आगरा। हाल ही में एसएन की टीम ने एम्स में हुई इमरजेंसी सेवाओं के बेहतर करने की ट्रेनिंग में प्रतिभाग किया। इस ट्रेनिंग में अस्थिरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ। सीपी पाल, मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। चंद्रप्रकाश, सिस्टर इंचार्ज कुंती चौहान शामिल हुए। डॉ। पाल ने बताया कि ट्रेनिंग में इमरजेंसी सेवाओं को और ज्यादा बेहतर करने के बारे में चर्चा हुई। इसमें बताया गया कि इमरजेंसी विंग में अलग से मेडिसिन डिपार्टमेंट होना चाहिए। इसके साथ ही इमरजेंसी में डेथ रेट कम करने के लिए डॉक्टर से लेकर गार्ड तक सभी कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि मरीज को इमरजेंसी में जल्द से जल्द उपचार देने के लिए ट्रेनिंग में जोर दिया गया। इसके लिए इमरजेंसी विंग में ही स्टाफ के रहने के लिए हॉस्टल की सुविधा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग में बताया गया कि हॉस्पिटल एडमिन रिलेटेड कार्यों को हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन में एमडी किए हुए डॉक्टर को जिम्मेदारी देने की बात कही गई। इससे स्पेशलिस्ट डॉक्टर अन्य कार्यों में न उलझे। वह अपनी स्पेशलिटी को मरीज के उपचार करने में पूरी तरह से यूज कर सके।

बेहतर की जाएंगी सेवाएं
एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। प्रशांत गुप्ता ने बताया कि टीम एम्स में हुई ट्रेनिंग में प्रतिभाग करके आई हैैं। अब हम अपने इंफ्रास्ट्रक्चर के हिसाब से इमरजेंसी की सुविधाओं को बेहतर करेंगे। अब हम सर्जरी की सुविधाओं को बेहतर बनाने पर काम करेंगे।

बेड पर ही होगा एक्स-रे
डॉ। सीपी पाल ने बताया कि इमरजेंसी में ट्राएज एरिया (स्पेशल विभाग) विकसित किया जा रहा है। मरीज के भर्ती होते ही प्राथमिक उपचार दिया जाएगा। बेड पर ही एक्सरे और अल्ट्रासाउंड किया जाएगा। इमरजेंसी में 60 बेड हैं, पहले चरण में इसमें से 20 बेड पर सुविधा विकसित की जाएगी। वहीं, एम्स, दिल्ली में इमरजेंसी मेडिसिन में पीजी कोर्स संचालित किया जा रहा है। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में यह कोर्स नहीं है। डॉ। प्रशांत गुप्ता ने बताया कि इमरजेंसी मेडिसिन में पीजी कोर्स भी शुरू किया जाएगा। इसके लिए एनएमसी को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इमरजेंसी मेडिसिन में कोर्स करने वाले जूनियर डॉक्टर और चिकित्सा शिक्षक ही गंभीर मरीजों का इलाज करेंगे।


टीम एम्स में हुई ट्रेनिंग में प्रतिभाग करके आई हैैं। अब हम अपने इंफ्रास्ट्रक्चर के हिसाब से इमरजेंसी की सुविधाओं को बेहतर करेंगे।
- डॉ। प्रशांत गुप्ता, प्रिंसिपल, एसएनएमसी
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एम्स में इन बिंदुओं पर हुई चर्चा
-इमरजेंसी में मेडिसिन और सर्जरी का अलग विभाग हो
- इमरजेंसी के सभी कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाए
- डेथ रेट कम करने के लिए इमरजेंसी में आए मरीज को जल्द से जल्द उपचार मिले
- एडमिन रिलेटेड कार्य हॉस्पिटल एडमिन के स्पेशलिस्ट द्वारा कराया जाए