अनफिट वाहनों से अटकी पेरेंट्स की सांसें
स्कूली वाहनों के साथ ही प्राइवेट वाहन भी स्कूलों में छात्रों को लेकर घर से लाने और छोडऩे का कार्य कर रहे हैं। इनमें अधिकतर वाहन रोड सेफ्टी के रूल्स की अनदेखी कर रहे हैं। ऐसा ही नजारा सोमवार को स्कूली वाहनों में देखने को मिला। दोपहर बाद स्कूलों से बस, ऑटो, वैन में क्षमता से अधिक बच्चों को ढोने का काम किया जा रहा है। वैन, ऑटो में छात्रों की संख्या अधिक दिखी। स्कूली बच्चों को जर्जर वाहनों में जान जोखिम में डालकर सफर कराया जाता है। वहीं पेरेंट्स की भी सांसे अटकी रहती हैं कि जब तक उनके बच्चे सकुशल घर नहीं आते।
चालकों का रिकॉर्ड नहीं मेंटेन
स्कूली वाहनों के फिटनेस और रोड सेफ्टी को लेकर बनाए गए रूल्स में स्कूल संचालकों का रुख बेपरवाह है। उनकी बेरूखी से ही कई वाहन मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। उनकी सख्ती से ही वाहनों को नियमों का पालन करना संभव होगा। क्योंकि अधिकतर वाहन जो स्कूल से अटैच हैं उनके चालकों का रिकॉर्ड स्कूल में एक डायरी मेें दर्ज होता है। उनका नाम और घर का पता भी इमरजेंसी को देख नोट किया जाता है। लेकिन इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है।
पुलिस के सामने से गुजरते हैं अनफिट वाहन
शहर की सड़कों पर दौड़ रहे अनफिट वाहन ट्रैफिक पुलिस के सामने से निकल जाते हैं। कार्रवाई तो दूर पुलिस उनको रोककर चेतावनी भी नहीं देती है।
पांच मार्च को थाना सदर क्षेत्र के माल रोड पर स्कूली बस एक पोल से टकराई गई, घटना में चालक का फॉल्ट बताया जा रहा है। घटना के बाद कुछ स्थानों पर पुलिस सड़क पर उतरी और स्कूली वाहनों में छात्रों की संख्या चेक करती दिखी। हरीपर्वत के पास पुलिस ने चेकिंग अभियान चलाया। इस दौरान हर वाहन में छात्रों की संख्या चेक की गई। क्षमता से अधिक होने पर चालान कार्रवाई करके खानापूर्ति की गई।
बच्चों को घर से लाने और छोडऩे के लिए स्कूल वैन को हायर किया है, न्यूज में आए दिन हादसों को देखकर मन मेें एक डर बना रहता है, जब तक बच्चा घर नहीं पहुंचता।
नीरज वर्मा, पेरेंट्स
जब बच्चे स्कूल की जिम्मेदारी पर जाते हैं। तो स्कूल को ही जिम्मेदारी लेने चाहिए, वह बच्चों को सुरक्षा को ध्यान में रख मानक पूरे करें। ट्रेंड ड्राइवर को ही रखें।
प्रशांत कुमार, पेरेंट्स
स्कूली वाहनों में सवारियों को ठूंस-ठूंस कर भरा जाता है। चौराहे पर गुजरते समय वाहन चालक बेखौफ होते हैं।
डॉ। मनिका कपूर, पेरेंट्स
समय-समय पर रोड सेफ्टी को लेकर अभियान चलाकर लोगों को अवेयर भी किया जाता है। वहीं नियमों की अनदेखी करने पर वाहन चालकों से जुर्माना वसूल किया जाता है।
अरुण चंद, अपर पुलिस आयुक्त
जिले में अनफिट वाहन
-सीबीएससी स्कूल की संख्या
175
-आईसीएसई स्कूलों की संख्या
13
-सीबीएसई के स्कूलों में ट्रांसपोर्ट
120
-स्कूलों मेें वाहनों की संख्या
1460
-फिट स्कूली वाहन
432
फिट वाहनों के लिए रूल्स है जरूरी
-बस में कैमरा होना चाहिए
-जीपीआरएस ट्रैकर
-फायर सेफ्टी उपकरण
-वाहन में मेडिकल किट
-बस का परमिट होने चाहिए
-बस की फिटनेस सर्टिफिकेट
-प्रदूषण वैधता प्रमाणपत्र.
-व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस.
-एक पुरुष और महिला हेल्पर होना चाहिए.
-साइड की तीन पाइप, जिससे बच्चा सिर बाहर नहीं निकाल पाए.
-वाहन में सीट बेल्ट की व्यवस्था होनी चाहिए.
-बस के पीछे स्कूल के नाम और नंबर लिखे होने चाहिए.
-स्पीड गर्वनर होना चाहिए, जो ओवर स्पीड नहीं होने देता है.
-बस की वैधता होनी चाहिए.
-ड्राइवर का पुलिस वेरिफिकेशन हो।