आगरा(ब्यूरो)। महिला सशक्तिकरण की बैठक के पहले सत्र में राजस्थान निवासी छवि ने कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव हो रहे हैं। पूर्व में यह बदलाव ठीक से नहीं हुए। इसी के चलते कौशल विकास जैसे कार्यक्रमों में जिस तरीके से युवा पीढ़ी को दक्ष किया जाना चाहिए, नहीं किया गया। अब कौशल विकास कार्यक्रम का महत्व सरकार समझने लगी है। जब वह सरपंच बनीं तो उन्हें चार हजार रुपए प्रति माह मानदेय मिलता था जबकि इससे कहीं अधिक रुपए उनके मोबाइल फोन पर खर्च होते थे। परिवार का सपोर्ट मिलने से वह सरपंच रहते हुए कई बेहतरीन कार्य कर सकी हैं। छवि ने कहा कि यह छोटा प्रयास है लेकिन आने वाले दिनों में महिला सशक्तिकरण के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

ग्राम पंचायतों के लिए ये सबसे बड़ा चैलेंज
छवि राजावत ने बताया कि सरपंच बनने के बाद जो सबसे बड़ा चैलेंज मेरा महसूस हुआ वह है लैक ऑफ अर्निंग एंड लैक ऑफ एक्सपर्टीज। अधिक ग्राम पंचायतों के लिए ये चैलेंज है। अगर इस पर अच्छे से कार्य किया जाए तो ग्राम पंचायतों में और अच्छे बदलाव देखने को मिल सकते हैं। डेवलपमेंट में सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं, बल्कि हेल्थ और एजुकेशन के साथ अन्य सेक्टर भी शामिल होते हैं। अगर इन एरियाज के एक्सपर्टीज ग्राम पंचायतों में कार्य करेंगे तो प्रॉपर डेलवलमेंट हो सके गा। आज भी हमारे जो ग्रामीण क्षेत्र में उसमें डेवलपमेंट के लिए काफी स्कोप है। अगर एक्सपर्टीज कार्य करेंगे तो गांव की ग्रोथ के साथ इंडिविजुअल ग्रोथ की जाएगी।