व्यवहार में आने लगता है अंतर
एसएन मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग के अध्यक्ष डॉ। विशाल सिन्हा ने बताया कि दिमाग के प्री फ्रंटल कार्टेक्स में प्रोटीन जमने से अल्जाइमर की समस्या होने लगती है। इसके प्रारंभिक लक्षण में चीजें रखकर भूल जाना, घरवालों का नाम भूलना, याददाश्त कमजोर होने के साथ व्यवहार में अंतर आने लगता है। अवसाद की समस्या बढ़ जाती है। पहले यह बीमारी 60 वर्ष के बाद मिलती थी लेकिन जीवनशैली से जुड़ी डायबिटीज, हृदय रोग की बीमारी के साथ ही शराब के सेवन से 50 की उम्र में भी अल्जाइमर की समस्या होने लगी है। इस बीमारी का इलाज नहीं है लेकिन, समय से दवाएं देने और दिमागी कसरत करने से बीमारी के लक्षण को बढऩे से रोका जा सकता है। 50 की उम्र के बाद के सामान रखकर भूल जाने, अवसाद की समस्या के साथ आने वाले मरीजों को सुडोकू सुलझाने, शतरंज खेलने, किसी विषय पर बहस करने, बच्चों की किताबों को पढऩे का टास्क दिया जाता है। हर रोज टास्क बदला जाता है। अल्जाइमर के 80 प्रतिशत मरीजों में दिमागी कसरत से बीमारी के लक्षणों की रोकथाम हो रही है। वहीं, भूलने की बीमारी को सामान्य समझ कर इलाज ना कराने पर 10 वर्ष में बीमारी दोगुनी हो रही है। मरीज अपनी सुधबुध भूल जाते हैं, घर से निकल जाते हैं, कपड़े उतार देते हैं।
इन लोगों को ज्यादा खतरा
मधुमेह, हृदय रोग, मनोरोग, शराब का सेवन, कम सुनाई देना, दिखाई कम देना, अकेला रहना
ये करें
- हर रोज एक सुडोकू सुलझाएं, पहेलियों का हल करें।
- बीच-बीच में दाएं हाथ की जगह बाएं हाथ से लिखें, बाएं हाथ से खाना खाएं।
- चित्र बनाएं, सिलाई करें।
50 की उम्र के बाद के सामान रखकर भूल जाने, अवसाद की समस्या के साथ आने वाले मरीजों को सुडोकू सुलझाने, शतरंज खेलने, किसी विषय पर बहस करने, बच्चों की किताबों को पढऩे का टास्क दिया जाता है। हर रोज टास्क बदला जाता है। अल्जाइमर के 80 प्रतिशत मरीजों में दिमागी कसरत से बीमारी के लक्षणों की रोकथाम हो रही है। वहीं, भूलने की बीमारी को सामान्य समझ कर इलाज ना कराने पर 10 वर्ष में बीमारी दोगुनी हो रही है।
डॉ। विशाल सिन्हा, अध्यक्ष, मनोरोग विभाग, एसएन मेडिकल कॉलेज