आगरा। रुस के हेड हार्डेड रेल ट्रैक से आगरा मेट्रो के ट्रैक को मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही हेड हार्डेंड रेल ट्रैक की मेंटिनेंस कॉस्ट भी काफी कम होती है। कुमार केशव ने बताया कि आगरा मेट्रो डिपो परिसर में ट्रैक बिछाने का काम शुरू कर दिया गया है, जल्द ही प्रॉयोरिटी कॉरिडोर के ऐलिवेटिड भाग में ट्रैक बिछाने का कार्य किया जाएगा। रेलवे की तुलना में मेट्रो प्रणाली में पटरियों पर गाडिय़ों का आवागमन अधिक होता है, यहां मेट्रो रेल औसतन पांच मिनट के अंतर पर चलती हैं। श्री कुमार केशव ने कहा कि तेजी से ट्रेन की स्पीड पकडऩे और ब्रेक लगाने की स्थिति में ट्रेन के पहिये और पटरी के बीच अधिक घर्षण होता है, इसके कारण सामान्य रेल जल्दी घिस जाती है और पटरी टूटने, क्रेक आदि जैसी समस्या आने लगती है लेकिन हेड हार्डेंड रेल के अधिक मजबूत होने के कारण ऐसी कोई समस्या नहीं आती है।

हेड हार्डेंड रेल की विशेषताएं
-हेड हार्डेंड रेल पारंपरिक रेल की तुलना में अधिक मजबूत होती है।
-सामान्य रेल की तुलना में भार झेलने की क्षमता अधिक है।
-सामान्य रेल से मेंटिनेंस कम है।
- अधिक रेल ट्रैफिक के लिए बेहतर विकल्प।
_बैलास्टलैस ट्रैक के लिए कंक्रीट बीम पर पटरियों को बिछाया जाता है


डिपो परिसर में बैलास्टिड जबकि कॉरिडोर में होगा बैलास्टलैस ट्रैक
यूपीएमआरसी द्वारा आगरा मेट्रो डिपो परिसर में बैलास्टिड ट्रैक बिछाया जा रहा है। बैलास्टिड ट्रैक के लिए समतल भूमि पर गिट्टी एवं एवं कंक्रीट के स्लीपरों पर पटरी बिछाई जाती हैं। वहीं, आगरा मेट्रो के दोनों कॉरिडोर के मेन रूट पर बैलास्टलैस ट्रैक प्रयोग किया जाएगा। बैलास्टलैस ट्रैक के लिए कंक्रीट बीम पर पटरियों को बिछाया जाता है। इसके साथ ही पारंपरिक तौर पर प्रयोग होने वाले ट्रैक की तुलना बैलास्टलैस ट्रैक अधिक मजबूत होता है एवं इसका मेंटिनेंस भी काफी कम है।

बनेंगे 29.4 किमी। लम्बे कॉरिडोर
ताजनगरी में 29.4 किमी लंबे दो कॉरिडोर का मेट्रो नेटवर्क बनना है, जिसमें 27 स्टेशन होंगे। ताज ईस्ट गेट से सिकंदरा के बीच 14 किमी लंबे पहले कॉरिडोर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस कॉरिडोर में 13 स्टेशनों का निर्माण होगा। जिसमें 6 एलीवेटिड जबकि 7 भूमिगत स्टेशन होंगे। इस कॉरिडोर के लिए पीएसी परिसर में डिपो का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही आगरा कैंट से कालिंदी विहार के बीच लगभग 16 कि.मी। लंबे दूसरे कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा, जिसमें 14 ऐलीवेटेड स्टेशन होंगे। इस कॉरिडोर के लिए कालिंदी विहार क्षेत्र में डिपो का निर्माण किया जाएगा।