ट्रिपल मर्डर केस
- नगला किशनलाल में तीन दिन बाद भी डर का माहौल
- मृतक रामवीर के भांजे और भाई ने बताई वारदात की पूरी कहानी
- नौकरी के नाम पर पैसे हड़पने वाला गैंग अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर
आगरा। एत्माद्दौला थाना क्षेत्र के नगला किशन लाल में ट्रिपल मर्डर की साजिश में शामिल आरोपी इस कदर आश्वस्त थे कि घटना के बाद घर के आसपास ही न सिर्फ घूमते रहे बल्कि मृतक के परिजनों को ढांढस भी बंधाते रहे। आरोपी सुभाष काफी देर तक घर के पास रहा। उसे यह लगता रहा कि हत्या को हादसे की शक्ल देने में वह और उसके दूसरे साथी कामयाब रहे हैं। लोग सच मान लेंगे कि आग लगने से मौत हुई है। सिलेंडर का पाइप भी खुला पड़ा हुआ था।
ऐसे शक बदला यकीन में
मृतक रामवीर के भांजे गुड्डू ने बताया कि घटना वाले दिन सुभाष पास में ही था। देखने से बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि इसने इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दिया होगा। वह काफी देर तक गम में शरीक रहा और हर बात पर अपनी राय भी दे रहा था। बातचीत से कहीं से भी नहीं लगा कि घटना की साजिश इसने रची और हत्या इसके ही घर में हुई थी।
कपड़े से आई मिट्टी के तेल की महक
गुड्डू ने बताया कि पुलिस की टीम ने पहले हर उस शख्स पर शक जताया जो मृतक रामवीर और उनके बेटे बबलू के करीबी थे। सुभाष परचून की दुकान में आकर बबलू से काफी मिलता था। इतना ही नहीं, रिटायर्ड फौजी ने भी सुभाष के शामिल होने की बात कही थी। इस आधार पर पुलिस सुभाष को भी पूछताछ के लिए ले गई। काफी देर तक सुभाष पुलिस को गुमराह करता रहा। लेकिन उसके कपड़े से आ रही मिट्टी के तेल की महक के सवाल से वह सकपका गया। सख्ती से पूछने पर उसने कुबूल किया। उसने ही मिट्टी का तेल डालकर तीनों शवों को जलाया था।
14 लोग थे शामिल
मृतक रामवीर के भाई भूरी ने बताया कि इस वारदात में 14 लोग शामिल थे। अभी पांच को ही पकड़ा जा सका है। बाकी लोग पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। सुभाष के घर पर रामवीर और उनके बेटे बबलू को मारा गया। घर के अन्य सदस्य भी इसमें शामिल रहे। उनके लोगों ने साक्ष्य को भी मिटाया लेकिन पुलिस ने सभी को नहीं पकड़ा है।
तीन बाद भी डर का माहौल
नगला किशन लाल में ट्रिपल मर्डर के तीन दिन बाद भी मोहल्ले के लोगों के बीच खामोशी है और आसपास के घरों के बाहर सन्नाटा पसरा हुआ है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने कई लोगों से बात करने की कोशिश की तो लोगों ने कुछ भी कहने से मना कर दिया। उनका साफ कहना था कि न ही उन्होंने कुछ देखा और न ही सुना। हालांकि यह सभी लोग घर के आसपास के ही थे। इनके अनुसार, घटना का पता सुबह ही पता चल पाया।
जागरण वाले दिन की वारदात
मृतक रामवीर के भाई भूरी ने बताया कि हत्यारोपियों को यह पता था कि रविवार रात मोहल्ले में माता का जागरण है। तेज आवाज के बीच वारदात को अंजाम देंगे को तो किसी को पता भी नहीं चलेगा। हुआ भी यही हत्या करने के बाद सुभाष और उसके साथियों को काफी समय मिला। सुभाष के घर और रामवीर के घर पांच से छह मकानों का ही फासला है। हत्यारोपियों ने घरों के बाहर लगे मीटर से लाइन डिस्कनेक्ट करके गली में अंधेरा किया इसके बाद, रामवीर और बबलू के शव को कंध पर उठाकर घर तक ले गए। इनमें से एक घर के दरवाजे को फांदकर गया और अंदर से पीछे के दरवाजे को खोल दिया। रात 12 से दो के बीच वारदात को अंजाम दिया गया।
न नौकरी मिली, न पैसे
रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे हड़पने वाले गैंग सक्रिय है। यह वारदात भी इसी के चलते हुई। दरअसल, शकीन नाम का शख्स 12 लाख में नौकरी दिलाने का वादा करता है। रिटायर्ड फौजी के जरिए बबलू को नौकरी काझांसा दिया गया। सुभाष और बबलू दोनों के परिवार ने पैसे दिए। नौकरी नहीं मिली लेकिन दोनों के बीच लेनदेन को लेकर विवाद होने लगा। रामवीर को सितंबर लास्ट में तीस तारीख को पांच लाख रुपये मिलने थे। लेकिन हत्यारोपियों को लगा कि बीती 30 तारीख को पैसे मिल गए हैं और घर में ही रखे हैं। इन्हीं पैसों के लिए साजिश रची गई।
सुभाष काफी शातिर था। उसने काफी देर तक गुमराह किया। शवों को जलाने में उसकी का हाथ था। उसके कपड़े से मिट्टी के तल की महक आई। इससे शक यकीन में बदल गया।
- उदयवीर सिंह मलिक, एत्माद्दौला थाना प्रभारी