आगरा। आगरा मंडल से 350 बसें चुनाव ड्यूटी में लगाई गईं हैं। मंगलवार को 37 बसों को और रवाना किया गया। ये बसें अद्र्ध सैनिक बलों और पुलिस फोर्स को ले जाने का कार्य कर रहीं है। अभी दो चरणों में मतदान हुआ है। बता दें कि यूपी में सात चरणों में मतदान होना है।

आईएसबीटी पर करना पड़ रहा इंतजार
बसों की कमी के चलते आईएसबीटी पर पैसेंजर्स को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। आईएसबीटी से दिल्ली, पलवल, मथुरा, अलीगढ़, लखनऊ, कानपुर, नोएडा, बरेली, मुरादाबाद जाने के लिए पैसेंजर्स को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। बुधवार को दर्जनों पैसेंजर्स बस में बैठने को जद्दोजहद करते नजर आए। सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं बच्चों और ओल्डएज पैसेंजर्स को हो रही है।

जनवरी-फरवरी में लोड फैक्टर
जनवरी और फरवरी के महीने में पैसेंजर्स का आवागमन ज्यादा होता है। ये महीने टूरिस्ट सीजन के माने जाते हैं। वहीं दूसरी ओर फरवरी का महीना वेडिंग सीजन में आता है। इस महीने में शादियां ज्यादा होती हैं। इसके चलते भी लोगों को ज्यादा ट्रेवल्स करनी पड़ती है। ऐसे में रोडवेज में लोड़ फैक्टर रहता है।

मेंटीनेंस को खड़ी बसें भी लगाईं
आगरा रोडवेज के वर्कशॉप में मेंटीनेंस को खड़ी बसों को छोटी-मोटी कमियों को दूर कर बसों को ऑन रोड कर दिया है। लेकिन उसके बाद भी बसों की कमी को दूर नहीं किया जा सका है।

बसों के फेरे बढ़ाए
रोडवेज ने राजस्थान, दिल्ली, अलीगढ़, हाथरस समेत अन्य स्थानों की बसों के फेरे बढ़ा दिए है। फिर भी बसों की कमी पूरी नहंी हो पा रही है।

6 वर्ष पहले आई थी 50 बसों की खेप
रोडवेज के अधिकारियों की मानें तो वर्ष 2016 में आगरा मंडल में 50 बसों की खेप आयी थी। इसके बाद कोई खेप आगरा में नहीं आई। आपको बता दें कि मानक के अनुसार आठ-नौ वर्ष तक ही बस का संचालन सुरक्षित माना जाता है। उसके बाद बस को नीलाम करना पड़ता है। जबकि हकीकत ये है कि यहां मानक पूरे कर चुकी बसों को भी रोड पर बेखौफ दौड़ाया जा रहा है।


फैक्ट फाइल
कुल बसें-590
484-परिवहन निगम की बसें
106 बसें अनुबंधित हैं
जनरथ बसें-16
पिंक बसें-9
वॉल्वो बसें- 4
स्कैनिया बसें- 4
शताब्दी बसें- 3
अनुबंधित बसें- 91
पैसेंजर डेली - 8 हजार

ये हैं डिपो
आगरा फोर्ट, ताज डिपो, ईदगाह डिपो, फाउन्ड्री नगर डिपो, मथुरा डिपो, बाह डिपो

वर्जन
बसों को चुनाव में लगाया गया है। ज्यादातर बसें बाहर चुनाव में लगीं हैं। ये 10 मार्च के बाद ही वापस आ सकेंगी। जो बसें बचीं हैं, उनके फेरे भी बढ़ाए गए हैं. - मनोज पुंडीर आरएम रोडवेज