क्या है महायोजना?
महायोजना शहर के व्यवस्थित विकास में मदद करती है। यह योजना भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं प्रदान करती है। यह शहरी क्षेत्रों के लिए एक सुनियोजित वित्तीय संरचना भी प्रदान करता है, जो शहरी विकास क्षेत्र में प्रभावी प्रशासन के लिए मदद करता है। लेकिन इसकी आपत्तियों को अभी दूर नहीं किया जा सका है। ऐसे मेें शहर के विकास को एक तरह से ब्रेक लग जाएंगे।

पहले आईं 603 आपत्तियां
अमृत योजना में एडीए ने जीआईएस आधारित महायोजना-2031 का ड्राफ्ट तैयार कराया था। शासन द्वारा गठित समिति के निर्देश पर पिछले वर्ष ड्राफ्ट पर आईं 603 आपत्तियों की सुनवाई 12, 25 व 26 मई को की गई थी। आपत्तियों का निस्तारण कर एडीए ने शासन को ड्राफ्ट भेज दिया था। एडीए ने ड्राफ्ट में मेट्रो ट्रैक के दोनों ओर 500-500 मीटर दूरी तक ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) को शामिल नहीं किया था। शासन ने टीओडी को शामिल करने के निर्देश दिए थे।

नई आपत्तियां सुनवाईं में शामिल
13 व 14 जून को महायोजना के ड्राफ्ट पर पूर्व में आपत्ति जताने वालों को दोबारा सुना गया। नई आपत्तियों को सुनवाई में शामिल नहीं किया गया। आपत्तियों पर दोबारा सुनवाई हुए डेढ़ माह से अधिक समय बीत गया है, लेकिन महायोजना के ड्राफ्ट को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। एडीए उपाध्यक्ष चर्चित गौड़ ने बताया कि महायोजना पर आईं आपत्तियों को निस्तारित किया जा रहा है। शीघ्र ही बोर्ड बैठक में इसे पास कराकर शासन को भेज दिया जाएगा।

नहीं बन सके थे टीपी नगर
महायोजना-2021 को पूरी तरह लागू कराने में एडीए असफल रहा है। वर्ष 2004 में महायोजना-2021 लागू की गई थी। इसमें रुनकता, कुबेरपुर और ग्वालियर हाईवे पर ट्रांसपोर्ट नगर की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया था, जिससे कि शहर में भारी वाहनों का प्रवेश रोका जा सके। एडीए ने रुनकता में 40 हेक्टेयर भूमि चिह्नित कर 10 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण भी किया था। रुनकता में आज तक ट्रांसपोर्ट नगर नहीं बनाया जा सका है। कुबेरपुर व ग्वालियर हाईवे पर ट्रांसपोर्ट नगर बनाने की दिशा में कुछ नहीं किया गया। जीवनी मंडी रोड से सभी ट्रांसपोर्ट इकाइयों को आज तक नहीं हटाया जा सका है।

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महायोजना पर आईं आपत्तियों को निस्तारित किया जा रहा है। शीघ्र ही बोर्ड बैठक में इसे पास कराकर शासन को भेज दिया जाएगा।
चर्चित गौड़, वीसी, एडीए