आगरा(ब्यूरो)। अहमदाबाद स्थित सेप्ट में आयोजित ट्रेनिंग सेशन में आगरा विकास प्राधिकरण के प्रभारी चीफ टाउन प्लानर प्रभात कुमार भी शामिल हुए। 28 फरवरी से चार मार्च तक आयोजित ट्रेनिंग सेशन में यूपी के सभी टाउन प्लानर समेत 17 अधिकारी शामिल हुए। इसमें सिटी डेवलपमेंट से जुड़े तमाम बिन्दुओं पर चर्चा की गई। बताया कि किसी भी प्रोजेक्ट का ड्राफ्ट तैयार करने से पहले भू-धारकों से बात की जाए। उन्हें विश्वास में लिया जाएगा। ड्राफ्ट स्कीम तैयार होने के साथ ही डेवलपमेंट वर्क शुरू कर दिया जाए। इसके लिए टाइम ड्यूरेशन भी तय हो। डेढ़ वर्ष में इसे पूरा किया जाए। जरूरत पडऩे पर एक वर्ष का एक्सटेंशन मिल सकेगा।

दोनों का फायदा
भूमि अधिग्रहण की बजाय लैंड पूलिंग पर जोर दिया गया। इसमें जो भी जमीन ली जाएगी उसके 40 परसेंट में प्राधिकरण की ओर से डेवलप किया जाएगा। इसी पर आवासीय प्रोजेक्ट के साथ अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया जाएगा। शेष जमीन लैंड ओनर के पास रहेगी। इससे लैंड ओनर को भी फायदा होगा। 40 परसेंट भूमि डेवलप होने के बाद शेष 60 परसेंट भूमि के प्राइस बढ़ेंगे, जिससे किसान या जो भूमि धारक होगा उसको फायदा होगा।

अहमदाबाद के डेवलपमेंट पर भी चर्चा
ट्रेनिंग के दौरान एक सेशन अहमदाबाद के डेवलपमेंट प्लान पर भी था। इसमें अहमदाबाद के विकास की रूपरेखा बताई गई। साथ ही शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ट्रांसपोर्टेशन आदि के बारे में भी बताया गया।

सस्ते मकान की राह होगी आसान
अभी किसी प्रोजेक्ट के लिए जमीन का अधिग्रहण करने पर प्राधिकरण को दो से चार गुना तक मुआवजा देना पड़ता है। इससे जमीन की कीमत बढ़ जाती है। अफॉर्डेबल हाउसिंग का सपना धरा रह जाता है। नई स्कीम के तहत अब जमीन लेने से जमीन की कीमत स्थिर रहने के साथ अफॉर्डेबल हाउसिंग भी आम लोगों के लिए प्रोवाइड कराई जा सकेगी। वाराणसी में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरूआत भी हो चुकी है।

क्या होता है आइडियल हाउसिंग प्रोजेक्ट
अगर किसी शहर में प्रति व्यक्ति आय सालाना पांच लाख रुपए है। इसके चार गुना तक कीमत (20 लाख) में हाउसिंग प्रोजेक्ट में प्रॉपर्टी है तो वह आइडियल या अफॉर्डेबल हाउसिंग मानी जा सकती है। अगर प्रॉपटी की कीमत छह से सात गुना है तब भी वह आइडियल स्थिति में मानी जाएगी। जबकि मुंबई जैसे शहरों में ये कीमत 30 गुना तक है।


ट्रेनिंग सेशन में इन पर भी फोकस्ड
- प्रोजेक्ट में मार्गों का रखा ध्यान रखा जाए, चौड़ी सड़कें हों
- ग्रीनरी फोकस किया जाए, ग्रीन बेल्ट का निर्धारण हो
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट की भी प्रॉपर व्यवस्था हो