आगरा(ब्यूरो)। आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य सूचना आयोग को पक्षकारों को ऑनलाइन सुनवाई के लिए विकल्प प्रदान करना होगा। वाद सूची पर वीडियो लिंक साझा करना होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी वादकारियों के लिए इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग को प्रभावी बनाना होगा। इससे अब सूचना प्राप्त करने के लिए अपनी अपील और शिकायत के लिए लखनऊ जाने की जरूरत नहीं है। वे अपील ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग होगी प्रभावी
ऑनलाइन बहस कर सकते हैं साथ ही जन सूचना अधिकारी को नोटिस इलेक्ट्रॉनिक मेल के माध्यम से भेज सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशित किया कि सभी राज्य और केंद्रीय मंत्रालय एक महीने के अंदर सभी राज्य सूचना आयोग और केंद्रीय सूचना आयोग को प्रदान करने के लिए केंद्रीय और राज्य जन सूचना अधिकारियों के ईमेल एड्रेस संकलित करने होंगे। इस आदेश को लागू करने के लिए केंद्र सरकार के सभी राज्य और केंद्रीय सूचना आयुक्तों की एक बैठक आयोजित करनी होगी। इसमें दिए गए दिशा-निर्देश का पालन करने के लिए एक समय सीमा तैयार की जाएगी। जरूरत पडऩे पर राज्य को धन प्रदान करना होगा।
टेक्नोलॉजी अब आवश्यकता
वरिष्ठ वकील केसी जैन ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला और मनोज मिश्रा ने कहा कि संविधान की धारा 21 के तहत न्याय तक पहुंचना मौलिक अधिकार है। अदालत ने भी बल दिया कि टेक्नोलॉजी का उपयोग अब एक विकल्प नहीं है बल्कि एक आवश्यकता है। केंद्रीय सूचना आयोग अपनी कार्यवाही को मिश्रित तरीके से चलाता है, जो नागरिकों के लिए पहुंच को आसान बनाता है। सही तरीके से लागू किए जाने वाले मिश्रित या वर्चुअल सुनवाई के उद्देश्य के लिए, टेक्नोलॉजी न्याय तक पहुंचने में मदद कर सकती है और सुनवाई में शामिल होने के लिए लंबी यात्रा का अधिकार नकार सकती है।