केस-1
दयालबाग निवासी राहुल को फरवरी में वायरल का संक्रमण हो गया था। वह दो सप्ताह तक बीमार रहे। अब गर्मी बढऩे पर उन्हें फिर से बुखार आ गया है। साथ में उल्टी भी हो रही हैैं।

केस-2
शाहगंज निवासी रामेश्वर ने बताया कि उनके बेटे को मार्च में निमोनिया हो गया था। तब उसे एडमिट करना पड़ा था। लेकिन अब फिर से उसे डिहाइड्रेशन हो गया है। उसे उल्टी दस्त और बुखार होने पर फिर से एडमिट करना पड़ा है।

इन बीमारियों का प्रकोप
कोरोना वायरस
एच3एन2
वायरल बुखार
निमोनिया
टाइफाइड
पीलिया
डायरिया


आगरा(ब्यूरो)। एसएन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ। नीरज यादव ने बताया कि फीवर और डिहाइड्रेशन के मरीज आ रहे हैैं। टेंपरेचर बढऩे से डिहाइड्रेशन हो रहा है। इसके कारण बुखार आ रहा है। उल्टी-दस्त के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। दस्त होने पर मरीजों में वाटरलॉस की समस्या हो रही है। डायरिया ज्यादा होने पर, खूनी दस्त होने पर, बुखार होने पर आईवी फ्ल्यूड लगाने की आवश्यकता पड़ रही है।

मौसम की भी मार
पहले से ही वायरल लोगों को परेशान कर रहा था। लेकिन अब गर्मी बढऩे से मौसम की भी मार पड़ रही है। तापमान बढ़ गया है और गर्म हवाएं चलने लगी हैैं। ऐसे में मौसम की मार लोगों को बीमार कर रही है। तेज धूप में निकलने पर लोग हीटस्ट्रोक का शिकार हो रहे हैैं। उन्हें बुखार आ रहा है। डिहाइड्रेशन भी हो रहा है। बच्चों पर इसका ज्यादा असर पड़ रहा है। उन्हें उल्टी-दस्त और बुखार की शिकायत हो रही है।

रखनी होगी सावधानी
डॉ। नीरज यादव ने बताया कि इस मौसम में बच्चों को ज्यादा बचाने की जरूरत है। धूप का असर दोपहर से पहले होना शुरू हो जाता है। ऐसे में ध्यान रखा जाए कि 11 से दो के बीच में बच्चे बाहर लेकर न जाएं। उन्होंने बताया कि बच्चों में बड़ों की अपेक्षा कम पानी होता है। ह्यूमन बॉडी में 55 परसेंट तक पानी होता है। बच्चों का वजन कम है तो उनमें पानी भी कम होगा। ऐसे में यदि बड़ों की अपेक्षा बच्चों को दस्त होते हैैं। तो उनमें ज्यादा पानी का लॉस हो जाता है। ज्यादा पानी निकलने से बच्चों को डिहाइड्रेशन होने लगता है और बच्चा शॉक में चला जाता है। इसलिए बच्चों को मौसम से ज्यादा बचाकर रखें।

डाइट को रखें टाइट
विशेषज्ञों ने बताया कि मौसम बदलने पर बॉडी की इम्युनिटी कम हो जाती है। ऐसे में वायरस और बैक्टीरिया हमारी बॉडी पर अटैक कर देते हैैं। इससे लोग बीमार हो जाते है। इसलिए बदलते मौसम से सबसे ज्यादा बचाव करने की जरूरत है। तापमान बढऩे लगा है। ऐसे में बॉडी को हाइड्रेट रखें। इसके लिए डाइट में पेय पदार्थ बढ़ाएं। पानी खूब पिएं। इसके साथ ही सीजनल फलों का सेवन करें। विटामिन-सी युक्त फलों को अधिक खाएं। इनका रस निकालकर भी पी सकते हैैं। इसके साथ ही खीरा, खरबूज इत्यादि का सेवन करें। खाने की प्रिपरेशन के दौरान हाईजीन का जरूर ध्यान रखें।
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यह लक्षण आ रहे सामने
- उल्टी-दस्त की हो रही समस्या
- डिहाइड्रेशन की समस्या हो रही है
- तेज बुखार हो रहा है

यह करें
- 11 से दो बजे तक बाहर निकलने से बचें
- बाहर जाते समय छाते का प्रयोग करें
- हल्के रंग के कपड़े पहनें
- दोपहर में भारी कार्य न करें। पसीना निकलने से मिनरल और पानी निकलने का खतरा होता है।
-डायरेक्ट सूर्य की गर्मी से बचें
- पानी और तरल पदार्थ लेते रहें
- हाईजीन का ध्यान रखें
- सीजनल फ्रूट खाएं
- छाछ और ओआरएस पिएं
- पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं


गर्मी बढऩे से बुखार और उल्टी-दस्त के मरीज बढ़े हैैं। बुखार हल्का है तो सादे पानी की पट्टïी करें। तेज बुखार है तो डॉक्टर से सलाह लें।
- डॉ। नीरज यादव, एचओडी, बालरोग विभाग, एसएनएमसी

मौसम बदलने पर बॉडी की इम्युनिटी सप्रेस हो जाती है। ऐसे में कई बार चांस होते हैैं कि हमारे आसपास मौजूद वायरस और बैक्टीरिया बॉडी पर अटैक कर देते हैैं। इसलिए मौसम से बचाव करने की जरूरत है।
- डॉ। प्रभात अग्रवाल, प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, एसएनएमसी