आगरा(ब्यूरो)। प्लास्टिक की समस्या से निपटने के लिए इलेक्ट्रिक इंजीनियर विभाग के छात्रों ने रिवर क्लीनिंग मशीन का प्रोटोटाइप बनाया है। इस मशीन की सहायता से पानी की सतह से अवशेष मलबे को उठाया और ट्रे के भीतर जमा किया जा सकेगा। इसमें कन्वेयर बेल्ट की व्यस्वथा है, जिसे मोटर के शाफ्ट पर रखा जाता है। ये पूरी तरह से ऑटोमेटिक मशीन है, जो कि मोबाइल के माध्यम से ऑप्रेट की जा सकती है। छात्रों ने प्रोजेक्ट इंजीनियर अनुज शर्मा के मार्गदर्शन में मनाया।
कई प्रोजेक्ट्स पाइप में
विभागाध्यक्ष जय कुमार ने बताया कि स्टूडेंट्स की ओर से पर्यावरण के अनुकूल, बचाने हेतु कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है। इलेक्ट्रिक इंजीनियर विभाग से दो प्रोजेक्ट 2022-23 सेशन में काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की ओर से इंजीनियर प्रोजेक्ट ग्रांट स्कीम के तहत अनुमोदित भी किए जा चुके हैं। संस्था के निदेशक वित्त एवं प्रशासनिक डॉ। पंकज गुप्ता, निदेशक अकादमिक डॉ। बीएस कुशवाह ने प्रोजेक्ट से जुड़े छात्रों को बधाई दी। इस अवसर पर डीन प्रो। एबी लाल, डीन एकेडमिक प्रो। विवेक श्रीवास्तव, इंजीनियर उपेंद्र सिंह, इंजीनियर दीपक कुमार मौजूद रहे।
कचरे के ढेर पर होगी दुनिया
साइंस एडवांसेज की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक दुनिया में 20 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा जनरेट हो चुका होगा। प्लास्टिक से पूरा ईको सिस्टम, जमीन, समुद्र और पर्यावरण बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। दुनिया में रोजाना आठ टन प्लास्टिक का निर्माण होता है, जिसका एक बड़ा हिस्सा जाकर तालाब, नदी, समुद्र में मिल रहा है। आने वाले दो से तीन दशकों में करीब 12 अरब टन कचरे के जमा होने का अनुमान है। इसे साफ करने में सैकड़ों वर्ष लग जाएंगे।
इस तरह इंसान को करते हैं प्रभावित
समुद्र में प्रोपलीन प्लास्टिक से बने कचरे जैसे कंटेनर आदि के छोटे और कठोर टुकड़े मछलियों आदि वन्य जीवों को बहुत प्रभावित करते हैं। ये टुकड़े चमकदार होते हैं, इसलिए मछली इनकी ओर आकर्षित होकर खा लेती हैं। जिससे उन्हें आंत संबंधी बीमारी हो जाती है। जहरीली रसायनिक क्रियाओं की वजह से प्रभावित होने के बाद जब इंसान इसे खाते हैं तो, वह भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं।
इस तरह का कचरा उठाएगी मशीन
- प्लास्टिक वेस्ट
- प्लास्टिक बोतल
- पॉलिथिन