसरी लहर के पीक के पास सिर्फ आरटीपीसीआर जांच पर कर दिया गया फोकस

कोरोना के लक्षण की आरटीपीसीआर जांच माइक्रोबायोलॉजी लैब में 10 लाख पहुंचने के करीब है। लोगों को कोरोना से बचाए रखने के लिए सरकार इस जांच की मुफ्त सुविधा दे रही है। दूसरी लहर में कोरोना के चरम पर पहुंचने से लेकर अब तक लैब में छह हजार जांचें प्रतिदिन हो रही हैं। यह आंकड़े उनके लिए ज्यादा जरूरी हैं जो अपनी बीमारी छुपाकर कोविड-19 वायरस को न्यौता दे रहे हैं।

अब नीचे गिर रहा है ग्राफ

बीते करीब एक सप्ताह से कोरोना की चाल सुस्त पड़ चुकी है लेकिन, कोविड जांच में कमी मामूली ही है। प्रतिदिन औसत 10 हजार लोगों के नमूने लिए जा रहे हैं। इनमें आरटीपीसीआर, ट्रूनेट और एंटीजन जांच हो रही है। सबसे ज्यादा समय आरटीपीसीआर जांच में ही लगता है। करीब 24 घंटे में इसकी रिपोर्ट मिलती है। आरटीपीसीआर जांच के लिए मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब को किट अभी केजीएमसी लखनऊ से मिल रही है। लेकिन जांच कर्ताओं की मानें तो प्रत्येक जांच पर छह से सात सौ रुपये खर्च आता है। विभिन्न अस्पतालों में हो रही ट्रूनेट जांच पर करीब 1500 रुपये और एंटीजन किट से जांच पर ढाई से तीन सौ रुपये खर्च आता है।

कौशांबी-मिर्जापुर से भी आते हैं नमूने

मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में प्रयागराज के अलावा कौशांबी और मीरजापुर से भी नमूने आते हैं। जबकि जनवरी 2021 तक इसमें प्रतापगढ़ से आने वाले नमूनों की आरटीपीसीआर जांच होती रही है। माइक्रोबायोलॉजी लैब की प्रभारी डा। मोनिका का कहना है कि जांच की संख्या अगले सप्ताह 10 लाख पहुंच जाएगी। प्रत्येक दिन करीब 6000 जांचें हो रही हैं।