प्रयागराज ब्यूरो अतीक अशरफ हत्याकांड की जांच पर सवा करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। शासन ने हत्याकांड को लेकर उच्च स्तरीय न्यायिक आयोग का गठन किया था। जिसमें आयोग का अध्यक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश को बनाया गया। पांच सदस्यीय आयोग ने मामले की जांच की है।

15 अप्रैल को हुई थी हत्या

बीते 15 अप्रैल की रात अतीक और अशरफ की हत्या कॉल्विन अस्पताल में की गई। दोनों को कॉल्विन अस्पताल मेडिकल के लिए ले जाया गया था। जहां पर दोनों को गोली मारी गई। अतीक अशरफ अस्पताल के बाहर लाए जा रहे थे, इस दौरान वहां पर बड़ी संख्या में मीडिया कर्मी मौजूद थे। मीडिया के कैमरों के सामने अस्पताल में लवलेश तिवारी, अरुण मौर्य और सनी ने अतीक और अशरफ को गोली मार दी। मौके पर ही दोनों की मौत हो गई। पुलिस कस्टडी में दोनों भाइयों की हत्या की खबर पूरे प्रदेश में चचा का विषय बनी।

शासन ने गठित किया आयोग

पूर्व सांसद अतीक और उसके भाई की हत्या पर पूरे प्रदेश में प्रतिक्रिया हुई। जिस पर शासन ने उच्च स्तरीय आयोग का गठन किया। जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिलीप बाबा साहब भोसले को अध्यक्ष, झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह को उपाध्यक्ष, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अरविंद कुमार त्रिपाठी को सदस्य, पूर्व पुलिस महानिदेशक सुबेश कुमार सिंह को सदस्य, सेवानिवृत्त न्यायाधीश बृजेश कुमार सोनी को सदस्य बनाया गया। इसके अलावा राहुल अग्रवाल को एमआईकस क्यूरी और निखिल मिश्रा को अधिवक्ता को नियुक्त किया गया।

न्यायिक आयोग ने की है जांच

अतीक अशरफ हत्याकांड को लेकर न्यायिक आयोग ने कई बार जांच की। पुलिस वालों के बयान लिए। साथ ही मौका-ए-वारदात पर आसपास मौजूद लोगों के बयान लिए। मीडियाकर्मियों से भी जानकारी ली गई। आयोग को एक करोड़ चौंतीस लाख रुपये का भुगतान किया गया है।