आम आदमी से लेकर स्टूडेंट्स को होगा लाभ
साइंस सिटी की स्थापना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा की जाएगी। इसमें मशीनें, सज्जा और संयत्रों की खरीद की जाएगी। कोलकाता, लखनऊ, गुजरात व पंजाब में साइंस सिटी हैं। उप्र सरकार के बजट में अब आगरा और वाराणसी में भी साइंस सिटी बनाई जाएंगी। साइंस सिटी में विज्ञान की संपूर्ण जानकारी होती है। फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी के सभी सिद्धांत और नियम सिखाए जाते हैं। मॉडल और प्रोजेक्ट होते हैं। स्टूडेंट्स को खेल-खेल में विज्ञान के सिद्धांतों और नियमों की जानकारी दी जाती है। नक्षत्रशाला होती है। जलीय जीवन के अलावा पौधों तक की जानकारी दी जाती है। प्रकृति में विज्ञान के बारे में बताया जाता है। इस तरह साइंस सिटी बनने के बाद यहां ज्ञान लेने आम आदमी से लेकर स्टूडेंट्स तक जा सकेंगे।
ये हैं उद्देश्य
- आम जनता और छात्रों के बीच विज्ञान को लोकप्रिय बनाना
- लर्निंग टू डू, लर्निंग थ्रू फन
- नवीन विचारों के लिए जिज्ञासु मन को प्रोत्साहित करना.
- विज्ञानी जागरूकता और विज्ञानी स्वभाव पैदा होगा।
- देश की विज्ञान और प्रौद्योगिकी विरासत को संरक्षित करना.
विज्ञान के प्रति बढ़ेगा रुझान-
साइंस सिटी बनने से बहुत विकास होगा। जो छात्र विज्ञान से दूर भाग रहे हैं क्योंकि उन्हें विज्ञान क्षेत्र में आईटी और मैनेजमेंट से कम नौकरी मिलती है। उन्हें बढ़ावा मिलेगा क्योंकि इससे रोजगार भी बढ़ेगा। विज्ञान के प्रोजेक्ट बनाए जाएंगे, मॉडल बनेंगे। छात्रों को, युवाओं को और आम जनता को एक मंच मिलेगा, जहां विज्ञानी योग्यता जन्म लेगी। पूरे समाज को एक नई दिशा मिलेगी। साइंस सिटी में एग्जीबिट होते हैं वो प्रकृति में विज्ञान की महत्ता को समझाते हैं। विज्ञान संकाय के स्टूडेंट्स को एक्सपोजर मिलेगा।
- प्रो। अजय तनेजा, डीन साइंस, डॉ। बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी