आगरा(ब्यूरो)। World Olympic Day 2023: साउथ एशियन गेम्स में एथलेटिक्स में 2019 में ब्रॉन्ज जीतकर देश का नाम रोशन कर चुकी हैैं। आगरा की बेटी मनीषा कुशवाह ने बताया कि आगरा में खिलाडिय़ों के लिए सुविधाओं का अभाव है। यहां पर एकलौता स्टेडियम है। यहां पर भी केवल घास का मैदान है। जबकि ओलंपिक, इंटरनेशनल, नेशनल और अब तो स्टेट लेवल मैच भी सिंथेटिक पर ही होते हैैं। खिलाडिय़ों के लिए सिंथेटिक ट्रैक की व्यवस्था होनी चाहिए।
खुद की जमीन पर मैदान बना तैयारी कर रहे खिलाड़ी
मनीषा कुशवाह, कौशल रावत जैसे इंटरनेशनल खिलाडिय़ों के कोच अल्पेश ठाकुर बताते हैैं कि आगरा में सुविधाएं बढ़ाई जाएं तो यहां से विश्व पटल पर खिलाड़ी देश का नाम रोशन करेंगे। सरकार को खिलाडिय़ों और खेल के प्रोत्साहन को लेकर ध्यान देना चाहिए। अल्पेश ने बताया कि वह फतेहाबाद में अपने खेत में ही मैदान बनाकर खिलाडिय़ों को ट्रेनिंग दे रहे हैैं। उन्होंने अपने घर में खिलाडिय़ों के लिए नि:शुल्क रहने का प्रबंध किया है। उनके कई खिलाड़ी में अब तक कई नेशनल क्वॉलिफाई कर चुके हैैं।
सुविधाओं का अभाव
मनीषा 2022 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गोल्ड और 2023 ऑल इंडिया पुलिस में गोल्ड मेडल जीत चुकी है। इंटरनेशनल एथलीट कौशल रावत ने कहा कि आगरा में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, बस उन्हें तराशने की जरूरत है। अच्छे कोच तैनात किए जाएं और उनमें विजन होना चाहिए, ताकि वो खिलाडिय़ों को ओलंपिक के लिए तैयार कर सकें। एक-दो साल में ओलंपियन तैयार नहीं होते, इसके लिए सात-आठ साल तक तैयारी करनी पड़ती है। स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाए जाएं, जिनमें सिंथेटिक ट्रैक से लेकर स्वीमिंग पूल तक होना चाहिए।
अन्य खेलों में भी सुविधाओं की कमी
आगरा में अन्य गेम्स में भी सुविधाओं की कमी है। हॉकी के लिए एस्ट्रोटर्फ तो बनाया गया है लेकिन इसका साइज ही छोटा है। यहां पर केवल आठ खिलाडिय़ों के लिए ही मैदान बनाया गया है। जबकि नेशनल, इंटरनेशनल में 11 खिलाड़ी खेलते हैैं। इसके साथ ही अन्य खेलों के लिए भी पर्याप्त सुविधाएं नहीं है।
संसाधनों का है अभाव
-एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम ही एकमात्र जगह है।
-एथलेटिक्स में कई इवेंट होते हैं लेकिन कोच केवल एक ही है।
- सिंथेटिक ट्रैक नहीं है जबकि नेशनल से लेकर ओलंपिक तक सिंथेटिक पर ही गेम्स होते है।
-खिलाडिय़ों को जिम, स्वीमिंग पूल आदि की सुविधाएं नहीं मिल पाती।
यह किया जाए
-स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाए जाएं, जहां खिलाडिय़ों के लिए सभी सुविधाएं हों।
-सिंथेटिक ट्रैक बनाया जाए।
-एथलेटिक्स के इवेंट के अनुसार योग्य कोच तैनात किए जाएं।
-स्थायी कोच तैनात हों, इससे बार-बार कोच बदलने से खिलाडिय़ों को परेशानी न हो।
ओलंपिक में इन एथलीट ने बढ़ाया है आगरा का मान
- हॉकी में जगबीर सिंह ओलंपिक में दो बार भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया है।
-वर्ष 1974 में तेहरान में हुए एशियन गेम्स में बाह के विजय सिंह चौहान ने डकेथलान में स्वर्ण पदक जीता था।
-वर्ष 1978 में हुए एशियन गेम्स में बाह के रतन सिंह भदौरिया ने 1500 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता था।
-वर्ष 2016 के रियो ओलिंपिक में बाह के अंकित शर्मा ने लंबी कूद में भाग लिया।
आगरा में एथलेटिक्स के खिलाडिय़ों के लिए उचित सुविधाओं का अभाव है। हरियाणा में खेल सुविधाएं भी हैैं।
- कौशल रावत, इंटरनेशनल एथलीट
हरियाणा में सरकार राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के पदक विजेता खिलाडिय़ों को पैसे देती है, जबकि उप्र में ऐसा नहीं होता है। इससे खिलाडिय़ों को प्रोत्साहन तक नहीं मिल पाता है।
- सचिन गुर्जर, एथलीट
आगरा में टैलेंट की कोई कमी नहीं है। खिलाडिय़ों को बस अच्छी सुविधाएं और सही गाइडेंस की जरूरत है। सुविधाओं के अभाव में खिलाड़ी आगे नहीं जा पाते।
- मनीषा कुशवाह, इंटरनेशनल एथलीट