आगरा(ब्यूरो)। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यमुना में पोकलेन मशीन से ड्रेजिंग कराई जा रही है। लेकिन ड्रेजिंग के नाम पर पोकलेन मशीन से यमुना की तलहटी खोद रेत के पहाड़ बना दिए गए हैं। अगर ये रेत के पहाड़ नहीं हटाए गए तो हवा चलने पर ये रेत के कण सीधे एत्माद्दौला से टकराएंगे। पर्यावरणविदों ने इस पर चिंता जताई है। साथ ही यमुना की ड्रेजिंग पर भी सवाल खड़े किए हैं।
स्मारक से चंद कदमों की दूरी
यमुना की खोदाई कर जहां रेत के पहाड़ नुमा टीले बना दिए हैं, वह स्मारक से 50 मीटर भी दूर नहीं है। ऐेसे में एक हवा का झोंका रेत के कणों को सीधा स्मारक तक ले जाएगा।
यमुना में रेत और सिल्ट के जो ये पहाड़ खड़े कर दिए गए हैं, वह एत्माद्दौला स्मारक को नुकसान पहुंचाएंगे। सभी एएसआई मॉन्यूमेंट्स के लिए नियम समान हैं। बिना किसी स्टडी के ड्रेजिंग कर यमुना को नुकसान पहुंचा रहे हैं। नदी के जल में जो भी जलजीव हैं, उनको नुकसान पहुंच रहा है। एत्माद्दौला के पीछे का व्यू खूबसूरत की जगह बदसूरत नजर आएगा। फोटो जेनिक व्यू नहीं रहेगा। पहले ताज के पीछे एक रेडियो टॉवर हुआ करता था, जो फोटो में आता था। फोटो खराब हो जाता था, इसलिए उस टॉवर को हटाया गया। प्रशासन या गवर्नमेंट अथॉरिटीज को नियमों का पालन कर उदाहरण पेश करना चाहिए, न कि खुद ही कानून का मजाक बनाना चाहिए।
डॉ। शरद गुप्ता, पर्यावरणविद
यमुना में बिना किसी परमीशन के इस तरह खुदाई या ड्रेजिंग करना पूरी तरह गलत है। ये नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है। अगर ये रेत या सिल्ट के टीले इसी तरह रहते हैं तो हवा चलने पर पूरी रेत एत्माद्दौला स्मारक पर चुपक जाएगी। स्मारक को नुकसान पहुंचेगा। इस तरफ एएसआई को भी संज्ञान लेना चाहिए। स्मारक के बिल्कुल पास इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। यमुना में रहने वाले जलजीवों को खतरा पैदा हो गया है।
डॉ। देवाशीष भट्टाचार्य, पर्यावरणविद
यमुना में किया जा रहा कार्य स्मारक से काफी दूर है। इस तरह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि स्मारक पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
राजकुमार पटेल, अधीक्षण पुरात्वविद, एएसआई आगरा सर्कल आगरा