आगरा। सरकारी आदेशसात जनवरी की वैधता की सीमा तक सीमित करते हुए, सहायता प्राप्त विद्वान वरिष्ठ वकील, याचिकाकर्ताओं के विद्वान वकील ने प्रस्तुत किया है कि राज्य सरकार को सरकारी आदेश जारी करने के साथ 11 फरवरी, को स्वयं इस रिट याचिका में 7 जनवरी, 2022 के सरकारी आदेश पर पुनर्विचार करने की राय दी है। स्कूलों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखने की बात कहीं गई है। हाईकोर्ट की बेंच ने निजी स्कूलों की फीस स्कूलों की फीस बढ़ाने पर लगाई रोक को हटाने पर विचार का आदेश राज्य सरकार को दिया है। न्यायालय की खंडपीठ द्वारा जारी आदेश में संशोधन की मांग की है। स्कूल पदाधिकारियों द्वारा वर्तमान स्थिति काो ध्यान में रख एक बार फिर फीस बढ़ाने को लेकर विचार करने को कहा है।

व्यापारिक प्रतिष्ठानों को दी राहत
सात जनवरी, 2022 को लागू सरकार के आदेश से पता चलता है कि यह कोविड -19 की वृद्धि की आशंका थी कि राज्य सरकार सामान्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, शैक्षणिक और अन्य आर्थिक गतिविधियों को बंद करने के लिए चुनौती के तहत सरकारी आदेश जारी किया गया था। अब प्रतिबंधों को प्रत्युत्तर हलफनामे के साथ दायर ग्यारह फरवरी, के सरकारी आदेश जारी करने के साथ आराम दिया गया है। इसका स्पष्ट अर्थ है कि सामान्य जीवन सभी कर्तव्यों और दायित्वों के साथ बहाल हो जाता है।

फीस वृद्धि के खिलाफ प्रतिबंध
प्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार नवीन, संवर्धित फीस संरचना का प्रस्ताव नवीन शैक्षणिक सत्र प्रारम्भ होने के दो माह पूर्व अपलोड किया जाना है, इसका अर्थ है कि यह एक अप्रैल 2022 को या उससे पहले किया जाना है। यह सरकारी आदेश 11 फरवरी के आलोक में है कि इस न्यायालय के समक्ष एक प्रार्थना की गई है कि राज्य सरकार अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर सकती है इसके तहत फीस में वृद्धि के खिलाफ एक पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।

याचिका पर किया जाए पुनर्विचार
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा आगे प्रस्तुत किया गया है कि सरकारी आदेश सात जनवरी में जारी है, इस कारण एक आशंका पर आधारित हैं, जो बाद के सरकारी आदेश 11 फरवरी, 2022 के जारी होने से खारिज हो जाते हैं, इसलिए इसके पहले के सरकारी आदेश को रद्द कर दिया जाता है, इसलिए इस मामले पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।

सरकार को नहीं रहना तथ्य से बेखबर
अप्सा अध्यक्ष डॉ। सुशील गुप्ता का कहना है कि यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि सरकार को इस तथ्य से बेखबर नहीं रहना चाहिए कि शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल, 2022 से शुरू होना है, किस तिथि से पहले, याचिकाकर्ता संघ के सदस्यों द्वारा फीस संरचना की अनुसूची अपलोड की जानी है। क़ानून की शर्तें। माता-पिता के संघ द्वारा आपत्तियों, यदि कोई हो, पर भी निर्धारित तंत्र में विचार किया जाना है। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार के आदेश में इस मामले पर पुनर्विचार करेगी।


फीस वृद्धि को लेकर सात फरवरी को सरकार द्वारा जारी आदेश में संशोधन करना चाहिए, क्योंकि वर्तमान में हालात सामान्य है, स्कूल और कॉलेज के अलावा अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भी राहत दी गई है, इसी तरह पूर्व में जारी आदेश पर भी विचार करना चाहिए। -डॉ। सुशील गुप्ता, अध्यक्ष अप्सा


स्कूल और कॉलेज लंबे समय से बंद हैं, ऐसे में अधिकतर स्कूल संचालक आर्थिकतंगी से जूझ रहे हैं, सरकार को फीस बढ़ाने को लेकर पूर्व में जारी किए आदेश पर वर्तमान हालातों को ध्यान में रख आदेश में संशोधन करना चाहिए। -डॉ। गिरधर शर्मा, सचिव अप्सा



स्कूल बंद होने से ट्रांसपोर्ट स्टाफ के अलावा स्कूल टीचर और कर्मचारी की सैलरी स्कूल द्वारा जारी की गई है, ऐसे में अगर फीस बढ़ाने पर विचार किया जाए तो गलत नहीं होगा। समान्य स्थिति के लिए यह आवश्यक है। -सुमन लता यादव, प्रिंसिपल आरएस पब्लिक स्कूल


लंबे समय बाद स्कूल खोले गए हैं, अभी तक बच्चों की फीस पूरी जमा नहीं की गई है, ऐसे में स्कूल द्वारा स्टूडेंट्स को बिना फीस के एग्जाम में बैठाया जा रहा है, फीस बढ़ाने को लेकर एक बार विचार आवश्यक है। -रवि नारंग, होली लाइट पब्लिक स्कूल