आगरा(ब्यूरो)। इस पानी का प्रयोग घर के कार्यो में किया जा सकता है। इसी क्रम में बुधवार को पानी बड़ी चीज हैं कैंपेन को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के ऑफिस में आयोजित पैनल डिस्कशन में पानी बचाने को संघर्ष कर रहे एक्सपर्ट ने अपने सुझाव रखते हुए विचार शेयर किए। सिविल सोसायटी के अनिल शर्मा ने बताया कि अक्सर देखा गया है कि लोग पीने के शुद्ध पानी को कार वॉश, रोड वॉश करने के लिए हाथों में पाइप लेकर खड़े हो जाते हैं। इनके टाइम की कोई सीमा नहीं है। इससे सैकड़ों लीटर शुद्ध पानी नालियों में बर्बाद हो रहा है। अगर, समय रहते आदत को नहीं बदला तो ग्राउंड वाटर निश्चित रूप से डाउन होगा और हालात खराब हो जाएंगे। ग्राउंड वाटर लेवल नीचे जाने की मुख्य वजह बारिश के पानी को सहेज नहीं पाते। न ही शहर मेें वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम हैं। जो हैं भी वे एक्टिव नहीं हैं। इसके अलावा वाटर सोर्स कहे जाने वाले तालाब अतिक्रमण की चपेट मेें हैं। इसके बार वाटर रिचार्ज नहीं हो पाता। इससे अंडरग्राउंड वाटर लेवल लगातार नीचे जा रहा है।

सवाल: पाइप लाइन टूटने पर समय से क्यों नहीं मरम्मत?
डिस्ट्रिक गवर्नर इनरव्हील क्लब, नीलू धाकरे बताती हैं कि लोगों के घरों में गंगाजल या यमुना के पानी की सप्लाई पाइप लाइन के जरिए की जाती है। अक्सर लोग पाइपलाइन टूटने पर कंप्लेन करते हैं, लेकिन इसके के बाद भी उस पाइपलाइन को मेंटेन नहीं किया जाता है। इसी बीच क्षतिग्रस्त पाइप लाइन से निकला लाखों लीटर शुद्ध पानी बर्बाद हो जाता है। जिम्मेदार अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए कि वे समय रहते कंप्लेन मिलने पर मरम्मत कार्य को दुरुस्त कर दें। जिससे पानी को बर्बाद होने से बचाया जा सके।

सवाल: क्यों पब्लिक प्लेसेज पर ड्रिंकिंग वाटर क्राइसिस?
सचिव ईकोफ्रेंली वेलफेयर सोसाइटी, अंजू दियालानी ने बताया कि पब्लिक प्लेसेज पर अक्सर पीने के पानी की समस्या रहती है। ऐसे लोग जो पानी की बोतल पब्लिक प्लेसेज पर सेल करते हैं, वो नहीं चाहते कि लोगों को आसानी से पानी मिले, वहीं सरकारी सिस्टम भी लचर है, अगर कहीं पानी की व्यवस्था की है तो रखरखाव के कोई इंतजाम नहीं है। अधिकतर पब्लिक प्लेसेज पर नल या तो खराब पड़े है, या फिर नलों मेें पानी नहीं हैं। पब्लिक प्लेसेज पर लोग स्थाई नहीं रहते इससे कोई समस्या को लेकर आवाज भी नहीं उठाता है।

सवाल: किस तरह सरकारी सिस्टम सप्लाई कर रहा दूषित जल?
अध्यक्ष ईकोफ्रेंली वेलफेयर सोसाइटी, डॉ। मनिंदर कौर ने बताया कि जलकल विभाग द्वारा पाइपलाइन के जरिए घरों में पानी की सप्लाई की जाती है। शहर में पानी की पाइप लाइन एक साथ दूसरी लाइनें भी डाली गई हैं, ऐसे में अगर पाइप लाइन कहीं से ब्रेक हो जाती है तो उसको मरस्मत करने में समय लगता है। इधर टूटी पाइप लाइन अपने साथ दूषित जल भी घरों तक पहुंचाती है, इससे कभी कभी पानी बदबूदार और मटमैला हो जाता है। मजबूरन लोागें को ये पानी प्रयोग करना पड़ता है।


