सुबह हुआ हादसा
हादसा सुबह करीब साढ़े छह बजे हुआ। शाहगंज के रहने वाले ओम प्रकाश की मुख्य बाजार में गोवर्धन बेकरी के नाम से 50 वर्ष पुरानी दुकान है। दोमंजिला भवन में ग्राउंड फ्लोर पर ब्रिकी काउंटर है। फस्र्ट फ्लोर पर बेकरी का माल तैयार होता है। दुकान में फर्श पर टाइल लगाने का काम होना था। इसलिए कर्मचारी इरफान और आदिल रात में वहां रुके थे। सुबह दोनों शटर के बाहर बैठे थे। इसी दौरान बेकरी ढह गई। दोनों मलबे में दब गए। आसपास के लोगों ने दोनों को बाहर निकाला। ओम प्रकाश ने बताया कि 20 लाख रुपए का अनुमानित नुकसान हुआ है। हादसे के बाद व्यापारी वहां जुट गए। उन्हें डर था कि आसपास की दुकानों को भी नुकसान हो सकता है। बाजार के लोगों का कहना था कि हादसा यदि दोपहर या शाम को होता तो जनहानि हो सकती थी। प्रभारी निरीक्षक शाहगंज भानु प्रताप ङ्क्षसह ने बताया कि दोनों घायलों की हालत खतरे से बाहर है।

नालियों का पानी बना समस्या
शाहगंज बाजार व्यापार समिति के अध्यक्ष किशन कुमार जग्गी ने बताया कि भोगीपुरा, जोगीपाड़ा और शाहगंज बाजार की नालियों का पानी दुकानों की नींव में जा रहा है। इससे दुकानों में सीलन है। उन्होंने नगर निगम से नालियों को शाहगंज बाजार की जगह सीधे चौराहे से निकालने के लिए कई बार पत्र लिखे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

व्यापारी को आर्थिक मदद का आश्वासन
बेकरी ढहने की सूचना पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रो। एसपी ङ्क्षसह बघेल मौके पर पहुंचे। व्यापारियों ने नालियों में पानी भरा होने की समस्या बताई। वहीं, कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय के पुत्र वात्सल्य उपाध्याय ने भी मौके पर पहुंच पीडि़त व्यापारी ओम प्रकाश से बात की। उन्हें सरकार से आर्थिक मदद दिलाने का आश्वासन दिया।

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शहर में 156 भवन जर्जर



कई दिनों से रुक- रुक कर हो रही वर्षा से जर्जर भवनों पर खतरा मंडरा रहा है। नगर निगम 156 भवनों को जर्जर घोषित कर चुका है। ये वर्षा में धराशाही हो सकते हैं। सबसे ज्यादा जर्जर भवन पुराने शहर में हैं, सरकारी भवन भी इसमें शामिल हैं।

गिर जाती हैं दीवार
नगर निगम हर वर्ष रामबरात के आयोजन से पहले जर्जर भवनों के लिए सर्वे कराता है। नगर निगम के रिकॉर्ड के अनुसार, शहर में 156 जर्जर भवन हैं। इन भवनों में लोग रह रहे हैं। इसमें से 80 फीसद भवन पुराने शहर में हैं। सड़क किनारे बने भवनों के छज्जे से लेकर दीवार जर्जर हो चुकी हैं। लगातार वर्षा होने से जर्जर मकान धराशाही हो सकते हैं। छज्जे और दीवार गिर सकती हैं।

बेलनगंज, पीपल मंडी, माईथान में सबसे ज्यादा जर्जर भवन
पुराने शहर में पीपल मंडी, टीला माईथान, घटिया आजम खां में जर्जर भवन हैं। इन जर्जर भवनों में वर्षों से किराएदार रह रहे हैं। इसके साथ ही बेलनगंज में जर्जर भवन हैं।

जर्जर भवन में रह रहे पुलिसकर्मी
पुलिस लाइन और रकाबगंज में पुलिसकर्मियों के लिए बने आवास जर्जर हो चुके हैं। इन भवनों में पुलिसकर्मी रह रहे हैं, वर्षा में पानी टपकता है। कई बार प्लास्टर गिर चुका है। सरकारी आवासों के साथ ही कार्यालय भी जर्जर हैं।


जर्जर भवनों में लोग न रहें, इसके लिए नोटिस दिए गए हैं। लोगों से भी अपील है कि वे जर्जर भवनों में न रहें, जिन भवनों के धराशाही होने का खतरा है उनकी सूची पुलिस प्रशासन को भेजी जाएगी।
बीएल गुप्ता, मुख्य अभियंता, नगर निग