पैसे ने चढ़ाया सेक्स का सुरूर
शहर के किनारे किसानों की जमीन और ताज एक्सपे्रसवे में जमीन जाने के बाद मुआवजे के तौर पर आए रुपए ने लोगों को रातों-रात करोड़पति बना दिया। जो कल तक मध्यमवर्गीय थे वे उनकी शुमार पैसे वाले लोगों में होने लगी। अकूत पैसे ने उन्हें भौतिक सुख-सुविधाओं के नए-नए गुर सिखा दिए हैं।
होटलों से कॉलोनियों में
सिटी में चलने वाले सेक्स रैकेट्स का अड्डा कभी सस्ते होटल हुआ करते थे। होटलों में सख्ती होने और कई बार पकड़े जाने के बाद सेक्स के धंधे ने अपनी जगह को बदल लिया। नया विकल्प पॉश कॉलोनियों के सुनसान बंगले और मल्टीस्टोरीज के खामोश फ्लैट्स बने।
पड़ोसी की नहीं होती खबर
पॉश कॉलोनियों या मल्टीस्टोरी में रैकेट चलने की खबर पड़ोसियों को भी काफी देर के बाद या मुश्किल से होती है। इनमें लोगों को दूसरों से कोई मतलब नहीं होता। कई जगह तो लोग ये भी नहीं जानते कि उनके पड़ोस वाले फ्लैट में कौन रह रहा है या बाजू वाले बंगले को किसने किराए पर लिया है।
गार्ड भी होते हैं शामिल
बड़ी बिल्डिंग्स की लिफ्ट, गलियारें और सीढिय़ां सुनसान होती हैं। इनके कौन आ रहा है इसका ध्यान सिर्फ गार्ड रखते हैं। रैकेट संचालक गार्ड का मुंह बंद रखने के लिए 2-5 हजार रुपए की माहवारी देते हैं।
गोपनीय है धंधे का तरीका
ये धंधा इतने गोपनीय तरीके से किया जाता है कि ग्राहक से लेकर रैकेट चलाने वाले तक एक-दूसरे को नहीं पहचानते हैं। ज्यादातर बुकिंग इंटरनेट के जरिए होती हैं। कई बार नेटवर्क के जरिए जगह और रकम तय की जाती हैं। इनमें कई स्थानीय लोग भी शामिल होते हैं जो नजर रखते हैं। इंटरनेट पर तो बाकायदा लड़कियों के फोटो और उम्र आदि की डिटेल भी मुहैया करवाई जाती है ताकि ग्राहक कई विकल्पों में से एक को चुन सके।
दौड़ती हैं लग्जरी गाडिय़ां
पॉश कॉलोनियों में विंडो के ग्लास चढ़ाए हाई प्रोफाइल गाडिय़ां दौड़ती हैं। ये ही ग्राहकों से लेकर लड़कियों तक को एक से दूसरी जगह शिफ्ट करती हैं और काम होने के बाद वापस अपनी-अपनी जगहों तक पहुंचाती हैं। इनका चार्ज भी हाई फाई होता है। लेकिन, सुविधा के मुकाबले लोगों को इसका चार्ज कम लगता है। सबकुछ इतना नॉर्मल तरीके से होता कि जैसे मानो कि कोई फैमिली वाले ही आए हैं। इस कारण एकदम से इन पर कोई उंगली नहीं उठा पाता है। ये लोग इसी बात का फायदा उठाते हैं।
बाहर से आती हैं गल्र्स
अब तक पॉश कॉलोनियों में जितने रैकेट्स सामने आए हैं, उनमें अधिकांश लड़कियां बाहर की पकड़ में आई हैं। पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र से सबसे ज्यादा लड़कियां लाई जाती हैं जबकि कई बार दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चंडीगढ़ जैसे बड़े शहरों की लड़कियां भी इन रैकेट्स में शामिल रहती हैं। पिछले दिनों इस तरह के कई मामले सामने आए हैं जिनमें बाहरी लड़कियां पकड़ में आई हैं।
केस 1.
थाना सिकंदरा के आवास विकास कॉलोनी सैक्टर-13 में राजवीर की कोठी है। दस दिन पहले ही कोठी को बबीता नाम की महिला ने किराए पर ली थी। एएसपी और सीओ समीर सौरभ ने कार्रवाई कर पांच लड़कियां और तीन लोगों को अरेस्ट किया।
केस 2. 2007 में भी सेक्टर-16 में किराए के मकान में सेक्स रैकेट पकड़ा गया था। जिसमें सभी लड़कियां बाहर से बुलाई गईं थीं। तीन युवक लोकल थे।
केस 3. ट्रांसयमुना कॉलोनी फेस-2 में 2009 में किराए के मकान में कॉलोनी के लोगों ने सेक्स रैकेट पकड़ा जिसमें खुद पत्नी-पति सेक्स रैकेट चलाते थे।
केस 4. थाना एत्मादउद्दौला के ट्रांसयमुना हाइवे पर एक होटल संचालक को पुलिस ने कॉलोनी के लोगों की कंप्लेन पर अरेस्ट किया था। लोगों का आरोप था कि वह होटल में सेक्स रैकेट चला रहा है।
इलाके के लोगों ने ही सूचना दी थी। पकड़ में आई लड़कियां लोकल आगरा और दिल्ली से बुलाई गई थी। रैकेट को बबीता नाम की महिला चलाती है। उसका भाई दिल्ली से लड़कियां सप्लाई करता है।
एएसपी-प्रभाकर चौधरी
Report by: Matauddin.khan@inext.co.in