सवाल: गली-गली आरओ प्लांट पर क्यों नहीं अंकु श ?
वाइल्ड लाइफ ईकोलॉजिस्ट, डॉ। केपी शर्मा बताते हैं कि वाटर प्यूरी फायर से उसको प्यूरीफाई करने को रोज 80-90 लीटर पानी बह जाता है। ये पानी व्यर्थ बह जाता है। इस पानी को बचाकर पौधों में सिंचाई करने के साथ ही घर की साफ-सफाई भी की जा सकती है। अक्सर देखा जाता है कि लोग अपने घरों में पीने के लिए आरओ के पानी इस्तेमाल करते हैं, उससे निकलने वाले वेस्ट वाटर को नालियों में बहा देते हैं, संबंधित विभाग को पहले अवैध रूप से गली-गली लग रहे आरओ को लेकर मानक तय करने होंगे, इससे वेस्ट वाटर को इस्तेमाल किया जा सके, खुद के साथ रिश्तेदारों को भी सजग करना होगा।

सवाल: वाटर स्टोरेज के लिए टंकी ले रहे हैं तो किन बातों का रखों ध्यान?
उमा शंकर मिश्रा, रंगकर्मी बताते हैं कि अक्सर लोग वाटर स्टोरेज के लिए अपने घरों में प्लास्टिक की टंकी का इस्तेमाल करते हैं। कई बार सस्ते के चक्कर में लोकल टंकी खरीद लेते हैं, इससे उसके अंदर की कोटिंग पोलिश पर ध्यान नहीं देते। टंकी खरीदते समय डबल कोटिंग की टंकी का इस्तेमाल करना चाहिए, इससे भीषणगर्मी में भी प्लाटिक की लेयर पानी में नहीं मिलती, पानी पीने योग्य बना रहता है। टंकी खरीदते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उसकी क्वालिटी बेहतर है या नहीं।

सवाल: वाटर हार्वेस्टिंग और वाटर कंजर्वेशन कैसे संभव?
एडवोकेट, यमुना रिवर कनेक्ट ग्रुप, दीपक राजपूत का कहना है कि वाटर हार्वेस्टिंग और वॉटर कंजर्वेशन के लिए सोसाइटी में आरडब्ल्यूए के स्तर पर कुछ प्रयास किए जा रहे हैं। जिसमें सोसाइटी के लोगों को पानी बचाने के लिए कहा जाता है, अगर कोई व्यक्ति पानी बर्बाद कर रहा है तो सोसाइटी के लोग जो पानी बचाओ ग्रुप में हैं, वो उनको अवेयर करते हैं। इससे जो पानी बर्बाद कर रहा है, वो भविष्य में पानी बर्बाद नहीं करने की शपथ लेता है। इसी तरह यमुना रिवर कनेक्ट ग्रुप द्वारा शहर के लोगों को भी अवेयर किया जाता है।

सवाल: आम आदमी कैसे करे सोसाइटी को अवेयर?
डॉ। भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की डॉ। मोनिका अस्थाना, ने बताया कि हर बड़े सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है। आपके अपने अखबार दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने पानी की बचत को लेकर जिस तरह यह अभियान चलाया है। ये एक अच्छी पहल है। हम स्टूडेंट्स को अवेयर करेंगे कि वे अपनी सोसाइटी में लोगों को पानी बचानेे के लिए अवेयर करें, दोस्त रिश्तेदार को भी इस स्थिति की जानकारी दें कि अगर पानी नहीं होगा तो उनका जीवन किस तरह संभव है। इसके लिए आम आदमी भी अपनी सोसाइटी के लोगों को जागरुक या मोटिवेट कर सकता है।