मोहब्बत की निशानी
लाल ताजमहल भी सफेद ताजमहल की तरह मोहब्बत की निशानी है। बात तब की है, जब भारत में ब्रिटिश हुकूमत ने अपने पैर पसारने शुरू ही किए थे और ब्रिटिश सेना के कुछ सिपाही भारत में अलग-अलग राज्यों की सेना में सिपाही के तौर पर तैनात थे। ऐसा ही एक डच मूल का सिपाही था कर्नल जॉन विलियम हैसिंग। विलियम हैसिंग भारत में अपने परिवार के साथ रहता था और आगरा के लाल किले की देखभाल के लिए उसे सेनापति नियुक्त किया गया था। विलियम हैसिंग की पत्नी वेनी हैसिंग ने लाल ताजमहल का निर्माण करवाया था। यह ताजमहल उसने अपने पति विलियम हैसिंग की याद में बनवाया था।

क्या है आगरा के लाल ताजमहल का इतिहास
आगरा के लाल ताजमहल को विलियम हैसिंग का मकबरा भी कहते हैं। यह मकबरा असल के ताजमहल की तरह बेमिसाल तो नहीं है, मगर इसकी सुंदरता में कोई भी कमी नहीं निकाली जा सकती है। 21 जुलाई 1803 में जब विलियम हैसिंग का देहांत हुआ, तब लाल ताजमहल की नींव रखी गई थी। दरअसल, विलियम हैसिंग ने जब अपनी पत्नी के साथ पहली बार शाहजहां का बनवाया हुआ ताजमहल देखा था, तब ही दोनों ने तय कर लिया था कि पति-पत्नी में जो भी दुनिया को पहले अलविदा कहेगा, दूसरा उसकी याद में ताजमहल बनवाएगा। 1803 में विलियम हैसिंग का देहांत हो गया। इसलिए उसकी पत्नी ने अपने बच्चों के साथ मिल कर लाल पत्थर से ताजमहल से मिलती हुई हू-ब-हू इमारत बनवाई। विलियम हैसिंग एक मामूली सा सिपाही था और उसकी पत्नी के पास इतना धन भी नहीं था कि वह शाहजहां की तरह संगमरमर के पत्थर से ताजमहल बनवाए। इसलिए उसने लाल पत्थर का ताजमहल बनवाया था।

ऐसा है लाल ताजमहल
अगर आगरा के लाल ताजमहल को गौर से देखा जाए, तो केवल सफेद संगमरमर के पत्थर कम नजर आते हैं। हां, यह ताजमहल असल के ताजमहल की इमारत से आकार में भी छोटा है। यह मकबरा 100 से 200 फीट के दायरे में बना हुआ है। इस ताजमहल में असल के ताजमहल जैसे भूमिगत कक्ष भी है और चार मीनारें भी हैं। इस मकबरे के चारों ओर चार बड़े प्रवेश द्वार भी हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि असल के ताजमहल में शाहजहां और मुमताज की कब्र है और लाल ताजमहल में विलियम हैसिंग और उसकी पत्नी की कब्र है।

आगरा में कहां स्थित है लाल ताजमहल
एक बादशाह और आम इंसान में क्या फर्क होता है, वह लाल ताजमहल की इमारत को देख कर आसानी से महसूस किया जा सकता है। मगर सच्ची मोहब्बत किसी ने भी की हो, उसे दीवाना ही कहा जाता है। फर्क इतना है कि किसी की मोहब्बत के चर्चे होते हैं, तो किसी की मोहब्बत गुमनामी के अंधेरे में खो जाती है। लाल ताजमहल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। आगरा में संगमरमर का ताजमहल कहां हैं, यह तो सब लोग जानते हैं मगर लाल ताज महल के बारे में बहुत कम टूरिस्ट्स को ही पता है। यह ताजमहल आगरा के भगवान टॉकीज चौराहे के निकट आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा संरक्षित रोमन कैथोलिक कब्रिस्तान में बना हुआ है। इस ताजमहल को कब्रिस्तान के बीचों-बीच बनाया गया है।
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कौन था कर्नल जॉन विलियम हैसिंग
इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैैं कि कर्नल जॉन विलियम हेसिंग एक डच सिपाही था जिसने कैंडी के युद्ध में भाग लिया था। वह हैदराबाद के निजाम की सेवा में भी रहा। 1784 में मराठा सरदार महादजी सिंधिया के यहां नौकरी करने लगा। 1794 में महादजी की मौत के बाद वह आगरा आ गया। उस समय आगरा पर मराठों का आधिपत्य था और 1799 में उसे किले और दुर्ग रक्षक सेना का सेनापति बनाया गया। साल 1803 में उसकी मौत हो गई। इसके बाद उसकी पत्नी ने लाल ताजमहल बनवाया।

यहां ऐसे पहुंंचे
लाल ताजमहल भगवान टाकीज चौराहा स्थित रोमन कैथोलिक कब्रिस्तान में बना हुआ है। यहां पर आगरा कैंट, आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन और आईएसबीटी से पहुंचा जा सकता है। इसके लिए 100 से 200 रुपए ऑटो रिक्शा का किराया होगा। सिटी बस सेवा के जरिए भी यहां पहुंचा जा सकता है।


डच मूल के सिपाही जॉन विलियम हैसिंग की याद में उसकी पत्नी ने सफेद ताजमहल देखने के बाद एक-दूसरे से वादा किया था कि जो भी दुनिया को पहले अलविदा कहेगा, उसकी याद में दूसरा व्यक्ति ताजमहल बनावाएगा। 1803 में जॉन हैसिंग की मौत के बाद में उसकी पत्नी ने लाल पत्थर का ताजमहल बनवाया।
- राजकिशोर राजे, इतिहासकार