आगरा(ब्यूरो)। खेरिया-ईदगाह आरओबी की मरम्मत हो रही है। इसलिए खेरिया मोड़ से ईदगाह बस स्टैंड की ओर जाने और वापसी के लिए अर्जुन नगर होते हुए रूट डायवर्ट किया गया है। खेरिया मोड़ से अर्जुन नगर और अर्जुन नगर से बारह खंभा होते हुए नगला छऊआ से ईदगाह बस स्टैंड पहुंचा जा सकेगा। वापसी में भी यही रूट रहेगा। बारहखंभा पर जाम न लगे, इसलिए रुई की मंडी का डबल फाटक बंद कर दिया गया है। इससे खेरिया मोड़ से ईदगाह बस स्टैंड के मार्ग पर शुक्रवार को ट्रैफिक सामान्य तरीके से चला। रुई की मंडी चौराहे पर बैरियर लगा है। केवल दोपहिया वाहनों को ही प्रवेश मिल रहा है। इस रूट के हर चौराहे, तिराहे और रेलवे फाटक पर पुलिस तैनात की गई है।

बढ़ गया किराया
खेरिया मोड़ से जिन्हें रुई की मंडी या फिर शाहगंज आना है तो दो बार रिक्शा लेना पड़ेगा। अर्जुन नगर से बारह खंभा रुई की मंडी डबल फाटक तक और यहां से शाहगंज और रुई की मंडी तक के लिए। पहले एक बार में ही एक ही किराए में खेरिया मोड़ अर्जुन नगर से शाहगंज भोगीपुरा तक पहुंच जाते थे। यह किराया 10 रुपए से 20 रुपए हो गया है।

दुकानदार परेशान, पुलिस अधिकारियों से मिलेंगे
शुक्रवार को रुई की मंडी, शाहगंज, जंगी पाड़ा बाजार में इक्का-दुक्का ग्राहक ही पहुंचे। दुकानदार, व्यापारी कर रहे हैं कि 35 दिनों में तो हम सड़क पर आ जाएंगे। रुई की मंडी और शाहगंज के बाजार में खेरिया मोड़, नरीपुरा, अर्जुन नगर, धनौली, खासपुरा, बारह खंभा, कमाल खां, जगनेर, मलपुरा आदि क्षेत्रों से लोग बाजार करने आते हैं। रुई की मंडी रेलवे डबल फाटक के बंद हो जाने से इनका आना बंद हो गया है।


डबल फाटक के बंद होने से व्यापार चौपट हो जाएगा। वनवे के लिए अपर पुलिस उपायुक्त यातायात अरुण चंद से बात की है। उन्होंने समाधान का आश्वासन दिया है।
हेमंत भोजवानी, रुई की मंडी बाजार कमेटी संरक्षक

रुई की मंडी डबल फाटक के बंद होने से व्यापार ठप हो गया है। ग्राहक आ ही नहीं पा रहे हैं। 35 दिन में तो हालत गंभीर हो जाएंगे। इस ओर भी प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
दौलतराम साधवानी, दुकानदार रुई की मंडी

मैं अकोला के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने जाती हूं। खेरिया मोड़ पर उतरती हूं। भोगीपुरा में घर है। किराया बढ़ जाने से पैदल-पैदल घर पहुंचना पड़ता है।
दया, भोगीपुरा

रेलवे फाटक के बंद हो जाने से आने-जाने में बहुत परेशानी हो रही है। भोगीपुरा से खेरिया मोड़ तक पहुंचने के लिए दो बार रिक्शा लेना पड़ता है, जो काफी महंगा साबित हो रहा है।
गुलनाज, अलबतिया