डॉक्टर्स ने ली ट्रेनिंग
गुरुवार को कॉन्फ्रेंस के तहत पश्चिमपुरी स्थित होटल एसआर पैलेस, नामनेर स्थित एसआर हॉस्पिटल और एसएन मेडिकल कॉलेज में देश-विदेश से पहुंचे 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने सर्जरी की पांच आधुनिक तकनीकों (लेजर विधि, एमआईपीएच, चिवटे प्रोसीजर, सिग्मोडोस्कोपी, एंडोसूचरिंग) की ट्रेनिंग की।
बढ़ रही एनल कैंसर की समस्या
आईएससीपी के सेक्रेटरी डॉ। लक्ष्मीकांत लाडूकर ने बताया कि 400 वर्ष से हमारे यहां पाइल्स, फिशर के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। इसमें ब्लीडिंग अधिक होती है और मरीज को एक महीने तक बिस्तर पर रहना पड़ता था। ऐसे में 12 वर्ष पहले चिवटे प्रोसीजर से सर्जरी शुरू की गई। इस प्रक्रिया में टांके इस तरह लगाए जाते हैं कि ब्लीडिंग रूक जाती है और 48 घंटे बाद मरीज काम पर लौट सकता है। वर्कशॉप में लेजर विधि, एमआइपीएच स्टेप्लर विधि, चिवटे प्रोसीजर, सिग्मोइडोस्कोपी, एंडोसूचरिंग विधि से सर्जरी की गई। 300 सर्जन को सर्जरी का ट्रेनिंग दी गई।
लाइफस्टाइल के वजह से बढ़ रही दिक्कत
डॉ। लक्ष्मीकांत ने बताया कि पश्चिमी सभ्यता और पश्चिमी खानपान का भारत में चलन बढ़ा है। इससे सबसे ज्यादा प्रोक्टोलॉजी डिसआर्डर हो रहे हैं। आईटी सेक्टर में काम करने वाले युवा आठ से 10 घंटे तक बैठे रहते हैं और भूख लगने पर फास्ट फूड का सेवन कर रहे हैं। इन्हें पाइल्स, फिशर, फिस्टुला प्रोक्टोलॉजी डिसऑर्डर की समस्या हो रही है। गर्भावस्था में पेल्विस रीजन में दबाव बढ़ जाता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं में भी यह समस्या बढ़ी है। वहीं, धूम्रपान का अधिक सेवन करने, मसालेदार खाना और तनाव भरी जिंदगी से एनोरेक्टल डिसऑर्डर बढ़ रहे हैं, इससे एनल कैंसर भी बढ़ा है।
केंद्रीय राज्यमंत्री ने किया शुभारंभ
प्री-कांफ्रेंस वर्कशॉप का शुभारंभ चीफ गेस्ट केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो। एसपी सिंह बघेल ने किया। आयोजन सचिव डॉ। अंकुल बंसल व डॉ। अनुभव गोयल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर डॉ। जितेंद्र चौधरी, डॉ। प्रशांत लवानिया, डॉ। प्रशांत रहाटे, डॉ। हिमांशु यादव आदि उपस्थित रहे। संचालन करन रावत व प्रीति भारद्वाज ने किया।
तीन दिन तक सर्जन करेंगे चर्चा
आयोजन सचिव डॉ। अंकुर बंसल ने बताया कि तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ 24 फरवरी को दोपहर 2 बजे कलाकृति कनवेंशन सेंटर में कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय करेंगे। वर्कशॉप में देश-विदेश के लगभग 1500 विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं, जो सर्जरी की नई विधा व तकनीक पर मंथन करेंगे।
तीन दिवसीय कांफ्रेंस देश-विदेश के सर्जन नई तकनीकों की खोज के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। इस कांफ्रेंस से मेडिकल स्टूडेंट्स को लाभ होगा।
-डॉ। प्रशांत गुप्ता, प्रिंसिपल, एसएन मेडिकल कॉलेज
पाइल्स, फिस्टुला, फिशर सहित मलाशय और मलद्वार की समस्या तेजी से बढ़ रही है.भारत में जितनी भी सर्जरी की जा रही हैं उसमें से 30 प्रतिशत इसी से जुड़ी हुई हैं।
-डॉ। अंकुर बंसल, आयोजन सचिव, सेक्रेटरी
पहले एक महीने तक प्रोक्टोलॉजी डिसऑर्डर के मरीजों को सर्जरी करने पर एक महीने तक बेड रेस्ट करना होता था।
चिवटे प्रोसीजर से सर्जरी के 48 घंटे के बाद मरीज काम पर लौट आते हैैं।
- डॉ। लक्ष्मीकांत लाडूकर, सेक्रेटरी, आईएससीपी
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युवाओं में तेजी से फिशर और पाइल्स की समस्या बढ़ रही है यह चिंता का विषय है। हमारी लाइफस्टाइल को हमें सुधारना होगा।
- शिवम शाक्य, पब्लिक
- मेरे फ्रेंड ने अपनी पाइल्स की सर्जरी कराई थी। उसे एक महीने तक आराम करना पड़ा था। यह अच्छी खबर है कि 48 घंटे में ड्यूटी ज्वॉइन कर सकेंगे.
- अजय तोमर, पब्लिक
सर्जरी की दुनिया में नई तकनीक आ रही हैैं। नई तकनीक से ब्लीडिंग भी कम होगी और जल्दी रिकवरी भी हो सकेगी।
-पवन कुमार, पब्लिक