आगरा(ब्यूरो)। इससे पुरानी मंडी तिराहा पर एलिवेटिड ट्रैक अंडरग्राउंड ट्रैक से कनेक्ट हो सकेगा। प्रायोरिटी कॉरिडोर में अलगे 10 दिन में टीबीएम का कार्य पूरा हो जाएगा। टीबीएम गंगा की कुछ रिंग्स रह गईं हैं। इसे 10 दिन में पूरा करने का टारगेट है।
रिंग्स भी लगाए जाते हैं
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने बताया कि अंडरग्राउंड ट्रैक में तीन स्टेशन होंगे। इन स्टेशनों की खोदाई में तीन टीबीएम गंगा, यमुना और शिवाजी का प्रयोग किया गया। शिवाजी टीबीएम से अप लाइन में टनल का निर्माण 54 दिनों में हुआ था। इसके बाद गंगा टीबीएम ने 48 दिनों में काम पूरा किया।
अब जल्द ही ट्रैक
डाउन लाइन में यमुना ने 77 और शिवाजी ने 42 दिनों में काम पूरा किया है। उन्होंने बताया कि डाउन लाइन में जल्द ही ट्रैक बिछाने का काम पूरा होगा। टीबीएम से न सिर्फ खोदाई होती है, बल्कि ङ्क्षरग्स भी लगाए जाते हैं। टनल का व्यास 6.8 मीटर है। मिट्टी की निकासी के लिए पांच डिब्बे की ट्रेन का प्रयोग किया गया।
फरवरी में होगा शुभारंभ
प्र्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मेट्रो के प्रायोरिटी कॉरिडोर छह किमी लंबे ट्रैक का शुभारंभ फरवरी में किया जा सकता है। इसमें तीन एलिवेटिड और तीन अंडरग्राउंड ट्रैक होंगे। एलिवेटिड ट्रैक का निर्माण पूरा हो गया है।
ऐसे होता है टनल का निर्माण
टीबीएम द्वारा भूमिगत मेट्रो टनल निर्माण को मुख्य तौर पर तीन चरणों में बांटा जाता है। फस्र्ट फेज में इनीशियल ड्राइव होता है, जिसमें टीबीएम द्वारा लॉन्चिंग शाफ्ट (मशीन को लॉन्च करने की जगह) से टनल की खोदाई का काम शुरू किया जाता है। इस फेज में शुरुआती/अस्थाई रिंग्स को मैनुअल तरीके से लगाया जाता है। इस दौरान मशीन में लगे थ्रस्ट जैक इन अस्थाई रिंग सेग्मेन्ट्स की मदद से टीबीएम को आगे बढ़ाते हैं। इसके बाद टीबीएम मेन ड्राइव में पहुंचती है, जिसमें टीबीएम खोदाई के साथ ही स्थाई रिंग सेगमेन्ट्स लगाते हुए टनल का निर्माण करती है। इसके बाद टीबीएम मशीन दूसरे छोर पर ब्रेकथ्रू करते हुए बाहर आती है।
मेट्रो पर नजर
लंबाई
29.4 किमी
कॉरिडोर
दो
स्टेशंस
27