एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। प्रशांत गुप्ता ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में बड़ी संख्या में बंदर और कुत्ते हैैं। कई बार हम इसके बारे में नगर निगम को लिख चुके हैैं। हर साल तीन से चार बार हम नगर निगम को इस बारे में पत्र लिख चुके हैं। बीच में 10 से 15 स्ट्रीट डॉग्स को नगर निगम की टीम पकड़कर ले गई थी। लेकिन इसके बाद में कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस समस्या के लिए कोई स्थाई काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम भी वन विभाग नगर निगम के साथ मिलाकर बंदरों की समस्या के लिए कोई योजना बनाने की कोशिश कर रहे हैैं।
दूर-दूर से आते हैैं मरीज
यहां आगरा ही नहीं बल्कि आसपास के कम से कम आठ जिलों के मरीज इलाज कराने आते हैैं। लेकिन उन्हें सबसे पहले बंदरों से निपटना पड़ता है। आए दिन कोई न कोई बंदरों के द्वारा मरीजों व तीमारदारों को काटने की घटना सामने आती है। यहां हजारों की संख्या में बंदर इकट्ठा हो जाते हैैं। ऐसे में मरीज हों या फिर डॉक्टर दोनों को बंदरों से बचना पड़ता है।
हरियाली भी नहीं छोड़ रहे बंदर
मेडिकल कॉलेज में हर साल पौधरोपण किया जाता है। लेकिन बंदर यहां पर पौधों को भी नहीं छोड़ते हैैं। मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा पौधों के लिए दस-दस फीट ऊंचे ट्री गार्ड लगाए गए हैैं। पौधे इन ट्री-गार्ड तक ही सिमट कर रह गए हैैं। क्योंकि पौधे ट्री-गार्ड से आगे बढ़ते हैैं तो बंदर उन्हें खा लेते हैैं। ऐसे में एसएन मेडिकल कॉलेज की हरियाली भी बंदरों की भेंट चढ़ रही हैै।
डॉक्टरों को भी लगता है डर
एसएन मेडिकल कॉलेज में आने वाले डॉक्टर भी बंदरों से प्रभावित हैैं। डॉक्टरों की कार के ऊपर बंदर काफी उछलते हैैं। ऐसे में कार को भी नुकसान पहुंचाते हैैं। इसके साथ ही डॉक्टर्स को अपनी कार तक आने के लिए गार्ड और डंडे का सहारा लेना पड़ता है।
मरीजों को खतरा
एसएन मेडिकल कॉलेज में बंदरों का इतना आतंक है कि वह वार्ड में भी घुस जाते हैैं। नई सर्जरी बिल्डिंग में बंदरों ने घुसकर सीलिंग को भी तोड़ दिया है। मरीजों को भी बंदरों से डर लगता है। फतेहाबाद क्षेत्र निवासी महादेवी ने बताया कि उनका बेटा नई सर्जरी बिल्डिंग में एडमिट है। वह अपने बेटे के लिए फल लेकर जा रहीं थीं। बंदरों का एक झुंड आया और फलों के थैले को छीनकर चले गए।
बंदरों को न डालें खाना
एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। प्रशांत गुप्ता ने अपील करते हुए कहा कि मेडिकल कॉलेज में कोई भी व्यक्ति बंदरों को खाना न डालें। बंदरों को खाना डालने से वह बार-बार यहां पर आते हैैं।
वर्जनबंदरों की समस्या के लिए कई बार नगर निगम को पत्र लिखे जा चुके हैैं। लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं होता है। इस समस्या का कोई स्थाई समाधान होना चाहिए।
- डॉ। प्रशांत गुप्ता, प्रिंसिपल, एसएनएमसी
मैैं अपनी मां को ओपीडी में दिखाने के लिए गया था। तभी हम पर बंदरों के एक झुंड ने हमला कर दिया। हाथ में से दवाइयों का पैकेट छीनकर ले गए।
- टोनी, तीमारदार
मैैं डॉक्टर को दिखाने के लिए ओपीडी में गया था। दवा लेने के बाद लौट रहा था, तभी बंदरों के झुंड ने हमला कर दिया। मैैं गिर गया और मेरे चोट लग गई।
- देव, मरीज
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05 हजार से ज्यादा बंदर हैैं एसएन के आसपास
02 हजार मरीज रोज आते हैैं एसएन की ओपीडी में
980 बेड हैैं एसएन मेडिकल कॉलेज में
200 बेड हैैं सुपर स्पेशियलिटी विंग में
05 हजार से ज्यादा लोगों का रोज रहता है फुटफॉल
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