आगरा(ब्यूरो)। इससे एंबुलेंस के परखच्चे उड़ गए। जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है। शहर की सड़कों पर 1500 के करीब एंबुलेंस दौड़ रही हैैं। इनमें से 470 ही रजिस्टर्ड है। इनमें से भी 127 एंबुलेंस अनफिट हैैं।

अनफिट एंबुलेंस को भेजा गया नोटिस
संभागीय परिवहन कार्यालय में 470 एंबुलेंस पंजीकृत हैं, जिनमें से 127 अनफिट दौड़ रही हैं। उनकी फिटनेस खत्म हो गई है। उन्हें डाक द्वारा नोटिस भेजा गया है। अगर जल्द फिटनेस नहीं कराई तो उनका रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया जाएगा। इसके साथ ही ऐसी एंबुलेंस के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

दौड़ रहीं अवैध एंबुलेंस
संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय में लगभग 470 एंबुलेंस ही रजिस्टर्ड हैं, लेकिन शहर की सड़कों पर लगभग दो हजार फर्राटे मार रही हैं। लगभग 1530 एंबुलेंस अवैध रूप से दौड़ रही हैं। वे यहां पर किस आधार पर चल रही हैं। कौन उनका संचालन करा रहा है। यह जानने की कोशिश कभी न तो आरटीओ कार्यालय ने की है और न ही पुलिस ने की है। मरीजों को लाने ले जाने के कार्य में लगीं एंबुलेंस की सेहत कैसी है। वे चलने के योग्य हैं या नहीं हैं। यह जांच पड़ताल अमूमन आरटीओ ऑफिस से नहीं की जाती। औपचारिकता के तौर पर कभी-कभी चेङ्क्षकग कर ली जाती है। जो एंबुलेंस रजिस्टर्ड नहीं हैं, उन्हें भी कभी चेक नहीं किया गया है।

हर दो साल में होती है फिटनेस
नई एंबुलेंस की आठ साल तक हर दो साल बाद फिटनेस होती है। जैसे ही रजिस्ट्रेशन आठ साल पुराना हो जाता है, उसके बाद एक-एक साल बाद फिटनेस होती है। एंबुलेंस अगर किसी संस्था के नाम रजिस्टर्ड है तो उससे कोई टैक्स नहीं वसूला जाता है। एंबुलेंस का संचालन गैर प्रदेशों में भी किया जा सकता है।

परमानेंट नहीं हो सकता संचालन
आरटीओ प्रवर्तन कपिल देव ने बताया कि अन्य प्रदेशों की एंबुलेंस मरीजों को लेकर आ जा सकती हैं, लेकिन गैर प्रदेशों की एंबुलेंस का परमानेंट संचालन नहीं हो सकता है। इसके लिए टैक्स देना होगा।

स्वास्थ्य विभाग का नहीं मिला सहयोग
आरटीओ प्रवर्तन कपिलदेव ने बताया कि समय-समय पर एंबुलेंस की चेङ्क्षकग की जाती है। इसमें स्वास्थ्य विभाग की टीम भी रहती है। ताकि एंबुलेंस में स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित वे चेङ्क्षकग कर सकें। अप्रैल माह में चेङ्क्षकग के लिए अभियान तय किया गया था, जिसमें स्वास्थ्य विभाग का सहयोग नहीं मिल सका।

ऑक्सीजन सिलिंडर की अलग से होगी जांच
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ। अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि गुरुवार को एंबुलेंस में हुए हादसे के लिए जांच के निर्देश दिए गए हैैं। डिप्टी सीएमओ डॉ। नंदन सिंह के नेतृत्व में इसकी जांच होगी। आगे से ऑक्सीजन सिलिंडर की जांच के लिए अलग से फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करवाया जाएगा।

एंबुलेंस यह होना जरूरी
- ड्राइवर
- कुशल प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ
- स्ट्रेचर
- एडजस्टेबल सीट
- ऑक्सीजन सिलिंडर
- ड्रिप लगाने के लिए स्टैैंड
- फस्र्ट एड किट
- बीपी चेक करने व प्राथमिक उपचार को किट

1500 से अधिक एंबुलेंस दौड़ रही शहर की सड़कों पर
470 हैैं आरटीओ में पंजीकृत
127 एंबुलेंस की फिटनेस हो चुकी है खत्म


समय-समय पर स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ चेङ्क्षकग अभियान चलाया जाता है। कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का सहयोग कम ही मिलता है। अब फिर से अभियान चलाया जाएगा।
-कपिल देव, आरटीओ प्रवर्तन

एंबुलेंस के इक्विपमेंट में अब ऑक्सीजन सिलिंडर की अलग से जांच करवाई जाएगी। एंबुलेंस की फिटनेस की जांच के लिए पहले से डेट तय हो जाए तो एंबुलेंसों की जांच की जा सकेगी।
- डॉ। अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