अखिल कुमार
आगरा(ब्यूरो)। नागपुर विश्वविद्यालय के प्रो। जीएस खाडेकर ने शनिवार डॉ। बीआर अंबेडकर यूनीवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ बेसिक साइंस (आईबीएस) के मैथ विभाग में आयोजित एक वर्कशाप के दौरान यूनीवर्स से जुड़ी कई ऐसी जानकारियों को साझा किया जिसके प्रमाण इसरो के पास हैं। संभावनाओं पर परिचर्चा के दौरान उन्होंने स्टूडेंट्स और गेस्ट को ब्लैक होल के साथ-साथ व्हाइट होल के अस्तित्व के संबंध में एवीडेंस भी दिए।
क्या है ब्लैक होल?
प्रो। खाडेकर ने हाल में पब्लिश अपने पेपर्स का रिफरेंस देने हुआ ब्लैक होल पर लंबी परिचर्चा की। उन्होंने बताया कि यूनीवर्स से ऊपर ब्लैक होल है इसकी परिकल्पना सर्वप्रथम साइंटिस्ट स्टीफन हॉकिंग ने 1970 में दुनिया के समक्ष रखी थी। ब्लैक होल की प्रमाणिकता की पुष्टि पर 2020 में साइंटिस्ट रोजर पेनरोज, रेनहार्ड गेंजेल और एंड्रिया गेज को फिजिक्स में नोबेल प्राइस मिला था। ब्लैक होल के बारे में प्रो। खाडेकर ने बताया यूनीवर्स से ऊपर यह वो सर्कल है, या एरिया है। जिसके अंदर जाने के बाद कोई भी वस्तु वापस नहीं आती।
तो व्हाइट होल क्यों नहीं?
प्रो। खाडेकर ने बताया कि यूनीवर्स में मौजूद अलग-अलग के वस्तुएं, ऊर्जा स्रोत ब्लैक होल में समा रहे हैं, वहां से एक उनकी एनर्जी को कन्जयूम करके होल एक काल्पनिक टनल के माध्यम से फिर उन्हें यूनीवर्स में फेंक रहा है। ऐसे में ब्लैक होल में समा रही यह ऊर्जा कहां जा रही है? क्या स्टोर हो रही है? या एक दूसरे यूनीवर्स में जा रही है। जहां पृथ्वी की तरह गृह हैं, सौरमंडल है और जीवन है। उन्होंने कहा कि यह खोज का विषय है। जब ब्लैक होल मिल गया तो व्हाइट होल की होगा, ऐसी संभावना है दूसरे यूनीवर्स से एनर्जी का आदान-प्रदान ब्लैक और व्हाइट होल्स के माध्यम से हो रहा हो। हालांकि उन्होंने कहा कि यह परिकल्पना है और इस संबंध में विश्वभर में बड़े स्तर पर रिसर्च चल रही हैं।
हां, यह परिवर्तन काल है
दैनिक जागरण आईनेस्क्ट से बातचीत के दौरान प्रो। खाडेकर ने बताया कि करीब 14 बिलियन लाइट ईयर पूर्व यूनीवर्स की उत्पत्ति हुई। गैलेक्सी के मौजूद बिलियम ऑफ स्टार्स मौजूद हैं जो समय-समय पर जन्म लेते और नष्ट होते हैं। उल्कापिंड का गिरना इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि करता है। ऐसे में जब यूनीवर्स की उत्पत्ति को लेकर हम जानकार हैं तो इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि यूनीवर्स कभी समाप्त नहीं होगा। कब होगा यह रिसर्च का विषय है? हां, यह परिवर्तन का काल है। तुर्किए में आया भूकंप, कोविड 19 की महामारी, प्राकृतिक आपदाएं नहीं न कहीं इस बात का इंडीकेशन दे रही है कि जिस तरह यूनीवर्स में मौजूद वस्तुओं का नष्ट होने का समय निश्चित है वैसे ही यूनीवर्स के नष्ट होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
जिज्ञासाओं को किया शांत
वर्कशाप के दौरान प्रो। जीएस खाडेकर ने कहा कि वार्म होल, ब्लैक होल और व्हाइट होल से जुड़ी जानकारी को साझा किया। उन्होंने कहा कि इस विषय पर यदि अधिक खोज की जाए तो एक ब्रह्मांड से दूसरे तक यात्रा संभव हो सकती है। इस दौरान उन्होंने स्टूडेंट्स की जिज्ञासाओं का भी समाधान किया गया। अंबेडकर यूनीवर्सिटी की कुलपति प्रो। आशु रानी ने कहा कि इस तरह के लैक्चर होते रहने चाहिए क्योंकि इससे स्टूडेंट्स की शंका का समाधान होता है। वर्कशाप में प्रो। सुंदरलाल, अवनीश कुमार, प्रो। संजीव कुमार, प्रो। संजय चौधरी, डॉ। श्यामली गुप्ता आदि मौजूद थे।