कंपनी की ओर से लगे रियर व्यू मिरर को निकाल देते हैं लोग
इससे बढ़ जाते हैं एक्सीडेंट्स होने के चांस
आगरा। एक कहावत है सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। जरा सी गलती बड़ी दुर्घटना को दावत दे सकती है। भारत में हर साल पांच लाख से ज्यादा रोड एक्सीडेंट्स हो जाते हैं। इनमें डेढ़ लाख लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। ज्यादातर लोग नया टू-व्हीलर खरीदते हैं और उसमें से रीयर व्यू मिरर निकाल कर फेंक देते हैं। वे ये नहीं सोचते कि इसे बाइक कंपनी की तरफ से क्यों लगाया जाता है। ऐसा करना न केवल खतरनाक है बल्कि इससे एक्सीडेंट्स होने के चांस बढ़ जाते हैं।
रीयर व्यू मिरर से होती है सहूलियत
चाहे कार हो या बाइक रीयर व्यू मिरर टेक्नीकल प्वॉइंट ऑफ व्यू से बेहद जरूरी है। साइड देखना हो या पीछे से आ रहे वाहन देखने हों रीयर व्यू मिरर ड्राइव या राइड करते टाइम काफी हेल्पफुल होते हैं। जब बात हाइवे पर ड्राइव या राइड करने की हो तो ये और जरूरी हो जाता है। हाइवे पर मौजूद ब्लाइंड स्पॉट्स पर भी रीयर व्यू मिरर काम की चीज है। जब हाइवे पर डीप मोड़ हो तो पीछे से तेज आने वाले वाहनों को देखने में इससे आसानी होती है। बाइक राइड करते टाइम जब आप हेलमेट पहनते हैं तो साइड में देखने की रेंज कम हो जाती है। ऐसे में यदि आपकी बाइक में रीयर व्यू मिरर है तो आपको ज्यादा सिर को मूव करने की जरूरत नहीं पड़ती है। पीछे से आने वाले वाहनों को देखना है तो आपको बस जरा सी आंखे मूव करने की जरूरत पड़ती है। इससे एक्सीडेंट के कम चांस हो जाते हैं।
बाइक में रीयर व्यू मिरर लगाने के पीछे टेक्निकल कारण होते हैं। इसे ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स काफी रिसर्च करने के बाद डिजाइन करते हैं।
-पवन, ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स
रियर व्यू मिरर से बाइक चलाने में आसानी होती है। पीछे से आने वाले वाहनों को देखने के लिए पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ता है।
-नीरज गुलाटी
हेलमेट पहनकर बाइक चलाते समय साइड में देखने की रेंज कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में रीयर व्यू मिरर में साइड और पीछे से आ रहे वाहनों को आसानी से देखा जा सकता है।
-श्याम सिंह