आगरा (ब्यूरो)। पहले बंदर वाइल्ड एनीमल लिस्ट में शामिल थे। इसके चलते नगर निगम के अधिकारी बंदरों को पकड़कर शहर से बाहर नहीं छोड़ पाते थे। वाइल्ड एनीमल की लिस्ट में से हटने के बाद बंदरों को शहर से बाहर जंगलों में छोडऩे का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए ऐसे जंगलों की तलाश की जा रही है, जो बंदरों के मुफीद हों।
तलाशे जा रहे जंगल
नगर निगम के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ। अजय कुमार ने बताया कि बंदरों को ऐसे जंगलों में छोड़ा जाएगा, जहां उनके लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध हो। जंगलों की क्षमता का भी आंकलन किया जाएगा, जिससे वहां बंदरों की संख्या क्षमता से अधिक न हो जाए। वन विभाग को लिखकर इस बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। बंदरों को पकड़कर जंगल में छोडऩे का कार्य अनुभवी संस्था की ओर से कराया जाएगा। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाएगी। संस्था बंदरों को जंगल में छोडऩे से पहले उनकी नसबंदी और वैक्सीनेशन भी करेगी। इसके लिए शासन की गाइडलाइन का भी पालन किया जाएगा।
पांच साल पहले थे 10 हजार बंदर
वर्ष 2017-18 में हुए सर्वे के अनुसार नगर निगम की सीमा में करीब 10 हजार बंदर थे। इस सर्वे को पांच वर्ष बीत चुके हैं। इस दौरान बंदरों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जो बंदर पहले पुराने शहर के एरियाज में देखने को मिलते थे, अब वह कमोवेश पूरे शहर में देखे जाते हैं। शहर का शायद ही ऐसा कोई एरिया हो, जो बंदरों के आतंक से बचा हो। बंदरों के डर से लोगों ने अपने घरों में जालियां लगाकर पिंजरा बना दिया है। शहर में बंदरों के हमले से कई लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों लोग अब तक घायल हो चुके हैं।
500 बंदरों की नसबंदी
बंदरों की आबादी नियंत्रित करने के लिए नगर निगम पहले से काम कर रहा है। अब तक 500 बंदरों की नसबंदी की जा चुकी है। शासन की ओर से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महज 500 बंदरों की नसबंदी की अनुमति मिली थी। नगर निगम ने एसओएस की मदद से बंदर पकड़े थे।
मंकीज के लिए बनेगा एक सेंटर
शहर में एक सेंटर भी बनाया जा सकता है। यहां बंदरों की नसबंदी और वैक्सीनेशन का कार्य किया जाएगा। जो संस्था बंदरों को पकड़ेगी वह पहले बंदरों को वैक्सीनेशन सेंटर पर लाएगी। यहां पहले बंदरों की नसबंदी होगी, उसके बाद उन्हें वैक्सीन लगाई जाएगी। तब उन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा।
10 हजार बंदर शहर में हैं, पांच वर्ष पहले हुए सर्वे के अनुसार
500 बंदरों की अब तक की जा चुकी है नसबंदी
बंदरों को पकड़कर शहर से बाहर जंगलों में छोड़ा जाएगा। इसके लिए वन विभाग से भी जानकारी जुटाई जा रही है।
डॉ। अजय कुमार, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, नगर निगम
शहर में बंदरों का आतंक है। पहले जिन एरियाज में एक-दो बंदर नजर आते थे, वहां अब बंदरों की टोलियां नजर आती है। इसके चलते लोगों को भी परेशानी होती है।
विशाल सिन्हा
कई बार बंदर हमलावर हो जाते हैं। बंदरों के हमले की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। शहर में बंदरों की बढ़ती आबादी को कम करने के लिए कदम उठाया जाना चाहिए।
राजू गोला
बंदरों के डर से लोगों ने घरों में लोहे के जाल लगा लिए हैं। उन्हें डर रहता है कि कहीं घर में बंदर न घुस जाए। शहर के कई एरियाज में बंदरों का आतंक है।
मोनल शर्मा
बंदरों को पकडऩे के लिए शहर में कई बार कवायद हुई, लेकिन शहर में से न तो बंदरों की संख्या ही कम हुई और न ही शहर को बंदरों के आतंक से राहत मिली।
दीपक कुमार