आगरा.(ब्यूरो)। इसके लिए भारत सरकार सर्वे करने के लिए भी तैयार हो गई है। इससे शू कंपोनेंट के कारोबार में तेजी आएगी। यह कारोबार भारत की इकॉनोमी में सहयोग करेगा। यह चर्चा सिकंदरा स्थित मधु रिजॉर्ट में इफकोमा( इंडियन फुटवियर कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन) द्वारा आयोजित 54वें शूटेक-2023 में हुई। कार्यक्रम का उद्घाटन चीफ गेस्ट और एफमेक (आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैैंबर) के प्रेसिडेंट पूरन डावर, सीएलई के चेयरमैन संजय लीखा, फुटवियर डिजाइन एंड डवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एफडीडीआई) के प्रबंध निदेशक अरुण कुमार सिन्हा और कंफेडरेशन ऑफ इंडियन फुटवियर इंडस्ट्रीज (सीआईएफआई) के प्रेसिडेंट वी। नौशाद, इफकोमा प्रेसिडेंट संजय गुप्ता, महासचिव दीपक मनचंदा, सीएलई के रीजनल चेयरमैन मोतीलाल सेठी और एफएएफएम के प्रेसिडेंट कुलदीप सिंह कोहली, एएसएमए के प्रेसिडेंट ओपिंदर सिंह लवली ने किया।
इफकोमा प्रेसिडेंट संजय गुप्ता ने बताया कि इफकोमा फुटवियर कंपोनेंट्स सेक्टर के प्रोत्साहन को लेकर निरंतर सक्रिय है। लंबे समय से हम सरकार से फुटवियर कंपोनेंट्स के सर्वे को लेकर आग्रह कर रहे थे। हमें ख़ुशी है कि इस उभरते हुए सेक्टर की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में हमारी इस पहल ने सफलता हासिल की है। सर्वे से प्राप्त आंकड़े सरकार को फुटवियर कंपोनेंट सेक्टर के लिए नीति बनाने के लिए मददगार साबित होंगें। उन्होंने बताया कि भारत में अब शू कंपोनेंट तेजी से बनने लगे हैैं। सभी प्रकार से शू कंपोनेंट लगभग भारत में बनना शुरू हो गए हैं। केवल स्टिफनर शीट और इनसोल शीट अभी भारत में नहीं बन रही है। उम्मीद है जल्दी ही यह भारत में भी बनना शुरू हो जाएगी।
स्किल की नहीं कमी
सीएलई के चेयरमैन संजय लीखा ने कहा कि भारत फुटवियर और चमड़े के परिधान का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में दुनिया की टेनरी का हिस्सा लगभग तीन बिलियन वर्ग फुट है। देश में लगभग सात हजार लघु उद्योग इकाइयां फुटवियर क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था और विदेशी मुद्रा आय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। एफडीडीआई के प्रबंध निदेशक अरुण कुमार सिन्हा (आईएएस) ने कहा कि भारत में स्किल की कमी नहीं है। हमें अपनी हुनर को निखाकर भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था में सहभागी बनने की जरुरत है। वहीं देश में पांच लाख जोड़ी जूता प्रतिदिन बनाकर दुनिया के सबसे बड़े जूता निर्यातक बने सीआईएफआई के प्रेसिडेंट वी। नौशाद ने अपने अनुभव साझा करते हुए एक हजार जोड़ी के प्रोडक्शन से किस प्रकार पांच लाख जोड़ी प्रतिदिन का लक्ष्य को हासिल के गुर उद्यमियों से साझा किये।
यह रहे मौजूद
सीफटीआई के निदेशक सनातन साहू, सीएलई के सहायक निदेशक आरके शुक्ला, एमएसएमई के सहायक निदेशक डॉ। मुकेश शर्मा, राजेश सहगल, महासचिव राजीव वासन, उपाध्यक्ष गोपाल गुप्ता, प्रदीप वासन, एफमेक के चन्द्रशेखर जीपीआई और इफकोमा के कार्यकारी निदेशक एसके वर्मा, पूर्व अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल, सीसीएलए के अजय शर्मा, ब्रजेश शर्मा मौजूद रहे.संचालन अतुल कोहली ने किया।
अच्छे कार्य को दिया सम्मान
इस दौरान विरोला इंटरनेशनल के सहेंद्र सचदेवा को फुटवियर के क्षेत्र में और कंपोनेंट के लिए जेएस प्लास्टिक एंड लेदर वेयर के सुभाष चंद्र मित्तल को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया गया।
कारोबारियों को दी बीआईएस वर्कशॉप
एक जुलाई 2023 से बड़े शू कारोबारियों को बीआईएस मानकों का पालन करना होगा। 'शू टेक आगराÓ एग्जिबिशन के पहले दिन भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के अधिकारियों ने शू कारोबारियों को वर्कशॉप दी। इसमें बीआईएस में केमिकल डिपार्मेंट के प्रमुख एके लाल और सीएमडी आदित्य दास ने जूते के प्रोडक्शन में क्वॉलिटी कंट्रोल और सर्टिफिकेशन को लेकर सरकार के निर्देशों पर विस्तृत जानकारी दी।
भारत विश्व की ग्लोबल फैक्ट्री के रूप में उभर रहा है। आज हम कह सकते हैं यह भारत की सदी है। भारत आज विपरीत हालातों के बावजूद तेजी से आगे बढ़ रहा है।
- पूरन डावर, प्रेसिडेंट, एफमेक
भारत सरकार ने शू कंपोनेंट कारोबार को लेकर सर्वे की मांग को मान लिया है। इस सर्वे से शू कंपोनेंट कारोबार से संबंधित डिमांड व सप्लाई का डाटा मिल जाएगा। इसके आधार पर शू कंपोनेंट कारोबार को बढ़ाया जा सकेगा। इससे शू कंपोनेंट कारोबार भी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा और देश की इकोनॉमी में सहयोग देगा।
- संजय गुप्ता, प्रेसिडेंट, इफकोमा
अभी हम 20 परसेंट शू कंपोनेंट इंपोर्ट करते हैैं। जूते बनाने के लिए कंपोनेंट के लिए हमें विदेश पर निर्भरता कम करनी होगी। इसके लिए हमें हमारे यहां पर ही कंपोनेंट इंडस्ट्री को बढ़ावा देना होगा।
- सुधीर रस्तोगी, बोर्ड मेंबर, सीएलई
2754 विजिटर्स पहुंचे पहले दिन
80 शू कंपोनेंट के स्टॉल लगे
120 से अधिक ब्रांड्स के उत्पादों का प्रदर्शन हो रहा