आगरा। जिला जेल में यू तो कई बंदी अलग-अलग हुनर दिखाकर अपने परिवार को आर्थिक रूप से मदद पहुंचा रहे हैं। किसी ने शानदार पेंटिंग बनाकर मार्केट में बिक्री कराई तो किसी ने फु ट मैट बनाकर नाम रोशन किया है, बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने में जेल प्रशासन भी प्रयासरत है। इन दिनों महिला बंदी फ्लैग तैयार करने में जुटी हैं। हालांकि सरकार द्वारा हर घर में फ्लैग लगाने की मुहिम पर मुहर लगाई गई है, इसी के अंतर्गत हर घर में फ्लैग लाने का सपना साकार करने के लिए महिला बंदी देश भक्ति की अलख जगा रही हैं। फैमिली को भी कर रहीं सपोर्ट जिला कारागार में वर्तमान में 3200 बंदी-कैदी हैं। यहां बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सामाजिक संस्थाओं की मदद से लगातार गतिविधियां कराई जाती हैं। लेकिन, कई बंदी अपने हुनर से अलग पहचान बना रहे हैं। इसी तरह महिला बंदी इन दिनों फ्लैग तैयार कर रहे हैं। इस तिरंगा को मार्केट में सेल किया जाएगा, इससे मिलने वाली रुपयों को वह अपने परिवार को यह रकम पहुंचाकर घर खर्च में मदद कर रहीं हैं, जबकि कुछ महिलाएं बच्चों की स्कूल फीस के साथ अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक श्रम कर रही हैं।
ऑर्डर पर तैयार किए जा रहे फ्लैग
जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति द्वारा बंदियों को सकारात्मक दिशा प्रदान करने के लिए जेल प्रशासन द्वारा कौशल विकास मिशन के अंतर्गत बंदियों को ट्रेंड किया गया है। जेल सुप्रिटेंडेंट पीडी सलोनिया द्वारा बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। बंदियों ने फर्नीचर तैयार किया, इसकी कीमत लाखों रुपए मिली। लेकिन, कोरोना काल के कारण ये काम बंद हो गया। अब अप्रैल से फिर से बंदियों ने श्रम करना शुरू कर दिया है। जेल अधीक्षक ने बताया कि पहले डेमो के तौर पर फ्लैग तैयार कराए गए थे, इसके बाद इस काम में 5 महिला बंदियों को लगाया गया है, जबकि 35 बंदी अलग-अलग हुनर दिखाकर पॉजिटिव एनर्जी पैदा कर रहे हैं। ऑर्डर के हिसाब से फ्लैग तैयार कराया जा रहा है।
लक्ष्य को पूरा करने में सहयोग
जेल में फ्लैग तैयार करने के लिए तेजी से कार्य चल रहा है, प्रदेशस्तर पर पांच लाख रुपए से अधिक फ्लैग तैयार करने का लक्ष्य है, ऐसे में हर घर में फ्लैग लहराए , इसी मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए कार्र्य शुरू किया गया है, इससे पहले महिला बंदियों को कढ़ाई, बुनाई के लिए ट्रेंड किया गया था, 15 अगस्त के चलते महिला बंदियों को इस कार्य में लगाया गया है, इससे महिला बंदियों को रोजगार भी मिल रहा है, साथ ही वह अपने परिवार को आर्थिक मदद भी पहुंचा रहीं हैं, जेल से बाहर रहने वाले उनके बच्चे शिक्षित बन रहे हैं। ऐसे में अगर जेल की कॉपरेटिव सोसाइटी रजिस्टर्ड होगी तो यहां बनने वाले हर उत्पाद की मार्केटिंग की जाएगी। बाकायदा जेल के बाहर आउटलेट भी लगाया जाएगा।
बंदियों को स्वाबलंबी बनाने के लिए जेल प्रशासन प्रयासरत है। इसके लिए सामाजिक संस्थाओं की मदद से तरह-तरह के आयोजन किए जाते हैं। फिलहाल महिला बंदियों द्वारा फ्लैग तैयार किए जा रहे हैं, इसका श्रम भी उनको दिया जाता है, वह अपने परिवार को मदद कर सकें। भविष्य में इस कार्य का विस्तार किया जाएगा।
-पीडी सलोनिया, जेल अधीक्षक
जेल में बंदियों पर एक नजर
जिला जेल में कुल बंदी
3270
-जिला जेल में महिला बंदी
49
-सिलाई-बुनाई करने वाले बंदी
35
-फ्लैग बनाने में महिला बंदी
05