बिना रजिस्ट्रेशन की लैब में जांच
शमसाबाद में छापे के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम को बिना रजिस्ट्रेशन के जीएस पैथ लैब का संचालन होता मिला। यहां पर कई लैब की रिपोर्ट के खाली डॉक्यूमेंट मिले थे। जांच में सामने आया कि दिल्ली की करीब दो दर्जन लैब ने सस्ती दर पर जांच रिपोर्ट देने के लिए कलेक्शन सेंटर खोल दिए हैं। यहां से सैंपल लेकर केरियर से दिल्ली भेजे जाते हैं, वहां लैब में जांच के बाद ऑनलाइन रिपोर्ट भेज दी जाती है। कलेक्शन सेंटर संचालक कंपनी के लेटर फॉर्मट पर ङ्क्षप्रटआउट निकाल कर दे देते हैं। इसी की आड़ में खुद भी जांच करने लगे। खुद रिपोर्ट तैयार कर मरीजों को देने लगे। टीम को देख संचालक भाग गया। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।
डॉक्टर के बिना चल रही लैब
नाम न छापने पर एक पैथोलॉजी संचालक ने बताया कि लैब खोलने के लिए पुरानी मशीन खरीद लेते हैं। एक लाख में डॉक्टर की डिग्री मिल जाती है। गोरखपुर, बुलंदशहर, इटावा सहित शहर के डॉक्टर भी अपनी डिग्री दे रहे हैं। तीन लाख रुपए में लैब शुरू हो जाती है। आगरा में कई ऐसी लैब हैं, जो बिना डॉक्टर के चल रही हैं। इन लैब में मशीन से जांच कर मलेरिया और टायफाइड की निगेटिव रिपोर्ट दे दी जाती है। जबकि, डॉक्टर मरीज के खून की स्लाइड को माइक्रोस्कोप में देखते हैं। इसमें अचानक से खून की कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि दिखाई देने पर डॉक्टर कैंसर की जांच कराते हैं। इस तरह के मामलों में ब्लड कैंसर का प्रारंभिक अवस्था में पता चल जाता है और मरीज को समय से इलाज मिल सकता है। मगर, टेक्नीशियन और झोलाछाप द्वारा जांच में यह पता नहीं चलता है।
50 परसेंट तक देते हैं कमीशन
फर्जी पैथोलॉजी संचालक अपने यहां मरीजों को भेजने के लिए 50 परसेंट तक कमीशन का ऑफर भी हॉस्पिटल व क्लीनिक को देते हैं। इन पैथोलॉजी की ओर से तैयार रिपोर्ट के आधार पर ही मरीजों को इलाज दिया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब पैथोलॉजी रिपोर्ट ही सही नहीं है तो इलाज कैसे प्रॉपर हो सकता है।
170 पैथोलॉजी लैब
160 डायग्नोस्टिक सेंटर
कुछ टेस्टिंग की जांच रेट
सीबीसी 250
एमपी 250
विडाल 150
चिकनगुनिया 600
एसजीपीटी 150
एसजीओटी 150
मलेरिया 250
डेंगू 1200
टायफाइड 250
शमसाबाद मेें लैब संचालक को नोटिस भेजा गया था, इसका जवाब नहीं मिला है। इस पर छापा मारा गया, टीम को देख संचालक लैब बंद कर भाग गया। मुकदमा दर्ज कराया गया है। जिस दुकान में लैब संचालित हो रही है, उस पर कोई बोर्ड नहीं लगा है। इस तरह की लैब को चिह्नित किया जा रहा है।
डॉ.अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ, आगरा
स्वास्थ्य जांच के नाम पर लोगों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, ये गलत है। स्वास्थ्य विभाग को इस पर पूरी तरह ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।
कल्पना धाकरे, समाजसेविका
ऐसे लोग स्वास्थ्य सेवा के नाम पर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं, उन पर सख्ती से कार्रवाई करनी होगी। ये बहुत ही गंभीर विषय है।
सुमन सुराना, हेल्पिंग फाउंडेशन