आगरा(ब्यूरो)। प्रशासन की ओर से जो मदद देने का आश्वासन दिया गया था, वह अब तक नहीं मिली है। अब तो सिर पर छत मिलने का सपना भी टूटता दिख रहा है। हमें अपने भविष्य की चिंता सता रही है। अगर अभी कोई हमसे यहां से जाने के लिए कह दे तो ये भी नहीं पता कि हम जाएंगे कहां? ये कहना है गधापाड़ा स्थित शेल्टर होम में रह रहे माईथान के पीडि़त विवेक शर्मा का।
अधिकारियों ने दिया आश्वासन
माईथान में हुए हादसे में विवेक शर्मा मलबे में दबकर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। बेटी रूशाली की मौत हो गई थी। अब विवेक शर्मा, उनके पिता मुकेश शर्मा, मां मालती शर्मा, बेटी वैदेही गधापाड़ा स्थित नगर निगम के शेल्टर होम में रह रहे हैं। विवेक बताते हैं कि हादसे के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने स्थायी रूप से मकान देने का आश्वासन दिया था। लेकिन, जब परिवारीजन शास्त्रीपुरम स्थित बीएसयूपी के आवास में पहुंचे तो पता लगा कि वह उन्हें अस्थाई रूप से दिए जा रहे हैं।
अभी नहीं पूरी तरह से स्वस्थ
विवेक अभी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं है। सिर पर जख्म भर गया है, लेकिन बैंडेज जारी है। राइट शोल्डर पर हुआ फ्रैक्चर भी पूरी तरह ठीक नहीं है। विवेक ने बताया कि जीवनभर में जोड़ा गया गृहस्थी का सामान सब मलबे में दब गया। एक वर्ष पहले ही घर का रेनोवेशन कराया था। इसमें सात लाख से अधिक का खर्चा हुआ था। अब रोड पर आ गए हैं। अभी शेल्टर होम में आसरा ले रखा है। पता नहीं यहां से कब खाली करने के लिए कह दिया जाए तो हम कहां जाएंगे।
मुझे दुख मैं बेटी को नहीं बचा पाया
हादसे को याद करते हुए विवेक का गला भर आता है। आंखें नम हो जाती हैं। कहते हैं कि उन्हें सबसे बड़ा दुख है कि वह बेटी रूशाली को नहीं बचा पाए। जिस दिन हादसा हुआ, अगर वह दिन भी पूरा मिल जाता तो हम शिफ्ट कर चुके होते। सामान पैक कर लिया था। हम घर छोड़कर जाने वाले थे। लेकिन सुबह ही हादसा हो गया।
पता नहीं सही होने में कितना समय लगेगा
विवेक के पिता मुकेश शर्मा फाउंड्री नगर में जॉब करते हैं। घर की पूरी जिम्मेदारी विवेक के कंधों पर ही है। लेकिन अब उन्हें भविष्य की चिंता सता रही है। उन्होंने बताया कि प्राइवेट फाइनेंस कंपनी में जॉब करते हैं। कंपनी की ओर से मेडिकल इंश्योरेंस था, जिससे हॉस्पिटल में इलाज हुआ। बिल में कुछ मदद प्रशासन की ओर से भी की गई। लेकिन, इसके अलावा प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली। अभी कंधे की हड््डी पूरी तरह से नहीं जुड़ी है। कितना समय लगेगा, ये डॉक्टर भी सही से नहीं बता पा रहे हैं। प्राइवेट जॉब है। हादसे के बाद से ही छुट्टी पर हूं। हालांकि कंपनी की ओर से अभी सैलरी दी जा रही है। लेकिन, जॉब की टेंशन लगी रहती है।
हमें स्थाई आवास मुहैया कराए जाएं: प्रवीन
शेल्टर होम में रहने वाले प्रवीन शर्मा ने बताया कि शास्त्रीपुरम में जो आवास दिए जा रहे थे, वह अस्थाई से रूप से दिए जा रहे थे। साथ ही आवास खस्ताहाल में थे। कार्य कराने का आश्वासन दिया गया, लेकिन एक महीने बाद भी कार्य नहीं कराए गए। पहले से जिनको आवास आवंटित थे, वह विरोध जता रहे थेे। हादसे के बाद प्रशासन ने शेल्टर होम में ठहरा दिया। अब शेल्टर होम वाले भी पूछते हैं कि तुम्हारे आवास का क्या हो रहा है? शुरूआत में कुछ दिन फूड किट प्रशासन की ओर से मुहैया कराई गई थी, लेकिन अब खुद ही सारा खर्चा उठा रहे हैं। शेल्टर होम में सिर पर छत का आसरा मिला हुआ है। प्रशासन हमारी समस्या की ओर गंभीरता से ध्यान दे। हमारे लिए स्थाई आवास मुहैया कराए जाएं, जिससे हम वहां शिफ्ट हो सकें।
टीला माईथान में क्या हुआ?
घटिया आजम खां रोड पर सिटी स्टेशन के पास सड़क किनारे एक धर्मशाला को तोड़ा जा रहा था। इसे तोड़कर कमर्शियल कॉम्पलैक्स बनाने की तैयारी थी। धर्मशाला को तोड़कर बेसमेंट की खोदाई की जा रही थी। तभी 26 जनवरी को अचानक से धर्मशाला के पीछे सटकर टीला माईथान पर बने छह आवास ढह गए। इनमें विवेक और उनकी बेटी वैदेही मलबे में दब गए थे। उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। जबकि एक बेटी रूशाली की मौत हो गई थी। पूरा टीला हिल गया था। मकानों में दरारें आ गईं थीं। मकानों पर लाल निशान लगाकर खाली करा लिए गए थे। हाल ही में मकानों में लोग वापस लौटे। मामले में पुलिस ने धर्मशाला में निर्माण करा रहे जिम्मेदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। जिन लोगों के आवास धराशाई हुए उनमें से तीन परिवार अब गधापाड़ा स्थित शेल्टर होम में रह रहे हैं। जबकि अन्य परिवार अपने परिजनों और अन्य स्थानों पर शिफ्ट हो चुके हैं।
शेल्टर होम में ये परिवार रह रहे
1
मुकेश शर्मा
मालती शर्मा
विवेक शर्मा
प्राची शर्मा
वैदेही
2
आरती शर्मा
खुशबू
शिवम
3
शांति
चिराग
प्रवीन
हमारी तरफ से पीडि़तों से कई बार आवास में जाने के लिए कहा गया है। पीडि़तों की हर संभव मदद की जाएगी.
आनंद कुमार सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट